अभी तक आयकर दाताओं को अपनी आयकर रिटर्न भरने के लिए अनेक कानूनी पेंचीदगियों को समझना पड़ता है। उसके बाद भी आईटीआर भरने मे अनेक ऐसी गलतियां हो जातीं हैं, जिसके चलते आईटीआर भी नहीं दाखिल हो पाती थी। इसकी वजह से आयकर दाताओं को अनेक तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता था। बेवजह सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते थे और फिर भी काम नहीं होता था। इसका नतीजा यह होता था कि आयकर अदा करने के साथ ही कई बार लेट फीस का जुर्माना भी भुगतना पड़ता था।
आईटीआर भरने में क्या-क्या परेशानियां थीं
जो करदाता आयकर की बारीकियों से वाकिफ न थे, वो आयकर सलाहकार यानी इनकम टैक्स कंसल्टेंट अथवा आयकर मामलों के विशेषज्ञ वकीलों की सेवाएं लेते हैं। ये वकील व्यापारी की आमदनी के अनुसार उस की आईटीआर भरने के लिए उससे लम्बी-चौड़ी फीस लिया करते हैं। कुछ करदाता इन सारी झंझटों से तंग आकर आयकर रिटर्न दाखिल नहीं कर पाते थे और समय निकल जाता था। उनके खिलाफ आयकर विभाग की ओर से सर्वे के नाम पर छापा मारा जाता था। छापे की कार्रवाई से संस्थान के संचालक की बदनामी भी होती थी और दोषी पाये जाने पर जुर्माना भी अदा करना होता था।
1. गलतियां भी हो जातीं थीं
आयकर रिटर्न फाइल करते समय कई बार अनजाने में ऐसी चूक हो जाती थी, जिसके चलते आगे कई तरह की परेशानी खड़ी हो जाती थी। आयकर रिटर्न भरते समय अक्सर निर्धारण वर्ष और वित्तीय वर्ष में गलतफहमी हो जाती थी। आईटीआर का सही प्रारूप के चयन में भी कन्फ्यूजन हो जाता था। कटौती व अन्य नुकसान की जानकारी देने मेंं भी गलतियां हो जातीं थीं।
2. कई साइबर क्राइम के खतरे भी थे
इन गलतियों के अलावा पुराने आईटीआर भरने में अनेक खतरे भी थे। डेटा चोरी होने की भी आशंका बनी रहती थी। धोखाधड़ी वाले ई मेल, फोन कॉल, एसएमएस आते थे, जिनसे कर दाता आसानी से ठगे भी जाते थे। चालाक साइबर क्रिमिनल अपराध करके सारे सबूत मिटाकर बच भी जाते थे। इन तमाम परेशानियों से तंग आकर करदाताओं ने आईटीआर फाइल करने से बचने की जुगाड़ निकालनी शुरू की और बहुत से आयकर दाताओं ने तो जुर्माने आदि की परवाह न करते हुए आईटीआर फाइल करनी ही बंद कर दीं। इससे आय कर दाताओं की संख्या दिन-प्रतिदिन घटने लगी।
3. आयकर ई-फाइलिंग पोर्टल की मौजूदा विशेषताएं
आयकर ई-फाइलिंग पोर्टल डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यूडॉटइनकमटैक्सइंडियाफाइलिंगडॉटगॉवडॉटइन को आयकर विभाग द्वारा करदाताओं को ई-फाइलिंग के सुविधा देने के लिए बनाया गया है। करदाता अपने आयकर रिटर्न और अन्य टैक्स संबंधी कार्यों के लिए इसी पोर्टल का इस्तेमाल करते हैं। वर्तमान समय में इस पोर्टल पर करदाताओं को आयकर रिटर्न दाखिल करने के साथ कई अन्य सुविधाएं भी प्राप्त हैं। इनमें करदाता अपनी आयकर रिटर्न का ई-सत्यापन कर सकते हैं। बकाया आयकर डिमांड को भी देख सकते हैंऔर उसका जवाब भी दे सकते हैं। ऑडिट रिपोर्ट और प्रमाण पत्र भी फाइल कर सकते हैं। टैक्स क्रेडिट स्टेटमेंट देख सकते हैं। रिफंड के लिए क्लेम कर सकते हैं। आईटीआर विवरण बदलने के लिए अप्लाई कर सकते हैं। आधार को पैन कार्ड से लिंक कर सकते हैं। ऑनलाइन शिकायत भी दर्ज कर सकते हैं। ई-कार्यवाही का जवाब भी दे सकते हैं।
4. खामियां सामने आयीं
इसके बाद जब आयकर विभाग द्वारा ऐसे करदाताओं पर सख्ती की जाने लगी तो उनमें से कुछ रसूखदार करदाताओं ने इसका विरोध किया और आईटीआर फाइल करने में आ रही परेशानियों को विभाग और सरकार को बताया। इन शिकायतों और समस्याओं पर सरकार ने गंभीरता से विचार किया। इस पर विशेषज्ञों की राय ली गयी तो इसमें कई ऐसी अनेक खामियां सामने आयीं जिनको दूर करने से उन करदाताओं को राहत मिलने की संभावनाएं दिखीं जो करदाता ईमानदारी से कर देना चाहता था।
इस तरह से लांच किया नया पोर्टल
इन सभी विचार-विमर्श के बाद सरकार ने करदाताओं के लिये अनेक सुविधाओं वाली एक नया इन्कम टैक्स ई-फाइलिंग पोर्टल लांच किया है। इससे करदाताओं को अपना आईटीआर फाइल करने में बहुत सुविधा होगी और उनकी प्रत्येक समस्याओं के समाधान करने की भी व्यवस्था सरकार की ओर से की गयी है। आइये देखते हैं कि इस नये पोर्टल से करदाताओं को कौन-कौन से लाभ प्राप्त होंगे।
नये पोर्टल से मिलने वाली सुविधाएं
सरकार ने आयकर दाताओं को आईटीआर फाइल करने को प्रोत्साहित करने के लिए नया ई-फाइलिंग पोर्टल लांच किया। इस पोर्टल में करदाताओं को वो सारी सुविधाएं दीं गयीं हैं, जिनके माध्यम से थोड़ा पढ़ा-लिखा व्यक्ति भी अपनी आईटीआर सही तरीके से फाइल कर सकता है। इसके अलावा करदाताओं की समस्याओं के समाधान के लिए सरकार ने ऐप भी लांच किये हैं, जिन्हे डाउनलोड करके पूरी जानकारी हासिल की जा सकती है। इस तरह से आयकर विभाग ने करदाताओं की सुविधा के लिए कई कदम उठाये हैं, जो इस प्रकार हैं:-
1. सरकार की ओर से आयकर विभाग ने सबसे पहले विभाग के पोर्टल के यूआरएल का नाम आसान किया। पहले इस पोर्टल का यूआरएल बहुत ही कठिन और काफी लम्बा था। उसका नाम डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यूडॉटइनकमटैक्सइंडियाईफाइलिंगडॉटगावडॉटइन था। इस यूआरएल को छोटा करते हुए सरल बनाया गया। इसे बदल कर अब इसका नाम डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यूडॉटइनकमटैक्सडॉटगॉवडॉटइन रखा गया है, जिसे हम र्शार्ट में इनकमटैक्सडॉटगॉवडॉटइन से भी लागइन कर सकते हैं। इससे करदाताओं को अब इस पोर्टल को खोजने और उसके इस्तेमाल करने में काफी सुविधा होगी।
2. आयकर विभाग की ओर से ट्वीट करके बताया गया कि नये ई-फाइल्गिं पोर्टल इनकमटैक्सडॉटगॉवडॉटइन का उद्देश्य करदाताओं को आसानी से आईटीआर दाखिल करने के लिए अनेक सुविधाओं को प्रदान करना है। आईटीआर दाखिल करने की प्रक्रिया को अधिक से अधिक सरल व सुलभ बनाना है ताकि अधिक से अधिक लोग बिना किसी परेशानी के अपना आईटीआर दाखिल कर सकें।
3. आयकर विभाग ने अपने ट्वीट में यह भी बताया कि यह सीबीडीटी द्वारा अपने करदाताओं और अन्य हितधारकों को कर चुकाने के लिए अधिक से अधिक सुविधाएं देने के लिए ही यह नया पोर्टल लांच किया गया है।
4. आयकर के नये ई पोर्टल के साथ कुछ ऐसे ऐप भी लांच किये गये हैं जो करदाताओं की हर समस्या का समाधान खोजने में मदद करेंगे। इससे करदाताओं को अपनी आईटीआर फाइल करने में मदद मिलेगी।
नये पोर्टल से मिलने वाले लाभ
1. नये पोर्टल से करदाता अपने व्यक्तिगत और व्यावसायिक श्रेणी के आयकर रिटर्न यानी आईटीआर आसानी से दाखिल कर सकते हैं। उन्हें पूर्व की आईटीआर की प्रक्रिया में होने वाली तमाम परेशानियों से छुटकारा मिल जायेगा। इसके अलावा करदाता आयकर विभाग से रिफंड, दावों तथा अन्य कार्यो के बारे में अपनी शिकायत करने के लिए इस नये पोर्टल का उपयोग कर पायेंगे। नये पोर्टल की खास बात यह है कि करदाता द्वारा आईटीआर फाइल करने के साथ ही पोर्टल एक्टिव हो जाता है और इसकी प्रक्रिया से तत्काल जुड़ जाता है, जिसके कारण रिफंड आदि की प्रक्रिया भी जल्द शुरू हो जाती है।
2. कर विभाग के अधिकारी नोटिस जारी करने, करदाताओं से प्रतिक्रिया जानने और उनके सवालों के जवाब देने के लिए भी नये पोर्टल का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा टैक्स ऐसेसमेंट, अपील, छूट और पेनाल्टी व जुर्माना जैसे अंतिम आदेशों को भेजने के लिए भी पोर्टल का इस्तेमाल किया जा सकता है।
3. करदाता का आईटीआर से संबंधित कोई भी काम पेंडिंग हैं या टैक्स संबधी किसी नोटिस का जवाब देना है या कोई अन्य काम किये जाने हैं, उन सभी की जानकारी आपको एक ही डैशबोर्ड पर मिल जायेगी। जिससे आप अपनी इस तरह की किसी जानकारी को छोड़ नहीं पायेंगे। पुराने पोर्टल में ये सुविधा नहीं थी। आपको प्रत्येक काम के लिए अलग-अलग वेबसाइट को सर्च करना पड़ता था और वहां जाकर लम्बी प्रक्रिया से गुजरना होता था। उन सभी परेशानियों को नये पोर्टल में हटा दिया गया है।
4. जिन करदाताओं को आयकर के बारे में कोई जानकारी नहीं है, उन्हें भी घबराने की जरूरत नहीं है। नये पोर्टल में ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही तरीके से एक ऐसा फ्री सॉफ्टवेयर दिया गया है , जिससे करदाता सवाल के जवाब जानकर आईटीआर फाइल कर सकते हैं। आईटीआर फाइलिंग से पहले अपनी तैयारी भी कर सकते हैं। आयकर विभाग द्वारा उपलब्ध कराये जा रहे फ्री आईटीआर प्रेपरेशन सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करक करदाता लाभ उठा सकते हैं। वर्तमान समय में आईटीआर प्रेपरेशन के लिए सॉफ्टवेयर आईटीआर-1, और आईटीआर-4 ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों तरह से उपलब्ध हैं जबकि आईटीआर-2 भी ऑनलाइन उपलब्ध हैं।
अब आईटीआर-3, आईटीआर-5, आईटीआर-6, आईटीआर-7 के लिए आईटीआर प्रेपरेशन सॉफ्Þटवेयर की व्यवस्था की जा रही है। ये सॉफ्टवेयर नये पोर्टल के साथ ही लांच किये जा रहे हैं। आयकर दाता जल्द ही इन सॉफ्टवेयर का लाभ प्राप्त कर सकेंगे। सॉफ्टवेयर में इंटरेक्टिव प्रश्नों के उपलब्ध होने से ई फाइलिंग प्रक्रिया काफी आसान हो जायेगी।
5. आयकर विभाग ने आईटीआर की बारीकियों से अनजान करदाताओं की सुविधा के लिए इस नये पोर्टल के साथ एक नये काल सेंटर की भी व्यवस्था की है। यह कॉल सेन्टर करदाताओं द्वारा अक्सर पूछे जाने वाले सवालों के जवाब तत्काल देगा । करदाताओं को और अधिक प्रशिक्षित करने के लिए ट्यूटोरियल्स और वीडियो भी उपलब्ध करायेगा ताकि करदाता आसानी से अपना आईटीआर फाइल कर सके। इसके अलावा चैटबोट / एजेंट के माध्यम से लाइव सवालों के जवाब दिये जायेंगे जिससे करदाताओं के लिए आईटीआर से जुड़ी प्रत्येक चीज को जानना आसान हो जायेगा।
6. नये पोर्टल के सभी आवश्यक कार्यों को पूर्ण करने वाले एक मोबाइल ऐप की भी व्यवस्था की गयी है। इससे करदाताओं को अपने आईटीआर एवं टैक्स संबंधी सभी कामों को पूरा करने में मदद मिलेगी। इस मोबाइल ऐप को करदाता किसी भी समय मोबाइल नेटवर्क के माध्यम से उपयोग कर सकते हैं।
7. पुराने पोर्टल की अपेक्षा नये पोर्टल में भुगतान प्रणाली को भी अपडेट किया गया है। जहां पहले नेट बैंकिंग, बैंक के माध्यम से चालान व अन्य तरह के भुगतान की व्यवस्था की गयी थी, वहीं अब नये पोर्टल में भुगतान प्रणाली को अपडेट करते हुए नेट बैंकिंग, यूपीआई, आरजीटीएस, एनईएफटी और अन्य पे मोड की सुविधा प्रदान की गयी है। इससे अब आपको पुराने तरीके की तरह चालान नहीं बनवाना पड़ेगा। चालान बनवानें में कम से कम दो दिन का समय खराब होता था। लेकिन अब आपको वेबसाइट में में तत्काल पेमेंट करने की सुविधा मिलेगी। साथ ही आपका टैक्स भर जायेगा और आईटीआर की प्रक्रिया शुरू हो जायेगी और आपको रिफंड भी तत्काल मिल जायेगा।
8. नया पोर्टल आय से संबंधित कुछ विवरणों को पहले से भरने की अनुमति देता है। यह विवरण वेतन, गृह, संपत्ति, बिजनेस, प्रोफेशन से संबंधित हो सकते हैं। इसके अलावा वेतन, आय, ब्याज, लाभांश और पूंजीगत लाभ के विवरण भी विस्तार से पहले ही भरे जा सकते हैं। इन विवरणों को पहले उस समय भरा जा सकता है जब संबंधित संस्थाएं टीडीएस और एसएफटी स्टेटमेंट अपलोड करेंगी।
नये पोर्टल के लिए कर दाताओं को अब क्या क्या करना होगा
करदाताओं को सबसे पहले अपने डिजिटल हस्ताक्षर प्रमाण पत्र (डीएससी) को नये सिरे से रजिस्टर करना होगा क्योंकि पुराने डिजिटल हस्ताक्षर प्रमाण पत्र (डीएससी) सुरक्षा कारणों से नये पोर्टल में स्वीकार्य नहीं होगा।
इसके अलावा अपनी प्रोफाइल में इस्तेमाल की जाने वाली यूजर आईडी और मोबाइल नंबर को नये सिरे से अपडेट करें।
करदाताओं को चाहिये कि वे अपने आधार कार्ड को लिंक करें और बैंक खाते के संबंध में पूर्व में की गयी कार्यवाही को वेरिफाई करें।
नये पोर्टल की खास सुविधाएं
सबसे पहले तो आयकरदाताओं को लम्बे और कठिन यूआरएल से छुटकारा मिल जायेगा। दूसरा करदाताओं को रिफंड में जो समस्या आती थी , वो समाप्त हो जायेगी। इसमें आईटीआर दाखिल करने से लेकर टैक्स पेमेंट की कार्रवाई पलक झपकते ही हो जायेगी। इसके साथ ही रिफंड भी पहले की अपेक्षा बहुत जल्दी मिल जायेगा।
पहले वाले पोर्टल में करदाता को लम्बे-लम्बे फार्म पर दिये जाते थे जिनको भरने में अच्छे-अच्छे वकीलों के भी पसीने छूट जाते थे। नये पोर्टल में इन लम्बे-लम्बे फार्मों की जगह कुछ सवाल पूछे जाते हैं। पोर्टल द्वारा पूछे गये सवालों का जवाब करदाता द्वारा दिया जाता रहेगा और उसकी आईटीआर दाखिल हो जायेगी।
आईटीआर भरने के लिए आपको अपना जो पर्सनल डेटा इधर-उधर खंगालना पड़ता था। उसके कागजात यानी डॉक्यूमेंट तैयार कराने होते थे। उसके बाद उनके अपलोडिंग में समय बर्बाद होता है, जिसके कारण आईटीआर भरने में कई दिनों का समय लग जाता था लेकिन अब नये पोर्टल में आपको इस तरह की कोई परेशान नहीं उठानी पड़ेगी। अब आपका सारा डेटा पहले से भरा मिलेगा। इसमें आपको अपनी बेसिक डिटेल भरी हुई मिलेगी। बेसिक डिटेल्स में
1. सैलरी इनकम
2. बैंक एकाउंट
3. टैक्स पेमेंट डिटेल्स
4. टीडीएस डिटेल्स
5. डिविडेंड इनकम
6. इन्ट्रेस्ट इनकम फ्राम बैंक या पोस्ट ऑफिस
7. शेयर्स/म्युचुअल फंड की हानि-लाभ की डिटेल
इन सभी की जानकारी पहले से भरी हुई आयेंगी। इससे करदाता को किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होगी और आईटीआर पलक झपकते ही भर दाखिल हो जायेगी।
पुराने पोर्टल वाली सुविधाएं नये पोर्टल में भी मिलेंगी
आपको यदि पुराने पोर्टल वाली सुविधाओं की जरूरत होगी तो नये पोर्टल में वो सारी सुविधाएं मिल जायेंगी जैसे ई वेरीफाई इन्कम टैक्स रिटर्न, व्यू एण्ड रिस्पान्ड टू आउटस्टैंडिंग टैक्स डिमांड, फाइल आडिट रिपोर्ट एंड सर्टिफिकेट्स, व्यू टैक्स क्रेडिट स्टेटमेंट (26 एएस), रिक्वेस्ट फॉर इन्टीमेशन्स, रिक्वेस्ट फार रिफंड री-ईश्यू आदि।
मोबाइल से आईटीआर दाखिल करने की सुविधा
युवा करदाताओं की मांग को देखते हुए आयकर विभाग ने आईटीआर को मोबाइल फे्रंडली बनाने की तैयारी कर ली है। करदाता जल्द ही अपना आयकर रिटर्न (आईटीआर) मोबाइल के माध्यम से भी दाखिल कर सकेंगे। आयकर विभाग ने अपने नय टैक्स ई-फाइलिंग पोर्टल को लॉन्च करने के साथ ही इस नए पोर्टल में एक बिल्कुल नया मोबाइल ऐप भी लांच किया है। आयकर विभाग का कहना है कि करदाताओं के लिए स्मार्टफोन के जरिए नए पोर्टल का इस्तेमाल करना आसान होगा।
फोन के व्यापक उपयोग को देखते हुए आयकर विभाग ने ऐसी व्यवस्था की है कि करदाताओं के लिए नए आईटी रिटर्न ई-फाइलिंग पोर्टल और नए मोबाइल ऐप का उपयोग करना आसान होगा। यह करदाताओं को आईटीआर फॉर्म, पहले से भरे हुए आयकर विवरण, सरल आयकर सुविधा, रिफंड दावा और अन्य सुविधाओं जैसी जानकारी इकट्ठा करने में मदद करेगा।
मोबाइल ऐप में कई अन्य विशेषताएं हैं जैसे आपके पास एक टैक्स रिटर्न प्रिपेयरर का पता लगा सकते हैं। अपने करों की गणना के लिए उपकरण, खोज भी खोज सकते हैं। इसके अलावा कई अन्य और भी सुविधाएं हैं।
नये पोर्टल को ऑपरेट करने के लिए करदाताओं को दिया गया मौका
कोरोना काल के दौरान करदाताओं के समक्ष आर्थिक संकट को देखते हुए सरकार ने आयकर रिटर्न फाइल करने की अंतिम तारीख को तीन महीने के लिए बढ़ा दिया है, जो आईटीआर 30 जून तक फाइल की जानी थी उसे बढ़ा कर अब 30 सितम्बर तक कर दी है। इस सुविधा से करदाताओं को काफी राहत मिली होगी। इसके साथ ही कंपनियों को राहत देते हुए सीबीडीटी ने भी अपनी आईटीआर फाइलिंग की अंतिम तारीख 30 नवम्बर तक बढ़ा दी है। आखिरी तारीख के बढ़ाये जाने से उन बिजनेसमैन को आईटीआर दाखिल करने के लिए काफी समय मिल जायेगा। जिससे वह नये पोर्टल पर आईटीआर दाखिल करना आसानी से सीख सकेंगे। सरकार ने आयकर रिटर्न फाइल करने के लिए जारी नये पोर्टल में सारी सुविधाएं ऑनलाइन कर दी हैं। इससे कोई भी करदाता अपने घर या संस्थान से बैठे-बैठे अपना आईटीआर फाइल कर सकता है। उसको किसी जानकार या वकील से सलाह लेने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी।
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