व्यापार यानी बिजनेस में पैसे का उतार-चढ़ाव हमेशा ही बना रहता है। सभी तरह के बिजनेस अक्सर होने वाली सामाजिक व आर्थिक गतिविधियों से प्रभावित होते रहते हैं। इसके अलावा समय-समय आने वाली अनेक तरह की आपदाएं भी व्यापार पर सीधा असर डालतीं हैं। चाहे वह कुदरती आपदाएं तूफान, बाढ़, भूकम्प या महामारी हों या मानव जनित आपदाएं युद्ध, अशांति, आतंकवाद, अशांति, अथवा धार्मिक उन्माद आदि हों अथवा कोई अन्य असामान्य गतिविधियां हों, जिनके बारे में कभी कोई कल्पना नहीं की गयी हो, वो भी व्यापारिक गतिविधियों में अपना दुष्प्रभाव डालतीं हैं।
चार तरह के होते हैं संस्थान
समूचे विश्व में चार तरह के व्यापारिक संस्थान होते हैं। सबसे पहले संस्थान वो होते हैं जो कारपोरेट जगत की विशाल कंपनियों के माध्यम से पूरे विश्व में अपना व्यापार करते हैं। इनकी शाखाएं अनेक देशों में होती हैं। जिन्हें एमएनसी कंपनीज कहा जाता है। ये मल्टीनेशनल कंपनियां बहुत भारी मुद्रा वाली कंपनियां होती हैं, जिनके पास अरबों-खरबों का इमरजेंसी फंड होता है। इस तरह की कंपनियां किसी तरह की आपदा आने पर उसका आसानी से सामना कर लेतीं हैं।
- इसके बाद दूसरे तरह के व्यापारिक संस्थान किसी देश की राष्ट्रीय स्तर की कंपनियां या व्यापारिक संस्थान होते हैं। ये भी काफी अच्छे पैसे वाले होते हैं। इनके समक्ष भी आपदा के समय संकट झेलने का कोष होता है।
- इसके अलावा मध्यम दर्जे के व्यापारिक संस्थान होते हैं, वे कुछ समय के लिए ऐसे संकटों का सामना कर सकते हैं।
- इसके बाद मध्यम लघु स्तर के व्यापारिक संस्थान होते हैं जो इस तरह के संकटों का सामना करने में सक्षम नहीं होते हैं और वे अक्सर डूब ही जाते हैं।
1. कोविड-19 ने छोटे संस्थानों की बिगाड़ी हालत
व्यापार जगत के विशेषज्ञों ने इन लघु स्तर यानी स्माल स्केल के बिजनेस को बचाने के लिए कुछ तरकीबें सोचीं हैं। हालांकि कम पूंजी वाले ये स्माल स्केल के बिजनेस काफी नाजुक स्थिति में हमेशा रहते हैं। इनकी पूंजी काफी कम होती है, इसलिये थोड़ा सा भी झटका बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं और लड़खड़ाने लगते हैं। हाल ही में कोविड-19 की महामारी के दुष्प्रभाव के चलते अनेक छोटे स्तर के व्यापारिक संस्थान बंद हो गये या बंदी की कगार पर पहुंच गये हैं। अभी कुछ महीनों में अनलॉक की स्थिति में व्यापारिक संस्थानों को कुछ संभलने का मौका मिला था लेकिन फिर कोविड-19 की महामारी के बढ़ते प्रकोप ने फिर से संकट उत्पन्न कर दिया है। इस गहराते संकट के बावजूद इन्हीं लघु उद्यमियों की लड़खड़ाती स्थिति को देखते हुए इस बार सरकार ने पूरे देश में सम्पूर्ण लॉकडाउन नहीं लगाने का फैसला किया है।
2. कटौतियां करके छोटे संस्थानो को बचाने के उपाय
अब व्यापार जगत के विशेषज्ञों ने विचार किया है कि इन लड़खड़ाने वाले व्यापारिक संस्थानों को विपदा के समय किस तरह बचाने के उपाय किये जा सकते हैं। इस विचार-विमर्श से स्माल स्केल बिजनेस वालों के लिए काफी अच्छी संभावनाएं निकल कर सामने आयीं हैं। इन विशेषज्ञों के अनुसार कुछ अनावश्यक खर्चों की कटौती करके छोटे व्यापार को ऑक्सीजन दी जा सकती है। कम पैसे में भी छोटा कारोबार चलाया जा सकता है। इन उपायों को खोजने के बाद जो लाभकारी टिप्स सामने आये हैं, उनमे से कुछ खास टिप्स इस प्रकार हैं:-
3. महंगे विज्ञापनों की जगह फ्री सोशल मीडिया का करें इस्तेमाल
यदि कोई छोटे स्तर का व्यापारिक संस्थान अपने व्यापार को चमकाने के लिए लोकल न्यूज पेपर, लोकल टीवी चैनल, एफएम रेडियो पर महंगे विज्ञापन और पम्पलेट, पोस्टर, बैनर, होर्डिंग आदि पर भारी राशि खर्च कर रहे हों। उन्हें तत्काल रोक देना चाहिये। इसकी जगह पर सोशल मीडिया के फ्री प्लेटफार्म फेसबुक, गूगल माई बिजनेस, इंस्टाग्राम, ट्विटर, लिंक्डइन,यू ट्यूब आदि का इस्तेमाल करना चाहिये। ये व्यापारिक संस्थान शायद यह भूल रहे हैं कि आज का जमाना युवाओं का जमाना है। प्रत्येक युवा के हाथ में एंड्रॉयड फोन और इंटरनेट है। आपको अपने संस्थान का प्रचार सोशल मीडिया के प्लेटफार्म जितने प्रभावी साबित हो सकता है उतना ये लोकल महंगे विज्ञापन प्रभावी नहीं हो सकता हैं। इन विज्ञापनों के माध्यम से आपको अच्छी संख्या में ग्राहक भी मिल सकते हैं। इस तरह से बिना किसी अतिरिक्त खर्च के आपके संस्थान का प्रचार भी जो जायेगा और आपके पैसे भी बचेंगे, जो व्यापार के मूल उद्देश्य के खर्च के काम आयेंगे।
4. कागजी लिखा पढ़ी को पेपरलेस में बदलें
यदि आप अपना व्यापारिक कामकाज की लिखा-पढ़ी कागजों पर करते हैं। आप यह विचार कीजिये कि आप इस तरह की लिखा-पढ़ी पर दोहरा खर्च कर रहे हैं। पहले स्वयं हाथों से उनको लिखते हैं और फिर उनको कम्प्यूटराइज कराकर उनका प्रिंट लेते हैं तो आपको एक ही काम के लिए दो बार कागज पर खर्च करना पड़ता है फिर उसके बाद उसके लिए कम्प्यूटर, प्रिंटर व स्याही आदि पर भारी खर्चा करना पड़ता हैं। इन सारे खर्चों की कटौती करके कोई एक फ्री ऐप डाउनलोड करके सारा काम डिजिटली कर लें। कागजी लिखा-पढ़ी का अच्छा और सुनियोजित प्रबंधन ऐप के माध्यम से किया जा सकता है। इस तरह से इस मद पर होने वाले खर्च को बचा कर उस राशि को व्यापारिक कामों में लाया जा सकता है। ये ऐप आपको उस समय काफी सहायता दे सकते हैं जब संस्थान के टैक्सेशन संबंधी कार्य किये जाते हैं। इन ऐप से सारी जानकारी एक पल में सामने आ जाती है जबकि बही खाते व रजिस्टरों को खंगालना पड़ता है। इससे इस असुविधा से बचा जा सकता है और बचत होगी वो अलग से। देखने में यह इस मद पर खर्च होने वाली छोटी राशि जरूर मालूम हो सकती है लेकिन ऐसी ही कई छोटी-छोटी राशियां मिलकर एक बड़ी राशि बन सकती है। क्योंकि कहा गया है कि बूंद-बूंद से ही घड़ा भरता है।
5. समय की कीमत पहचानो
छोटे व्यापारियों को समय की कीमत पहचाननी होगी। सबसे अधिक समय व्यापार को देना होगा। आपको सबसे पहले संस्थान की व्यापारिक स्थिति का आंकलन करना चाहिये। जहां पर कोई कमी दिख जाये उसे पूरा करने के लिए कोशिश में जुट जाना चाहिये। चूंकि आपके व्यापार की पूंजी कम है तो आपको अपना व्यापार आगे बढ़ाने के लिए हमेशा सोचते रहना चाहिये। मार्केटिंग और प्रचार प्रसार किसी भी व्यापार के लिए ऑक्सीजन के समान होता है। आपको जितना अधिक से अधिक मौका मिले ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों तरह से मार्केटिंग करनी चाहिये। इसके अलावा जब भी आपको समय मिले रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट मैनेजमेंट करके कुछ नया इन्नोवेटिव काम करते रहना चाहिये। ताकि आपके उस इन्नोवेटिव काम से आप अपने ग्राहकों का ध्यान अपने संस्थान की ओर आकर्षित कर सकते हैं। इससे आपके बिजनेस को काफी लाभ मिलेगा। कोई बचत भले न हो लेकिन इससे बिजनेस के आगे बढ़ने की संभावनाएं तो बढ़ जायेंगी। इसलिये छोटे व्यापारियों को चाहिये कि वे समय को धन में परिवर्तित करने की कोशिश करें।
6. बिजनेस अकाउंटिंग के लिए महंगे सॉफ्टवेयर को हटायें
यदि आपने अपने बिजनेस की एकाउंटिंग को संभालने के लिए किसी के बहकावे में आकर कोई महंगे सॉफ्टवेयर ले रखे हों तो आपको सबसे पहले इन सॉफ्टवेयर पर होने वाले खर्चों को तुरन्त रोकें। इनकी जगह पर इंटरनेट पर उपलब्ध कई फ्री सॉफ्टवेयर डाउनलोड करके उससे फायदा उठायें। कई फ्री सॉफ्टवेयर ऐसे हैं जो आपके महंगे सॉफ्टवेयर से अच्छे हैं और आपकी एकाउंटिंग मैनेजमेंट में सहायक भी हैं। ये सॉफ्टवेयर सरकारी स्तर पर भी उपलब्ध कराये जाते हैं। इन सॉफ्टवेयर से आप टैली का भी काम कर सकते हैं और एकाउंट मैनेजमेंट का भी काम कर सकते हैं, जो आपको टैक्सेशन के समय भी काम आयेगा। इसके अलावा आप जीएसटी का भी काम कर सकते हैं, जिससे आपको पेमेंट के लेन-देन में काफी सहायता मिल सकती है। इन फ्री सॉफ्टवेयर से आप एसएमएस के जरिये अपने बकाये का तकादा भी कर सकते हैं। व्हाट्सऐप मैसेज से आप उन लोगों को अपने पैसे के लिए रिमाइंडर भी भेज सकते हैं जिन्होंने काफी समय से आपके बकाये का भुगतान नहीं किया है। आपको इस काम में आने वाले फ्री सॉफ्टवेयर की जानकारी हासिल करनी होगी और ये सॉफ्टवेयर को लेकर अपना पहले से हो रहे खर्च पर अंकुश भी लगा सकते हैं। यह बचत भी आपके किसी अन्य जरूरी काम में लगेगी और आपकी आय बढ़ाने में सहायक बन सकती है।
7. अपने सप्लायर से डिस्काउंट आदि देने को कहें
व्यापार में प्रत्येक वस्तु में सप्लायर से सौदेबाजी नहीं होती है लेकिन कई ऐसी भी वस्तुएं भी हैं जिनमें सप्लायरों से सौदेबाजी भी होती है। इसके अलावा सप्लायर अपनी ओर से बिजनेस मैन को कई तरह के डिस्काउंट भी देते रहते हैं। आपको अपने सप्लायर से सौदेबाजी करनी चाहिये। यह तो आपका अधिकार भी है। सप्लायरों को यह बता भी देना चाहिये कि आपका बजट किस प्रकार का है, इसमें निगोशियेबल प्रोडक्ट की जरूरत रहती है। साथ ही यह भी बता दें कि आपका बिजनेस छोटे लेबल का है। इसमें किस तरह से ही पेमेंट हो पायेगा। इससे सप्लायर और आपको दोनों को ही किसी प्रकार की परेशानी नहीं होगी। छोटे स्तर के बिजनेसमैन को चाहिये कि वे अपने सप्लायर से समय-समय पर अपने डिस्काउंट व निगोशियेशन वाली राशि लेते रहें। ये राशि भी आपके बिजनेस के लिये सहायक साबित हो सकती है। इस राशि को काफी सोच समझ कर सही जगह पर इन्वेस्ट करें। क्योंकि पूंजी का अधिक से अधिक सदुपयोग करके अधिक से अधिक आय कमाना ही बिजनेसमैन का मुख्य उद्देश्य होना चाहिये। अपने भले की बात कोई विशेषज्ञ कह रहा हो तो उसे मान कर एक बार आजमाने में क्या नुकसान हुआ जा रहा है। इस तरह के प्रयास करने से आपको महीनो में हजारों रुपये भी बचे तो आपकी बिजनेस एसेट्स जल्दी ही बढ़ जायेगी।
8. संस्थान के मैनेजमेंट में समय अधिक दें
यदि आप अपने संस्थान की अच्छी तरह से देखभाल नहीं करते हैं तो आप अपने संस्थान का अच्छा प्रबंधन भी नहीं कर सकते हैं। इससे आपके व्यापार में उतनी प्रगति नहीं हो पायेगी जितनी होनी चाहिये। इसके लिए आपको अपने संस्थान में रखी वस्तुओं की सूची बनाकर उनकी लगातार मॉनिटरिंग करनी होगी। आपको वस्तुओं की सूची में उन-उन वस्तुओं को छांटना होगा जो बहुत दिनों से बिक नहीं रहीं हैं। उसकी एक्सपायरी डेट अभी बाकी है और उसे वापस भी किया जा सकता है। आप उसे वापस करके उसके बदले में वो चीजें ले सकते हो जो सबसे अधिक बिकतीं हों। इसी तरह एक्सपायरी डेट का भी मैनेजमेंट करना होगा। जिस वस्तु की एक्सपायरी डेट नजदीक हो उसे सबसे आगे रखकर सबसे पहले उसे बेचना होगा। वरना नई चीज आकर बिक जायेगी और पुरानी चीज की डेट एक्सपायर हो जायेगी। एक बार डेट एक्सपायर हो जाने के बाद वो चीज घाटे में आ जायेगी। क्योंकि ग्राहक तो उस वस्तु को लेगा नहीं और वो वस्तु वापस भी नहीं होगी। इसलिये इस ओर विशेष ध्यान देना होगा। इसके अलावा आपको इस सूची में उन वस्तुओं को प्राथमिकता देनी होगी जिसको बेचने से अधिक लाभ होता है। कम लाभ वाली वस्तुओं को कम से कम रखना होगा। इस तरह से आपके बिजनेस में काफी अंतर आयेगा और आपको लाभ भी अधिक होगा। यदि आप यह काम मैनुअली कर सकते हैं यानी अपने हाथों से कर लें तो सबसे बेहतर रहेगा वरना इस काम के लिए किसी फ्री सॉफ्टवेयर की तलाश कर लें। उससे यह काम आसानी से और बहुत जल्दी, बहुत अच्छे तरीके से हो जायेगा। आपको अपने अन्य कामों के लिए समय मिल जायेगा।
9. ऑनलाइन व्यापार पर भी करें विचार
अपने व्यापार को आगे बढ़ाने के लिये यानी तरक्की की राह पर ले जाने के लिए बिजनेसमैन को हर तरह की कोशिश करनी चाहिये। आपका व्यापार छोटे स्तर का है और उसे बढ़ाने का हौसला आपके अंदर है तो आप ऑनलाइन बिजनेस में भी हाथ आजमा सकते हैं। इसके लिए आप अपनी वेबसाइट बनवाने की अपेक्षा ई कॉमर्स कंपनियों के साथ सेलर एकाउंट स्थापित करके काम करेंगे तो अधिक फायदा होगा। क्योंकि ये ई कामॅर्स कंपनियां मार्केटिंग और इन्वेन्टरी पर बहुत अधिक खर्चा करती है। आपको उनसे मिलने वाले ऑर्डर की बहुत अच्छे तरीके से डिलीवरी करानी होगी। इसके बाद आपके बिजनेस को रफ्तार मिलने लगेगी। ऑनलाइन बिजनेस में आॅफ लाइन व्यापार से अधिक संभावना रहती है। इसलिये इसका लाभ उठाने की पूरी कोशिश करनी चाहिये।
10. थोक में सामान खरीदना है अच्छा आइडिया
थोक में सामान खरीदना बिजनेस मैन की चालाकी का परिचय देता है। थोक में सामान खरीदने से कोई वस्तु फुटकर की अपेक्षा काफी सस्ती मिलती है। जिससे दुकानदार का मुनाफा बढ़ता है। यह तरीका बिजनेस को बढ़ाने के लिए बहुत अच्छा है। इसके साथ यह भी विचार करना होगा कि क्या एक वस्तु को थोक में खरीदने से आपका बजट तो नहीं बिगड़ जायेगा। इसके लिए आपको योजना बनानी होगी। आपको थोक व्यापारी से अपनी मनचाही वस्तु को थोक में खरीदने की इच्छा प्रकट करनी चाहिये। साथ ही यह भी बता देना चाहिये कि उनके व्यापार की स्थिति ऐसी नहीं है कि इस थोक वस्तु का पूरा दाम एक बार में दिया जा सके। हमें आप थोक रेट में यह सामान दे तो दें लेकिन इसके लिए जरूरी पहली किश्त तो आप अभी ले लें और उसके बाद का पूरा पैसा कई किश्तों में ले लें । थोक व्यापारी आसानी से मान जायेगा क्योंकि उसका माल थोक में बिक रहा है। बस आपको करना यह है कि थोक व्यापारी से तय की गई किश्त का समय पर भुगतान अवश्य कर दें। इसका आपको कई तरह से लाभ मिल जायेगा। इस तरह से आपको थोक में सामान भी मिल जायेगा। उसको बेच कर मुनाफा भी अधिक मिलेगा। यदि पेमेंट आपने सही समय पर कर दिया तो थोक व्यापारी का आप पर विश्वास जम जायेगा। भविष्य में कभी कोई चीज आप मांगेंगे तो थोक व्यापारी आपका रिकार्ड देखकर कभी इनकार नहीं करेगा।
11. ऑफर वाली स्कीमों पर हमेशा नजर बनाये रखें
व्यापारी की नजर हमेशा अपने व्यापार के प्रति सतर्क रखनी होगी। कई बार कई कंपनियां अपना माल बेचने को बढ़ावा देने के लिए अच्छे-अच्छे आफर वाली स्कीमें चलातीं हैं। इनसे व्यापारियों को अच्छा लाभ मिलता है। ये ऑफर कुछ दिनों के लिए ही आते हैं। इस दौरान व्यापारियों को इन ऑफर वाली स्कीमों को लेने से चूकना नहीं चाहिये। इस तरह के माल से ग्राहक को भी फायदा होता है। तो वह भी इस तरह के माल को अधिक खरीदना चाहता है। इससे आपके दुकान की बिक्री बढ़ेगी और साथ ही में मुनाफा भी बढ़ेगा।
12. फर्नीचर व आवश्यक सामग्री सेकेन्ड हैंड खरीदें
आपको अपने संस्थान में इस्तेमाल की जाने वाला साधारण फर्नीचर, लैपटॉप, प्रिंटर आदि को अच्छी कंडीशन वाले इस्तेमाल किये गये सेकेंड हैंड खरीदने चाहिये। इससे इन पर लगने वाली लागत में बचत होगी। कभी कभी ये सेकेंड हैंड चीजें नई चीजों से अच्छी मिल जाती हैं। सेकेंड हैंड चीजें खरीदते वक्त काफी मोलभाव करना चाहिये और उसे कम से कम दाम पर खरीदना चाहिये।
13. दुकान के सामने वाली जगह को किराये पर दे दें
आपकी दुकान या संस्थान मेन मार्केट में हो और उसके सामने काफी जगह खाली पड़ी हो तो उसका इस्तेमाल करें। उस खाली स्थान को किसी छोटे दुकानदार या स्टाल लगाने वाले को किराये पर दे दें । ऐसी जगह की तलाश में बहुत से लोग रहते हैं। जो शाम के दो-तीन घंटे काम करके अपनी रोजी रोटी कमाना चाहते हैं लेकिन मेन मार्केट में महंगी जगह नहीं खरीद सकते हैं। इसका लाभ आप उठाकर उन्हें वो जगह देकर उसके बदले में किराया ले सकते हैं।
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