आज हम बैंकिंग की दुनिया में काफी आगे बढ़ चुके हैं। देश में जहां रोजगार प्राप्त युवाओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है, वहीं देश में तेजी से बैंकों की संख्या भी बढ़ रही है। अपने-अपने ग्राहकों को अधिक से अधिक सुविधा देने के लिए बैंकों के बीच होड़ लगी हुई है। आज की भाषा में खाता धारकों को बैंक घर बैठे अनेक सुविधाएं देते हैं, जिसमें डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड भी शामिल हैं। लेकिन इन दोनों कार्डों का काम अलग-अलग होता है और दोनों के बारे में कस्टमर के अधिकार अलग-अलग होते हैं।
कैसा था बैंक के कामकाज का पुराना जमाना
पुराने जमाने में बैंकों में पैसा जमा करने और पैसा निकालने का काम बहुत टेढ़ा होता था। पहले बैंकों में जाकर जमा करने वाली या निकलने वाली स्लिप भरो और बैंकों में कस्टमर्स की लम्बी-लम्बी लाइनों में लगकर अपनी बारी आने का इंतजार करो। बारी आने के बाद जमा करने गये हैं तो बैंक अधिकारी हाथों से सारे नोटों को एक-एक कर कई बार गिनता था, उसके बाद उसे जमा करने के लिए एक रजिस्टर में आपके खाता नंबर को खोजने के बाद उसमें जमा करता था। यदि आपको पैसा निकालना है तो वो पहले बैंक का क्लर्क आपसे विदड्राल स्लिप अनेक औपचारिकताएं पूरी करवाता था और यदि आप किसी कारण से अपना वो साइन करना भूल गये हैं जो आपने खाता खुलवाते समय बैंक के फार्म में किय है तो आपको पैसे भी नहीं मिलते थे। उस स्थिति में पैसे आपको तभी मिल सकते थे जब आप अपने साथ ऐसे दो व्यक्तियों को गवाह के रूपमें ले जायें जिन्हें बैंक के अधिकारी जानते हों लेकिन वे आपके रिश्तेदार न हों। इसके बाद बैंक का बड़ा अधिकारी आपके द्वारा दिये गये विदड्राल फार्म की जांच करता था और आपके द्वारा स्लिप पर किये गये हस्ताक्षर को एक खास तरह की रैक में रखे गये नमूना हस्ताक्षर वाले कार्ड पर किये गये हस्ताक्षर से मिलाता है। यदि उसे कोई शक होता था तब भी आपसे गवाही मांगी जाती थी। इस काम में डाकघर के बचत बैंक में कुछ ज्यादा सख्ती होती थी जबकि बैंकों में कम सख्ती होती थी। हस्ताक्षर मिलने पर बैंकों में किसी तरह की परेशानी नहीं होती थी। इसके बाद ही आपके खाते से पैसा निकाला जाता था तब आपको वो पैसा मिलता था। इस प्रणाली में जमा करने वा निकालने वाले के समक्ष कई जोखिम होते थे। पैसा जमा करने या निकालने के समय यदि लुटेरों, पाकेटमारों, डकैतों से खतरा बना रहता था। अक्सर व्यापारियों द्वारा रोज जमा कराने या निकालने के समय इस तरह लूटपाट, मारपीट, चोरी-छिनैती की घटनाएं होती रहतीं थीं।
नये जमाने आए अनेक बदलाव
धीरे-धीरे बैंकों से लेन देन में बहुत बदलाव आ गया है। जब से देश में शिक्षित युवाओं की संख्या बढ़ी है और नौकरीपेशा खास तौर पर मन्टी नेशनल कंपनियों की बाढ़ सी आ गयी है और उनमें नौकरी करने वाले युवाओं की संख्या बढ़ी है और ऑनलाइन बैंकिंग या इंटरनेट बैंकिंग शुरू हो गयी है तब से बैंक का पूरा सिस्टम ही बदल गया है। अब कस्टमर को बैंक तक भागदौड़ करने की आवश्यकता नहीं रह गयी है। आज के समय में बैंक अपने ग्राहकों को उसके घर पर ही अधिक से अधिक सुविधाएं देने के लिए तैयार हैं। पुराने जमाने में बैंक से काम कराने में पूरा-पूरा दिन लग जाता था और कभी-कभी तो भीड़ बढ़ने पर कई-कई दिन लग जाते थे। और अब तो पलक झपकाते ही काम हो जाता है। पहले जहां आपको नोटों के बंडल बैग आदि में लाने ले जाने पड़ते थे, अब आपको एक रुपये का नोट भी कहीं नहीं ले जाना है। ये सारी सुविधाएं आपको बैंकों द्वारा जारी डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड से मिलतीं हैं।
बैंकों की भाषा समझना आज भी है कठिन
बैंकिंग की भाषा को समझना पहले भी मुश्किल था तो आज भी उसे समझ पाना बहुत आसान नहीं है। बैंकों की ऐसी बहुत सी टर्म्स एण्ड कंडीशन हैं यानी नियम या शर्तें ऐसीं हैं जिन्हें आम बोलचाल की भाषा में रोज इस्तेमाल करते हैं, लेकिन उनका असली मतलब क्या होता है, बहुत कम लोग ही जानते हैं या यूं कहें कि बैंकों के काम करने वाले जानकार लोग ही जान पाते हैं। जिस प्रकार से सेविंग एकाउंट, करंट एकाउंट, रिकरिंग एकाउंट, फिक्स्ड एकाउंट आदि। उसी प्रकार से बैंकों द्वारा जारी किये जाने वाले क्रेडिट कार्ड ओर डेबिट कार्ड। इन दोनों कार्ड का काम भुगतान करना होता है और देखने में एक जैसे होते हैं। इसलिये लोगों को यह भ्रम हो जाता है कि ये दोनों ही कार्ड एक जैसे ही होते हैं लेकिन इनमें बहुत अंतर होता है।
जो व्यक्ति इन दोनों कार्डों के बारे में नहीं जानते हैं वो हमेशा फाइनेंशियल मैनेजमेंट में चूक जाते हैं। इसलिये इन दोनों कार्डों के अंतर और उनके उपयोग, सदुपयोग ओर दुरुपयोग को अच्छी तरह से जान लेंगे तो आपका ही फायदा होगा। इन दोनों कार्डों पर लगने वाली फीस भी अलग-अलग होती है, उसको भी जानना आवश्यक होता है। यह आपके लिए फायदे की बात है।
डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड का मतलब
डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड का मतलब बैंकों द्वारा जारी किये गये प्लास्टिक के वो कार्ड होते हैं जिनसे बैंक का कस्टमर अपनी मनपसंद चीज खरीद कर उससे ऑनलाईन भुगतान कर सके। यानी अब बाजार में जेबों में रुपये भर के ले जाने की जरूरत नहीं उसके लिए सिर्फ एक ही कार्ड काफी है। आइये जानते हैं कि डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड कैसे काम करते हैं और कैसे वे एक दूसरे से अलग होते हैं।
1. डेबिट कार्ड
डेबिट कार्ड वो होता है जो बैंकों द्वारा आपका खाता खोलते समय निशुल्क दिया जाता है। इस कार्ड का प्रयोग आप अपने बैंक खाते में जमा रकम को किसी भी चीज की खरीद में कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए बैंकों ने एक दिन में अधिकतम भुगतान की एक सीमा लगा रखी है। डेबिट कार्ड को आजकल आम बोलचाल की भाषा में एटीएम कार्ड भी कहते हैं क्योंकि इस कार्ड से आप अपने बैंक के खाते के पैसे एटीएम मशीन से निकाल सकते हैं।
डेबिट कार्ड के माध्यम से आप अपने सेविंग या करंट एकाउंट से पैसे निकाल सकते हैं। डेबिट कार्ड से आप जिसे पैसे चुकाते हैं, उसके एकाउंट की जानकारी आपके बैंक के पास जाती है और वह बैंक उस एकाउंट को आपके एकाउंट से अटैच कर देता है। इसके बाद आपके द्वारा भुगतान की गयी राशि आपके खाते से कट जाती है और उसके खाते में पहुंच जाती है। भुगतान की गयी राशि खाते में न होने पर आपका भुगतान नहीं हो पायेगा।
2. क्रेडिट कार्ड
जैसा कि क्रेडिट कार्ड का नाम है, वैसा ही काम है। बैंक कस्टमर को छोटी-छोटी रकम उधार लेने के लिए इधर-उधर भागना न पड़े, इसके लिए बैंक ने ये व्यवस्था की है। क्रेडिट कार्ड बैंक द्वारा जारी किया गया वो कार्ड होता है जिसके माध्यम से आप अपनी आय के आधार पर उधार ले सकते हैं। इस कार्ड से भी आप किसी भी वस्तु को खरीद कर उसका भुगतान आसानी से उसी तरह कर सकते हैं जिस तरह से आप डेबिट कार्ड से करते हैं। यह कार्ड बैंकों द्वारा आपके खाते के कुछ दिन के लेन-देन के बाद जारी किया जाता है।
क्रेडिट कार्ड्स की शुरुआत बैंकों द्वारा कस्टमर की जरूरत को देखते हुए की गयी है। यदि किसी व्यक्ति यानी बैंक कस्टमर को छोटी रकम उधार लेनी हो तो वह बैंक के चक्कर काटे बिना और बिना कागजी कार्रवाई पूरी किये बिना ही उसे वो रकम उधार मिल सके।
क्रेडिट कार्ड के माध्यम से जहां आप अपने खाते की रकम निकाल सकते हैं वहीं क्रेडिट कार्ड के माध्यम से आप बैंक से आप कुछ समय के लिए एक निश्चित सीमा तक पैसे उधार ले सकते हैं। क्रेडिट कार्ड से भुगतान की जाने वाली राशि की सीमा आपकी आय और बैंक से किये जा रहे लेन-देन के आधार पर तय होती है। उधार ली गयी रकम पर आपको बैंक द्वारा तय किया गया ब्याज भी देना होता है।
क्यों लोग डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड को एक ही चीज समझते हैं
अक्सर लोगों को यह भ्रम हो जाता है कि डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड एक ही तरह के कार्ड है। इसका कारण यह है कि दोनों कार्ड्स के कई फीचर एक जैसे हैं, आइये जानते हैं कि कौन-कौन से फीचर्स एक ही हैं:-
- दोनों ही कार्ड बैंक द्वारा निशुल्क जारी किये जाते हैं।
- दोनों ही कार्ड एक ही बैंक के एक ही रंग रूप के होते हैं। ये दोनों प्लास्टिक से एक ही साइज के बने होते हैं, जिन पर ढेर सारे नंबर लिखे होते हैं।
- दोनों ही कार्ड का इस्तेमाल करने का तरीका भी एक जैसा है। इन दोनों कार्डों से आम तौर पर भुगतान किया जाता है।
- डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड सुविधाएं बैंकों द्वारा दी जातीं हैं। बैंकों द्वारा ये कार्ड किसी कंपनी से एक ही तरह के डिजाइन के बनवाये जाते हैं। इन कार्डों को ऊपर से देखने में कोई खास अंतर नहीं होता है। इन दोनों कार्डों के फीचर्स एक ही जैसे होते हैं।
- दोनों ही कार्ड बैंक कस्टमर के कही भाग-दौड़ किये ही नजदीकी एटीएम मशीन या पीओएस से भुगतान कर देते हैं।
डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड में अंतर की बारीकियां
डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड के अन्तर की कुछ बारीकियां भी जान लेते हैं। जो इस प्रकार हैं:-
- डेबिट कार्ड के माध्यम से आप अपने बैंक खाते जमा रकम ही निकाल सकते हैं। जबकि क्रेडिट कार्ड से आप अपने बैंक खाते में जमा रकम तो निकाल ही सकते हैं और आपके खाते की रकम खात्म हो जाने के बाद आप बैंक द्वारा तय की गयी लिमिट तक रकम उधार भी ले सकते हैं।
- क्रेडिट कार्ड के माध्यम से उधार ली गयी रकम पर बैंक ब्याज लेता है जबकि डेबिट कार्ड से पैसे निकालने पर कोई ब्याज नहीं देना होता है।
- डेबिट कार्ड से भुगतान सीमा आपके बैंक खाते में जमा धनराशि तक ही होती है जबकि क्रेडिट कार्ड के माध्यम से भुगतान की सीमा आपके बैंक खाते में जमा रकम के अलावा बैंक द्वारा तय आपकी लिमिट तक होती है।
- क्रेडिट कार्ड इस लिये अधिक लोकप्रिय होते हैं क्योंकि इन कार्ड के माध्यम से भुगतान आप दुनिया के किसी देश में आसानी से कर सकते हैं जबकि डेबिट कार्ड से आप अपने देश में ही भुगतान कर सकते हैं।
- डेबिट कार्ड के प्रयोग पर बैंक द्वारा चार्ज लिया जाता है जो क्रेडिट कार्ड के ब्याज से बहुत कम होता है।
सुविधा के साथ खतरे भी हैं, रहें सतर्क
डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड से जहां अनेक सुविधाएं हैं वहीं इनके प्रयोग में जरा सी असावधानी से खतरे भी बहुत हैं। पहले जहां बैंकों में पैसे जमा करने या निकालने के समय नोटों के बंडल को देखकर बदमाश सक्रिय होते थे, जिन्हें देखा जा सकता था, उन्हें पकड़ा जा सकता था। उनसे बचा भी जा सकता था लेकिन ऑनलाइन फ्रॉड से पलक झपकाते ही आपकी रकम आपके खाते से दूसरे के खाते में जा सकती है। इसलिये इन कार्डों का प्रयोग करते समय सावधानियां बरतें और सतर्क रहें। आपको कौन-कौन से सावधानियां बरतनीं हैं, जानें:-
- अपने कार्ड का सीरीज नंबर किसी को न बतायें और ना ही किसी को दिखाएं
- चाहे कोई कितना खास हो उसको भूलकर भी अपने कार्ड का नंबर या पासवर्ड न बतायें। इसको जितना गुप्त रखेंगे आप उतने ही सुरक्षित रहेंगे।
- फोन पर भी किसी को अपने कार्ड की कोई डिटेल न दें क्योंकि कोई भी बैंक फोन के माध्यम से कोई जानकारी नहीं मांगता है।
- एचटीटीपी से शुरू होने वाली वेबसाइट का इस्तेमाल कतई न करें। हमेशा एचटीटीपीएस वाली वेबसाइट का ही इस्तेमाल करें।
- अपने कार्ड को ऑनलाइन स्टोर न करें। हैकर आपके कार्ड को हैक करके सारी जानकारी हासिल करके आपके साथ धोखाधड़ी कर सकते हैं।
- आप अपने कार्ड्स के पासवर्ड को समय-समय पर बदलते रहें। इससे फ्रॉड होने की संभावना कम हो जाती है।
- किसी भी स्टोर या शॉपिंग माल या शॉप में कार्ड स्वैप करने और पासवर्ड डालने के बाद ट्रांजेक्शन कम्पलीट हो जाने के बाद रसीद लेना कतई न भूलें।
- बिना चौकीदार वाले या सुनसान जगह वाले एटीएम मशीन का प्रयोग न करें। हैकर्स या इसी तरह की मशीनों को कार्ड का क्लोन बनाने के लिए करते हैं।
- एटीएम मशीन में अकेले ही जायें, एक मशीन हो तो ट्रांजेक्शन पूरा होने तक दूसरे व्यक्ति को घुसने न दें और पासवर्ड डालते वक्त उसे ऐसे ढंके कि आपकी उंगलियों की हरकत कैमरे में कैद न हो पाये।
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