भारत को कृषि प्रधान देश कहा जाता है। गांवों में रहने वाले 70 प्रतिशत किसान को अन्नदाता और भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहा जाता है। पूरे देश की जनता का पेट भरने वाला असली किसान स्वयं भूखा रह जाता है। कभी-कभी तो किसानों को मुफलिसी में आत्महत्या जैसे अमानवीय घातक कदम उठाना पड़ जाता है। एक मोटे अनुमान के अनुसार देश में 1990 से लेकर अब तक लगभग 3 लाख किसानों ने अनेक समस्याओं से तंग आकर आत्महत्याएं कर लीं हैं। किसान नेताओं ने किसानों की समस्याओं ओर सरकारों का ध्यान आकृष्ट करने के लिए समय-समय पर आंदोलन किये हैं। लेकिन इनकी समस्यायें जस की तस बनी हुई हैं। जिनसे उन्हें रोजाना रूबरू होना पड़ता है।
कर्ज में फंसकर आत्महत्या कर चुके हैं किसान
भारत की माटी से जुड़े अधिकांश किसान गरीबी, भुखमरी के शिकार रहते हैं। अशिक्षित होने के कारण किसान को दर-दर भटकना पड़ता है तथा चालबाज अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा इनको ठग लिया जाता है। इसके अलावा अशिक्षा के कारण ये किसान खेती-किसानी की वैज्ञानिक रीतियों से अनभिज्ञ रहते हैं। इसके कारण वे अपनी जमीन पर सही फसल नहीं ले पाते हैं। जब उनको खेती से लाभ पूरा नही मिल पाता है तो उनके हाथ में पैसा नहीं पहुंच पाता है। पैसे के अभाव में उनकी जिंदगी नरक बन जाती है। कभी कभी ये किसान फसल के लिए साहूकारों, महाजनों से ब्याज पर उधार पैसा ले लेते हैं और दुर्भाग्य से उसी साल उनकी फसल प्राकृतिक आपदा से नष्ट हो जाती है तो ये भावुक किसान कर्ज अदा करने की चिंता में फांसी के फंदे को गले से लगा लेता है। पूरा परिवार चौपट हो जाता है। किसान की प्रमुख समस्याएं ये हैं:-
1. गरीबी
2. अशिक्षा
3. जमीनी विवाद
4. अच्छे बीज की कमी
5. सिंचाई के साधनों का अभाव
6. फसलों के भंडारण की कमी
7. आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपैया
8. दलालों, आढ़तियों की मनमानी
9. परिवहन की समस्या
तो आइये जानते हैं कि किसान रोजमर्रा के जीवन में किन-किन तरह की समस्याओं से रूबरू होता है और उनके समाधान क्या हो सकते हैं:-
1. गरीबी
देश की 70 प्रतिशत आबादी आज भी खेती-किसानी से जुड़ी है। इन किसानों की प्रमुख समस्या गरीबी है। गांवों में खेती करने वाले छोटी जोत के किसान ही असली किसान है। बाकी बड़ी जोत वाले किसान तो किसान कम व्यापारी ज्यादा बन गये हैं । ये बड़े किसान छोटे किसानों से अपनी जमीन पर खेती करवाते हैं। छोटा किसान सुबह से शाम तक अपने खेतों में काम करता है । इसके बावजूद उसके परिवार का ही गुजारा मुश्किल से हो पाता है। इतनी समस्याएं होतीं हैं कि छोटा किसान कुछ भी सोच नहीं पाता है। वह जब किसी सम्पन्न व्यक्ति को देखता है तो वह सोचता है कि काश हम भी उसकी तरह अमीर बन जायें। यही सोचकर वो टेंशन में रहता है।
उबरने के उपाय
छोटे जोत वाले किसान को खेती किसानी की टेकनीक बदलनी चाहिये। पारंपरिक फसलों की जगह आधुनिक नगदी की फसलों पर ध्यान देना चाहिये। इसके साथ ही पूरा परिवार जब खेती में लगा रहता है तो किसान को थोड़ी मेहनत-मशक्कत करके परिवार के एक सदस्य को खेती किसानी के काम से फ्री कर देना चाहिये। ताकि उससे गांव में काम आने वाले किसी सहायक बिजनेस को कर लेना चाहिये। यदि किसान थोड़ा पढ़ा लिखा है तो वह बैंक कर्मचारियों से बात करके उनसे किसानों को लाभ देने वाली सरकारी योजनाओं के बारे में बात करनी चाहिये। उसके तहत लोन आदि की व्यवस्था करके अपना बिजनेस शुरू चाहिये। इससे उसकी गरीबी दूर हो सकती है। एक बार बिजनेस चल गया तो उसके परिवार का भविष्य सुधर जायेगा।
2. अशिक्षा
भारतीय किसानों में सबसे बड़ी बुराई या समस्या यह है कि वह अशिक्षित है। किसानों के घर में बच्चा पैदा होने के पांच साल बाद ही खेतों को जाने लगता है। पहले खेलकूद में लगा रहता है फिर उसे खेती के काम में लगा दिया जाता है। फिर वो खेती के काम में ही लग जाता है क्योकि बूढ़े हो रहे पिता के काम में हाथ बटाना होता है। यही करते-करते वो समय निकल जाता है जब उसे स्कूल जाकर पढ़ना होता है। एक बार उम्र निकल गयी तो फिर वो अनपढ़ ही रह जाता है। आज के मॉडर्न युग में अनपढ़ रह जाना सबसे बड़ा अभिशाप है। इस समस्या से किसानों को रोजाना ही रूबरू होना पड़ता है, जब वह कोर्ट, कचेहरी या बैंक में काम से जाता है, या बाजार में कोई सामान खरीदने जाता है। तब वो सोचता है कि काश समय पर पढ़ लिया होता तो आज ये परेशानी न होती। अशिक्षा के कारण अनेक सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने से वंचित रह जाता है। शिक्षा के अभाव में सरकारी अधिकारी व कर्मचारी उसे ठग भी लेते हैं। किसान को अपनी इस समस्या के कारण उपहास का पात्र भी बनना पड़ता है।
उपाय
हमारे यहां एक कहावत प्रसिद्ध है कि जब जागो तब सबेरा। यदि लगता है कि पढ़ाई-लिखाई के बिना जीवन में बहुत सी परेशानियां आतीं हैं तो किसान को पढ़ाई के लिए कोशिश करनी चाहिये। इसके लिए किसान को किसी स्कूल में जाने की जरूरत नहीं है। गांव में पढ़े-लिखे किसान साथी या गांव में ही पढ़ने वाले युवको से मदद लेकर थोड़ी बहुत पढ़ाई कर सकते हैं। इसके अलावा आजकल तो बिना पढ़े लिखे लोग भी मोबाइल चला लेते हैं। मोबाइल चला लेते हों तो उसमें अपने मतलब की ट्यूटोरियल वीडियो देखकर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा किसान यदि खुद अपने अनपढ़ होने से परेशान हैं तो अपनी संतान को पढ़ावें और पढ़ाने के बाद उसके माध्यम से साक्षर हो जायें। साक्षर होने का मतलब हिन्दी या क्षेत्रीय भाषा में पढ़ना लिखना जानना होगा। इसके बाद किसान सरकारी योजनाओं के लाभ आदि के बारे में आसानी से जान सकता है। उसका लाभ भी मिल सकता है।
3. जमीनी विवाद
देश में कृषि भूमि के मालिकाना हक को लेकर अक्सर विवादों का सामना किसानों को करना होता है। किसानों पुलिस, तहसील, कचेहरी के चक्कर लगाते होते हैं। जमीन संबंधी विवादों मुकदमें इतने लम्बे समय तक चलते हैं कि कई-कई पीढ़ियां गुजर जातीं हैं और फैसले नहीं आ पाते हैं। इसके लिए किसान को कानूनी कार्रवाई करने के लिए अनेक पापड़ बेलने पड़ते हैं। काफी पैसा खर्च करना होता है।
उपाय
जमीन से जुड़े विवादों का समाधान अदालत से ही निकलता है। इसके लिए किसानों को सामूहिक प्रयास करना चाहिये। अपनी समस्याओं को प्रधानों के माध्यम से सरकार तक पहुंचाना चाहिये। उनसे मांग करनी चाहिये कि वो उनकी समस्याओं के समाधान के लिए अदालती कार्रवाई में तबदीली लाये। कृषि भूमि से जुड़े विवादों को फास्ट ट्रैक कोर्ट के माध्यम से निपटाने की मांग करनी चाहिये।
4. अच्छे बीज की कमी
किसानों को अच्छे बीजों की कमी का सामना करना होता है। अच्छे बीज से फसल अच्छी हो सकती है, यह जानते हुए सीजन के समय इनके रेट इतने अधिक बढ़ा दिये जाते हैं जो आम किसान की क्षमता से बाहर हो जाते हैं। बड़े किसान तो इन बीजों को खरीद लेते हैं लेकिन छोटा किसान बेचारा देखता रह जाता है। नतीजा यह होता है कि बड़ा किसान तो अच्छी खासी फसल पैदा कर लेता है और छोटा किसान और पिछड़ जाता है।
उपाय
अच्छा बीच मिलना वास्तव में किसान के लिए फायदे का सौदा होता है। जब आपके गांव में बडेÞ किसान अच्छा बीज ले आते हैं तथा वह जब फसल ले लेते हैं तो फसल के समय ही उनसे बीज के लिए उस अनाज को अपनी जरूरत भर का ले लेना चाहिये। उस समय आसानी से और सस्ते दाम पर मिल जायेगा। लेकिन उसको अगले सीजन तक बचा कर रखने की जुगत करनी होगी। इसके अलावा सहकारी व सरकारी बीज भंडारों में जाकर अच्छे बीज लिये जा सकते हैं जहां पर अच्छी किस्म के बीज सस्ते दाम पर मिल सकते हैं।
5. सिंचाई के साधनों का अभाव
पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सिंचाई के अच्छे साधन होने के कारण वहांं के किसानों को अच्छी फसल मिल जाती है। बाकी देश में कई ऐसी जगहें हैं जहां पर किसान को कुदरत के सहारे रहना पड़ता है। बुंदेलखंड का इलाका ऐसा ही है, जहां पर किसान भगवान के सहारे अपने खेतों में बीज बिखेर कर आ जाता है। यदि सही समय पर वर्षा हो गई तो समझो सोने की बरसात हो गई नहीं तो बीज तक नही लौट पाता है। किसान को सिंचाई के साधनों के अभाव में फसल को लेकर टेंशन रहती है।
उपाय
जहां पर सिंचाई के साधन नहीं हैं और पहाड़ी और पथरीली व रेगिस्तानी जगह होने से वहां पर सिंचाई के साधन बनाये भी नहीं जा सकते हैं। वहां पर कुदरत के सहारे रहना पड़ता है। लेकिन जहां पर कुछ नमी रहती है और जमीन उपजाऊ है तो वहां के किसानों को चाहिये कि अपनी जमीन की जांच करवा कर उसके हिसाब के संभावित फसलों के बीजों का चयन करें। आजकल वैज्ञानिकों ने अनेक कम पानी व कम समय वाली फसलों के बीजों की खोज की है। ऐसे बीज किसानों के लिए सहायक साबित हो सकते हैं।
6. फसलों के भंडारण की कमी
किसानों के पास अपनी फसल को स्टोर करके महंगे दाम बेचने की सबसे बड़ी समस्या यह है कि फसलों को कहां पर भंडार करें। भंडारण की व्यवस्था न होने के कारण किसानों को अपनी फसल को आधे-अधूरे दामों पर ही बेचना पड़ जाता है। सारी फसल बेचकर किसान जब अपनी जरूरतों को पूरा नहीं कर पाता है तो उसे उस समय काफी टेंशन होती है।
उपाय
किसान को आपस के सहकारी गोदामों को देखकर उनमें सस्ती दरों पर सामान को रखने के सुविधा को तलाशना होगा। किसानों को चाहिये कि वो प्रधानों, जिला पंचायत अध्यक्षों, विधायकों से सहकारी गोदाम बनवाने की मांग करनी चाहिये। इस बारे में किसान संगठनों के माध्यम से सरकारों को सुझाव व मांगों को भिजवाना चाहिये ताकि सरकार उनके लिए गोदाम बनवाये और उसकी सुविधा का लाभ केवल उसी क्षेत्र के किसानों को मिले, जिस क्षेत्र की योजना से गोदाम बन रहे हों।
7. आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया
किसान दोहरी समस्या का शिकार होता है। जहां उसको खेती-किसानी करना रोज-रोज महंगा पड़ रहा है। आये दिन डीजल, बीज, खाद व अन्य खेती से जुड़े साधन महंगे होते जा रहे हैं, जिससे किसान की समस्या बढ़ती रहती है। वहीं जब वो सारी मुसीबतें उठाकर अपनी फसल तैयार करता है तो मार्केट में सप्लाई अधिक होने से उसकी फसल बहुत सस्ती हो जाती है।
उपाय
खेती-किसानी के काम आने वाले सारे साधनों की महंगाई दिनोंदिन बढ़ने के कारण फसल उत्पादन करना महंगा हो रहा है। ये तो किसान की सबसे बड़ी समस्या है। इस समस्या का सामना किसान को करना ही होगा लेकिन जो फसल औने-पौने दाम में किसान बेचने को मजबूर होना पड़ता है, उस बारे में जरूर कुछ किया जा सकता है। उसमें किसान को थोड़ा अपडेट होना होगा और उन मार्केट में अपना फसल बेचना होगा जहां पर उनके उत्पादन की कीमत अच्छी मिल सकती हो। आजकल मोबाइल फोन और इंटरनेट काफी सस्ते और सुलभ हैं, जिनकी मदद से ऐसी जगह को आसानी से तलाशा जा सकता है। इसमें किसान को थोड़े से प्रयास अधिक करने होंगे तो उन्हें काफी लाभ भी मिल सकता है।
8. दलालों, आढ़तियों की लूट
किसानों के पास पैसा केवल फसल के आने के समय ही रहता है। बाकी समय उसका हाथ तंग ही रहता है। ऐसे में बीमारी, शादी आदि किसी तरह के खर्चे वाला काम आ जाता हैं तो उसे कर्जा लेना पड़ जाता है। उसके लिये उन्हें पुराने आढ़तियों, दलालों का सहारा लेना पड्ता है। जो ब्याज की ऊंची दरों पर पैसे दे देते हैं और फसल तैयार होने के समय उनकी फसलों को सस्ती से सस्ती खरीद कर किसानों का शोषण करते हैं।
उपाय
किसानोंं को चाहिये कि वो आज के मॉडर्न जमाने में आढ़तियों, दलालों से उधार पैसा लेना बन्द कर दें। हालांकि ये मुश्किल काम है। क्योंकि किसानों को अपने पुराने रिश्तों के आधार पर आढ़तियों पर अधिक भरोसा रहता है जबकि ये गलत है। किसान बैंकों से आसान किश्तों पर सरकारी योजनाओं के तहत कम ब्याज पर उधार लेकर काम चला सकते हैं। इससे उनका फसल पर होने वाला शोषण तो बच सकता है। इसके अलावा दूसरा उपाय यह है कि खेती से जुड़ा को छोटा उद्योग जैसे पशुपालन, मछली पालन, मधुमक्खी पालन, अचार, पापड़ बनाने का काम करके अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर लें। ताकि वक्त-बेवक्त उन्हें किसी के सामने हाथ न फैलाना पडेÞ। इससे वे आढ़तियों, दलालों के हाथों लुटने से बच सकते हैं।
9. परिवहन की समस्या
भारत के गांवों में आज भीं पक्की सड़कों का अभाव है। इन गांवों में रहने वाले किसानों को मीलों दूर चलने के बाद वाहन मिल पाता है। इसके कारण वह अपनी फसल बाहर नहीं भेज पाता है। इसके कारण उसे अपनी लोकल बाजार सा स्थानीय व्यापारी को आधे अधूरे दामों पर मजबूरी में बेचनी पड़ती है। इससे वो हमेशा मायूस रहता है।
उपाय
इस समस्या के समाधान के लिए किसानों को सहकारी उपाय तलाशने होंगे। फसल एकसाथ ही कटती है और सभी किसानों को अपनी फसल एक ही जगह मंडी में ले जानी होती होगी। उस समय जब फसल कट जाती है तो गांवों तक कई वाहन आ भी सकते हैं। बेहतर होगा कि ट्रैक्टर ट्रॉली को मिलजुलकर सभी किसान किराये पर चलवाये। अधिक नहीं तो खेतों से वहां तक ट्रैक्टर से फसल को ढोया जा सकता है जहां से ट्रक वगैरह साधन मिल सकते हों। इससे काफी हद तक सुविधा हो सकती है।
यह भी पढ़ें :
1) छोटे बिज़नेस व्यापारी कैसे करें अपने स्टाफ़ को मैनेज?
2) बिज़नेस शुरू करने से पहले जान लें ये क़ानून
3) कैसे शुरू करें दुपट्टे का बिज़नेस?
4) कैसे दाखिल करें इनकम-टैक्स ऑनलाइन? पढ़िए स्टेप-बाई-स्टेप गाइड
5) OK Credit क्या है? कैसे ये आपका बिजनेस बढ़ाने में सहायक है?