Fish farming business kaise kare [यहाँ पढ़ें फिश फार्मिंग/मछली पालन का बिज़नेस कैसे शुरू करें]

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Fish farming business kaise kare [यहाँ पढ़ें फिश फार्मिंग/मछली पालन का बिज़नेस कैसे शुरू करें]

हमारा देश कृषि प्रधान देश है। आज भी हमारे देश की 70 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है। गांवों का मुख्य कारोबार खेती है। खेतों में काम करने वाले किसान को खेती से इतना नहीं मिल पाता कि वह अपने परिवार का आर्थिक स्तर ऊंचा उठा सके। इसके अलावा गांवों में भूमि विहीन श्रमिक भी रहते हैं, जो खेतों में काम करके यानी मज़दूरी करके अपना परिवार पालते हैं और जब गांवों में काम नहीं मिलता तो उन्हें मजबूरी में महानगरों की ओर रोजगार के लिए जाना पड़ता है। छोटे किसान हों या भूमिहीन श्रमिक हों। इनके जीवन यापन के लिए गांवों में पशुपालन या मछली पालन बहुत बड़ा सहारा हैं। आजकल के जमाने में पशुओं को पालना तो महंगा हो गया है। पशुपालन भूमिहीन श्रमिकों के वश की बात नहीं रह गयी है।  नदी, नहर व पोखर, तालाब के किनारे रहने वाले गरीब श्रमिक भी मछली पालन का काम करके अपना परिवार अच्छी तरह से पालन-पोषण कर सकते हैं।

मछली पालन के उद्देश्य

मछली पालन क्यों किया जाता है? मछली पालन का उद्देश्य क्या है? फिलहाल हम तो यही जानते हैं कि मछली पालन हम धन कमाने और रोजगार पाने के लिए करते हैं। सरकार ने मछली पालन को स्वरोजगार की संज्ञा दी है। इसलिये गांवों में बेरोज़गारी दूर करने के लिए सरकार ने मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए अनेक योजनाएँ चलायीं हैं। सरकार मछली पालन के लिए कम ब्याज दरों वाला लोन भी देती है और मछली पालन के लिए सरकारी विभागों द्वारा प्रशिक्षण भी दिया जाता है। सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार बढ़ाने के लिए ये योजनाएँ चलायीं  जा रही हैं जिससे ग्रामीण क्षेत्र के बेरोजगार युवा आत्मनिर्भर बन सकें और उनका आर्थिक स्तर बढ़ सके।

मछली पालन का व्यवसाय तीन प्रमुख व्यवसायों से जुड़ा हुआ है।

1. पहले व्यवसाय में मछली को खाने के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। भारत की कुल आबादी के लगभग 20 प्रतिशत लोग मछली को भोजन के रूप में इस्तेमाल करते हैं। इतनी भारी संख्या में मछली खाने के शौकीन लोगों के कारण मछली पालन का व्यवसाय करने वालों के लिए प्रमुख बाजार उपलब्ध है। जहां से मछली पालक अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते हैं।

2. दूसरा व्यवसाय मछली का धार्मिक महत्व और स्टेटस सिम्बल से जुड़ा हुआ है। हमारे शास्त्रों, पुराणों में मछली के दर्शन को बहुत शुभ माना जाता है।  इसके अलावा आज के लोगों में घरों में मछली दर्शन के लिए फ़िश एक्वेरियम रखा जाता है। आज के फ़िश एक्वेरियम को स्टेटस सिंबल से भी जोड़ दिया गया है। इसलिये इन शौकीन लोगों के बीच मछली की अच्छी खासी डिमांड होती है। ये मछलियां बहुत महंगी बेची जातीं हैं।

3. मछली से जुड़ा तीसरा व्यवसाय मेडिकल क्षेत्र से जुड़ा है। मछली में उपलब्ध प्रोटीन, विटामिन की अनेक दवाओं में जरूरत पड़ती है। अनेक दवा बनाने वाली कंपनियों में मछलियों की बहुत अधिक डिमांड होती है। 134 करोड़ की आबादी वाले देश में बड़े पैमाने पर दवा बनाने के लिए मछलियों का प्रयोग किया जाता है। इसका मछली पालकों को बहुत अधिक लाभ होता है।

क्यों है फ़िश फ़ार्मिंग का अच्छा स्कोप?

फ़िश फ़ार्मिंग का स्कोप इतना अच्छा क्यों माना जा रहा है क्योंकि एक अनुमान के अनुसार भारत मेंं आधे से अधिक लोग मछली खाना पसंद करते हैं।  यहां तक कि कई शहर ऐसे भी हैं जहां 25 से अधिक लोग मछली का बिजनेस करके अपना जीवन यापन करते हैं।

भारत की लगभग सभी नदियों में मछली पाई जाती है। इन नदियों के किनारे रहने वाले अधिकांश लोग मछली का व्यवसाय करते हैं। इसके अलावा समुद्र से भी मछली पकड़ कर लाई जाती है। समुद्र तट से जुड़े क्षेत्रों में भारी संख्या में मछुआरे मछली का ही बिजनेस करते हैं।  लेकिन नदियों व समुद्र से मछली पकड़ने तथा उसे बेचने का व्यवसाय के अलावा अब उन जगहों पर भी मछली पालन का व्यवसाय किया जा सकता है जहां पर तालाब व नदियां न हों। इसके लिए कृत्रिम तालाब व टैंक बनाकर मछली को पाला जाता है।

Red tilapia fish farming

How to start fish farming business in Hindi? | कैसे शुरू किया जाये फिश फार्मिंग बिजनेस?

स्टेप-1

यदि आपको फ़िश फ़ार्मिंग के बारे कोई अनुभव है या कोई जानकारी है तो अच्छी बात है वरना आपको मछली पालन की ट्रेनिंग लेनी होगी। सरकार द्वारा मछली पालन के लिए ट्रेनिंग की सुविधाएँ  दे रखीं हैं। भारत सरकार के मत्स्य विभाग में समय-समय पर फ़िश फ़ार्मिंग की ट्रेनिंग दी जाती है। कृषि मंत्रालय के तहत मत्स्य पालन विभाग आता है। आप मत्स्य विभाग की वेबसाइट (http//dof.gov.in/hi) से मत्स्य पालन की ट्रेनिंग की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इस वेबसाइट पर जल्दी-जल्दी ही ट्रेनिंग शुरू होने के बारे में जानकारी अपडेट रहती है।

इस ट्रेनिंग में मत्स्य पालक को तालाब की साफ सफाई करना, जिस प्रकार बुआई से पहले खेत तैयार किये जाते हैं, उसी प्रकार मछली पालन से पहले तालाबों को भी तैयार किया जाता है, उन सबकी जानकारी ट्रेनिंग में दी जाती है। इसके अलावा अच्छी नस्ल की मछलियों के बीज कहां से और कैसे उपलब्ध होंगे, उसकी जानकारी दी जाती है। इसके बाद मछली पालन के दौरान कौन कौन सी सावधानियां बरतनीं होतीं है अथवा कौन कौन सी चीजें तालाब में डालना है, उसको बताया जाता है जिससे जल्द से जल्द मछलियों का विकास हो सके ताकि उनका वजन बढ़ सके।  उन्हें कब तालाब से निकाल कर मार्केट में बेचा जाये तथा किस प्रकार बेचा जाये कि उससे अधिक से अधिक लाभ मत्स्य पालक को मिल सके। इसकी जानकारी ट्रेनिंग के दौरान दी जाती है। सरकार के मत्स्य विभाग द्वारा दी जाने वाली ट्रेनिंग 10-15 दिन की होती है।

स्टेप-2

मत्स्य पालन के लिए आपके पास जगह है जहां पर तालाब बना सकते हैं तो सबसे बेहतर है वरना आजकल टैंक में छोटे पैमाने पर फ़िश फ़ार्मिंग का बिजनेस किया जा रहा है। इस तरह से मत्स्य पालन करके लाखों लोग इस बिजनेस से लाभ कमा रहे हैं। सरकार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए अनेक योजनाएँ चला रखीं हैं। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्र में सरकारी भूमि में बने तालाबों पर मछली पालन के ठेके दिये जाते हैं। यदि आप इन ठेकों को लेने में सक्षम हैं तो आप वहां से भी बिजनेस कर सकते हैं।

स्टेप-3

तालाब की व्यवस्था करते वक्त यह देखना बहुत जरूरी है कि ये तालाब केवल बरसात में ही नहीं भरते हैं क्योंकि आपको ऐसे तालाब की आवश्यकता है जिसमें पूरे साल भर पानी उपलब्ध रहना चाहिये। इसकी वजह यह है कि मछली एक साल में ही इतनी बड़ी हो पाती है जिसका बिजनेस करके अच्छी आय कमाई जा सके।

स्टेप-4

आजकल ग्रामीण क्षेत्र में लोग आपस में मिलकर तालाब बनवाते हैं और छोटे-छोटे फार्म बनाकर उसमें मछली पालन का व्यवसाय करते हैं।  इसके अलावा और छोटे पैमाने पर अपने घर पर ही लोग टैंक में मछली पालन करके व्यवसाय करते हैं।

स्टेप-5

तालाब की व्यवस्था होने के बाद आपको सबसे पहले तालाब की साफ सफ़ाई अच्छी तरह से की जानी चाहिये। उसके बाद उस तालाब में गोबर का छिड़काव करके पानी का भराव करना चाहिये। गोबर डाले जाने के बाद उसमें उत्पन्न होने वाले नन्हें कीट मछली के बीजों का भोजन बन जाते हैं। इसके अलावा गर्मी, सर्दी से भी उन बीजों का बचाव हो जाता है। इससे बीजों का अच्छा विकास हो जाता है।

स्टेप-6

तालाब को पूर्ण रूप से तैयार करने के बाद अब आपको उन किस्म या नस्ल की मछलियों के बीज तलाशने होंगे जिनकी मार्केट में अच्छी कीमत पर भारी मांग हो। इस बारे में आप बीज भंडार और मत्स्य विभाग के जिला कार्यालय से सम्पर्क कर सकते हैं, जहां से अच्छी नस्ल वाली मछली के बीज आसानी से मिल सकते हैं।

स्टेप-7

अच्छी किस्म की मछलियों के बीज डालने के बाद तालाब की समय-समय पर देखरेख करनी चाहिये। समय समय पर उनके लिए भोजन डालना होता है और यदि किसी प्रकार के रोग के संकेत मिलें तो तत्काल उसका निदान करना होता है।

स्टेप-8

मछलियों का वजन जब 5 से 10 किलो के बीच हो जाये तब उन्हेें पानी से बाहर निकालकर बाजार में बेचना चाहिये। इससे मत्स्यपालक को अधिक से अधिक लाभ प्राप्त होगा।

फ़िश फ़ार्मिंग का बिजनेस शुरू करने से पहले की खास बातें

1. हमें सबसे पहले हमें मछलियों की नस्लों के बीज का चयन करना होगा, जिनकी बाजार में हमेशा डिमांड रहती है और जिनका बाजार में अच्छा भाव मिलता हो।इस तरह की मछलियों में रोहू, कॉमन क्रॉप, सिल्वर क्रॉप और टूना प्रमुख हैं।

2. अब हमें तालाब का भी ध्यान रखना होगा। फ़िश फ़ार्मिंग के लिए पूरे बारह माह पानी वाले तालाब की आवश्यकता होती है। इसलिये हमें तालाब का चयन करते समय ये ध्यान देना चाहिये कि कहीं ऐसा न हो कि केवल बरसात में तालाब में पानी रहता हो और बाद में सूख जाता हो और आसपास पास भरने की भी सुविधा न हो तो उस स्थिति में मछली पालन नहीं किया जा सकता है। मत्स्य पालक को नुकसान हो सकता है।

3. आपको तालाब में अच्छी व्यवस्थाएँ रखें तथा इस बात का ध्यान रखें कि आप बिजनेस करने जा रहे हैं तो आपको अपने तालाब में उन किस्म की मछलियों के बीज डालने हों, जो जल्दी से बढ़ती हों। यदि आपकी मछली तेज़ी नहीं बढ़ेगी तो आपका ही नुकसान होगा।

4. तालाबों में मछलियों का भोजन उपलब्ध हो तो अति उत्तम रहेगा यदि ऐसा न हो तो आपको मछलियों के भोजनकी व्यवस्था करनी होगी। यह तो सभी जानते हें कि मछलियों कीडे  मकोड़े खाती हैं। इसलिये तालाब में ऐसी व्यवस्था करनी होगी कि मछलियों को भोजन मिलता रहे। चाहे वह केचुए को डालना हो या आटे की गोली डालनी हो अथवा चोकर डालना हो।

5. मछलियों के बीमार पड़ने की आशंका न रहे

6. आपको तालाब में वो सारी व्यवस्थाएँ करनी चाहिये जिनसे आपकी मछलियां किसी भी प्रकार की बीमारी से बची रहें। इसके लिए आपको तालाब के माहौल के अनुसार ही मछलियों के बीज का चुनाव करना चाहिये। इस बारे मेंं आपको आपके क्षेत्र में पहले से मत्स्य पालन करने वाले सीनियर लोग जानकारी दे सकते हैं।

7. मछली पालन में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आपको अधिक दाम मिले और आपका माल जल्द बिक सके। हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिये कि हम पैसे कमाने के लिए मत्स्य पालन का बिजनेस कर रहे हें। आपको उस नस्ल की मछलियां पालना होगा जिनकी बाजार में मांग सबसे अधिक रहती हो । इससे आपको अधिक से अधिक लाभ प्राप्त होगा।

मछली के आहार की व्यवस्था कैसे करें?

1. तालाब में गोबर का छिड़काव करके

आप जिस तालाब में मछली पालन का व्यवसाय करने की सोच रहे हैं , उसमे एक महीना पहले से ही गोबर का छिड़काव करना चाहिये । इससे मछली का बीज डालने के समय उन्हें भरपूर खाना मिल सकेगा।

Fishes in aquarium

2. तालाब में चोकर डालें

गेहूं के आटे को छानने से जो चोकर निकलता है उसको भी तालाब में डाल कर मछलियों को भोजन दिया जा सकता है।  इसके अलावा आप तालाब में आटे की गोलियां बनाकर भी डाल सकते हैं तथा केचुए भी डालकर मछलियों को भोजन दिया जा सकता है।

3. तालाब में बत्तख पालें

तालाब में पानी में रहने वाली बत्तखों को पाल कर भी मछलियों को भोजन दे सकते हैं। ये बताया जाता है कि पानी में रहने वाली बत्तख को तालाब में पाला जाता है तो उसकी बीट को मछलियां खातीं हैं, इससे मछलियों का वजन भी तेज़ी से बढ़ता है।

4. फ़िश फ़ार्मिंग के लिए लोन की सुविधा

मछली पालने के लिए कम ब्याज दरों पर स्थानीय बैंकों से भी लोन मिल सकता है। किसान क्रेडिट कार्ड से भी लोन लिया जा सकता है।  मत्स्य पालन के लिए सरकार से भी लोन मिलता है। आप टैंक बनवाएं या तालाब बनवाएं सरकार अपनी ओर से 75 प्रतिशत तक लोन देती है। इसके बारे में मत्स्य विभाग से सम्पर्क किया जा सकता है।  इस बिजनेस के लिए आप 20 लाख रुपये तक का लोन आसानी से ले सकते हैं।

Profit margin in fish farming business in Hindi? | फिश फार्मिंग बिजनेस के लिए लागत एवं मुनाफा?

मछली पालन का व्यवसाय की लागत मत्स्य पालक की क्षमता  पर निर्भर करती है। फिर भी इस बिजनेस को शुरू करने में कम से कम 3 लाख रुपये लागत आती है। इसके बाद आप जितना अधिक चाहें इन्वेस्ट कर सकते हैं।प्रत्येक व्यक्ति कोई सा भी बिजनेस पैसे कमाने यानी मुनाफे के लिए करता है। इसलिये आपको भी मुनाफे की उम्मीद तो होती है।  जानकार लोगों का मानना है कि इस बिजनेस में 25 से 40 प्रतिशत तक का मुनाफा मिल सकता है।

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