भारत में फाइव स्टार, थ्री,स्टार, वन स्टार, रेस्टोरेन्ट, होटल, ढाबा आदि खाने-पीने के बिजनेस के केन्द्र हैं। इन स्थानों पर खाने-पीने का सामान थोड़ा महंगा मिलता है। हमारे देश की अर्थव्यवस्था में सुस्ती आने के कारण लोगों की आमदनी कम हो गई है। इसलिये लोगों की परचेज पॉवर भी कम हो गयी है। हमारे ऐसे लोगों की संख्या बहुत बड़ी है जो महंगे होटल से लेकर ढाबे के खर्चे को वहन कर सकें। इसके बावजूद नौकरीपेशा करने वाले और बिजनेस करने वालों को नाश्ता व दोपहर का भोजन अपने ऑफिस व संस्थान के पास अवश्य चाहिये। इसी का लाभ उठाते हैें स्ट्रीट फूड वाले। जैसा नाम वैसा काम। सड़क वाला भोजन। यानी सड़क के किनारे नाश्ते व खाने की छोटी-छोटी चलती-फिरती दुकानें होतीं हैंं। इन दुकानों में सस्ता और स्वादिष्ट भोजन मिलता है। स्ट्रीट फूड का बिजनेस करने वाले व्यक्ति को कम लागत में अधिक मुनाफा मिलता है। इस तरह के स्ट्रीट फूड की डिमांड भी बहुत अधिक है। आप किसी बड़े शहर के सरकारी कार्यालयों, इंडस्ट्रियल एरिया व अन्य कामकाजी वाले क्षेत्रों को देखेंंगे तो सुबह के समय नाश्ते पर लोगों की भारी भीड़ नजर आयेगी और दोपहर के समय इन दुकानों पर भारी जनसैलाब उमड़ा दिखाई पड़ता है। इसके अलावा शाम को ये स्ट्रीट फूड वाले मनोरंजन के स्थान सिनेमा घरों व पार्कों व अन्य घूमने वाले केन्द्रों पर अपनी दुकान सजाये दिखाई देते हैं ।
कम पैसों में अधिक मुनाफा कमाने वाला बिजनेस है स्ट्रीट फूड
आज की बढ़ती मांग को देखते हुए स्ट्रीट फूड का बिजनेस कोई भी व्यक्ति कम से कम लागत में शुरू कर सकता है। इस बिजनेस से काफी मुनाफा कमाया जा सकता है। इस बिजनेस के लिए आपको न तो दुकान चाहिये, न फर्नीचर चाहिये न ही कोई प्रचार या कोई अन्य साधन चाहिये। आप अपनी सुविधानुसार स्टॉल लगा सकते हैं। चाहे आप तो ठेली, या खोमचा लगाकर, कार या ट्रक अथवा बस में भी अपना बिजनेस शुरू कर सकते हैं। दिल्ली के आसपास दोपहर लंच के समय से लगभग दो घंटे पहले बसों व ट्रकों में खाना बनाने का सामान लेकर बिजनेस मैन आते हैं और लंच तक ताजा स्वादिष्ट भोजन तैयार करके बेचते हैं और तत्काल ही चलते जाते हैं। इसके अलावा आप अपनी छोटी-मोटी दुकान शहर की सस्ती एरिया में भी खोल सकते है। इस तरह की दुकानों में आपके हाथ के हुनर की कद्र होती है। एक बार आपके द्वारा बनाये गये व्यंजन लोगों की जुबान को भा गये तो आपका बिजनेस चलता चला जाता है। इस तरह का बिजनेस हजारों रुपयों में शुरू किया जा सकता है। इस बिजनेस में 50 परसेंट तक मुनाफा कमाया जा सकता है।
कर्नाटक के मशहूर स्ट्रीट फूड
कर्नाटक की राजधानी बंगलुरु को आईटी हब के नाम से जाना जाता है। बंगलुरु में देश भर के युवाओं का बहुत बड़ाकेन्द्र है। इसके अलावा यहा पर विदेशी सैलानियों की भी भरमार रहती है। बंगलुरु की आईटी कंपनी में काम करने वाले लाखों लोगों की खास पसंद हैं ये स्ट्रीट फूड वाले। दोपहर में बंगलुरु के आईटी सेक्टर वाले क्षेत्र में चले जाइये तो आपको यहां पर खाने और खिलाने वालों को बहुत बड़ा मेला सा नजर आयेगा। इस मेले में स्ट्रीट फूड वालों की बहार होती है। यहां आफिसों में काम करने वाले भारी संख्या में लोग लंच आॅवर्स में सड़क के किनारे लगे स्टॉलों में अपनी मन पसंद का खाना खाते दिख जायेंगे। अब हम यहां पर कर्नाटक में प्रचलित स्ट्रीट फूड की बात करेंगे जो आसानी से सड़क चलते मिल जाते हैं। इनमें इडली-सांभर तो यहां का मशहूर व्यंजन है। इसके अलावा नीर डोसा, कोरी गासी, कुंदापुरा, कोली, सारू, मैसूर मसाला डोसा, मैसूर पाक, मैंगलोरियन बिरयानी, उडुपी सांभर, मैंगलोर बन्स, दाल ओब्बट्टू, वड़ा पॉव, डोसा, भजिया , फिल्टर कॉफी,गोभी मंचूरियन, कबाब, रोल्स और पराठे, पानी पुरी, पुरी भेलपुरी, पाक कूर्गी, पंडरी, करी बेसी प्रमुख स्ट्रीट फूड हैं। इन व्यंजनों को एक बार खाने के बाद दोबारा आप स्वयं इनकी ओर खिंचे चले आयेंगे। खास बात यह है कि यहां के स्ट्रीट फूड काफी हेल्दी होते हैं।
कर्नाटक के स्ट्रीट फूड का बिजनेस देश में कहीं भी कैसे शुरुआत कर सकते हैं?
देखिये आज के जमाने में कोई भी चीज असंभव नहीं है। जब आज चांद पर आदमी बस्तियां बसाने जा रहा है तो कर्नाटक का इडली सांभर कश्मीर, हिमाचल, बिहार, बंगाल में बेचना कोई कठिन काम नहीं है। अब जरूरत इस बात की है कि कर्नाटक के स्ट्रीट फूड ट्रेन-प्लेन से तो ले जाये नहीं जा सकते हैं। इसके लिए जो भी शख्स बिजनेस करना चाहे तो उसे या तो कर्नाटक जाकर इन स्ट्रीट फूड के बारे में पूरी जानकारी कर ले। अथवा कर्नाटक के स्ट्रीट फूड वाले को अपने यहां बुंलाकर उसे नौकरी देकर उससे काम सीख ले और उसके बाद बिजनेस किया जा सकता है। कहने को तो आप यह भी कह सकते हैं कि आज के इंटरनेट के जमाने में सभी तरह के व्यंजन की रेसिपी आॅनलाइन पड़ी रहती है और उसे देख कर और वहां व्यंजन बनाने की विधि पढकर कुछ भी बनाया परोसा जा सकता है। लेकिन यह बिजनेस के लिए सही नहीं है क्योंकि आॅन लाइन में लिखी बातें और एक्सपर्ट द्वारा बनाई गई खाने वाली चीजों में जमीन आसमान का अंतर होता है। इसलिये अनुभवी लोगों से सीख कर या उन्हें हायर करके ही यह बिजनेस किया जा सकता है।
कच्चा माल सभी जगह पर एकसमान उपलब्ध रहता है
अब पहले वाला जमाना नहीं है कि बिहार के गांव में नारियल नही मिल सकता और राजस्थान में चावल या चावल का आटा नहीं मिल सकता। कहने का मतलब यह है कि अब सारी चीजें सब कहीं उपलब्ध होती हैं। कर्नाटक के स्ट्रीट फूड में लगने वाले कच्चा माल आटा, चावल, दाल, बेसन, सब्जियां, दालें, तेल-घी आदि सब कही मिलता है। बस केवल खान पान के आइटम बनाने की विधियां अलग-अलग होतीं हैं। इसलिये देश के किसी भी कोने में कर्नाटक के स्ट्रीट फूड का बिजनेस करना बहुत ही आसान और फायदे का सौदा हो सकता है।
धूम मचा सकता है यह बिजनेस
आप अपने शहर में रहते हैं तो अपने शहर के मशहूर स्ट्रीट फूड वाले व्यंजन काफी अच्छे लगते हैं। यदि कोई नया मेहमान या फास्ट फ्रेंड आ जाये तो आपकी यही कोशिश होती है कि आप उसे अपने शहर की मशहूर चीजें खिलायें। वो उनका स्वाद लेकर आपकी और आपके शहर की जमकर तारीफ करता है और अपने यहां पहुंच कर पर उनकी चर्चा करता है। इसलिये यदि कर्नाटक का स्ट्रीट फूड यदि यूपी, बिहार, बंगाल, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा,कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में जायेगा तो उसकी नई-नई वैरायटियां देखकर वहां के खाने के शौकीन टूट पड़ेंगे। यदि आपके बने इन व्यंजनों ने इन राज्यों के लोगों का दिल जीत लिया तो वहां आपका बिजनेस काफी तेजी से आगे बढ़ जायेगा। कर्नाटक का इडली, डोसा दिल्ली, पंजाब, की बात छोड़िये पूरे उत्तर भारत में मशहूर है। लोग पिकनिक व खास अवसरों पर खूब स्वाद से खाते हैं। ये व्यंजन उत्तरी भारत के स्ट्रीट फूड की अपेक्षा काफी महंगे बिकते हैं। लोग इन स्टालों में खाने के साथ पैक कराकर अपने घरों को भी ले जाते हैं। इसलिये इनका बिजनेस का चांस बहुत अच्छा है।
कैसे करें इस बिजनेस की शुरुआत?
हम जहां पर कर्नाटक के स्ट्रीट फूड के आइटमों का बिजनेस शुरू करना चाहते हैं, वहां सबसे पहले हमें अपने प्रोडक्ट बेचने का मार्केट खोजना होगा। आपके द्वारा तैयार प्रोडक्ट को कौन खरीदेगा, क्या खरीदेगा, कहां खरीदेगा, कब खरीदेगा और क्यों खरीदेगा? इन सवालों के जवाब आप तलाश लेंगे और जवाब में पॉजिटिव रिस्पांस आता है तो समझिये कि आप का बिजनेस चल गया और आपको लाभ भी होगा। हालांकि यह कम पूंजी वाला बिजनेस होता है तो रिस्क भी कम होता है और इसे कहीं भी ट्रांसफर भी किया जा सकता है। इसमें एक दो चीजों का और ध्यान रखना होता है कि आप मौसम के हिसाब से अपने स्ट्रीट फूड को भी चेंज कर सकते हैं। जैसे सर्दियों में कॉफी, पकौड़े का सीजन होता है तो गर्मियों में कोल्ड ड्रिंग, लस्सी, व हल्की-फुल्की खाने-पीने का सीजन होता है। उसी तरह इन स्ट्रीट फूड में भी आपको मौसम के हिसाब से सेलेक्ट करना होगा ताकि ग्राहक जो चाहे उसे वहीं मिल सके। किसी भी बिजनेस में आजकल कंपटीशन तो खूब होता है लेकिन आपको इससे डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह आपके हुनर यानी हाथ के स्वाद वाली टेकनीक है। एक बार आपका कोई भी स्ट्रीट फूड आइटम लोगों की जुबान पर चढ़ गया तो उसका जादू चलना ही चलना है। आपकी क्वालिटी और टेस्ट में फर्क नहीं पड़ेगा तो आपको कोई मात भी नहीं दे पायेगा। आप अपनी इस हुनर के अच्छे खासे दाम वसूल सकते हैं। पूरे देश में सस्ते और अच्छे नाश्ते, लंच व डिनर की जबर्दस्त मांग है। कर्नाटक के व्यंजनों की उत्तर भारत के राज्यों में इसलिये भी डिमांड है क्योंकि यहां के लोग खाने के शौकीन अधिक होते हैं।
बिजनेस के लिए किन-किन स्थानों को किया जा सकता है टारगेट?
इस तरह के बिजनेस के लिए आपको ऐसी जगह खोजनी होगी जहां पर कामकाजी भीड़ अधिक मिलती हो या मनोरंजनके लिए वहां जाने वालों की संख्या काफी अधिक रहती है। इस तरह के स्थानों में ऑफिस,पार्क, इंडस्ट्रियल एरिया, भीड़भाड़ वाली बस्ती के आसपास खाली स्थान, शॉपिंग प्लेस या मॉल के बाहर, टूरिस्ट प्लेस, स्पोर्ट सेन्टर, बस और रेलवे स्टेशन, कॉलेज कैम्पस, फेस्टिवल एण्ड आकेजन, कंपनी के कार्यक्रम आपके मुख्य मार्केट हो सकते हैं।
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