व्यवसाय में उतार-चढ़ाव तो आते ही रहते हैं। इसके अलावा कभी-कभी ऐसे भी विषम अवसर आते हैं जब एक व्यवसायी को अचानक अच्छी खासी रकम की अपने व्यवसाय को बचाने के लिए जरूरत होती है, जैसे कि हाल ही में कोविड-19 के प्रकोप के दौरान पूरे विश्व में जब आर्थिक महामंदी के बादल छाये तो कुछ छोटे व्यवसाय ठप हो गये। इन व्यवसायों के ठप होने का कारण ही यही था कि उनके संचालकों यानी बिजनेसमैन के पास इतना पैसा नहीं था कि इस आपातकालीन विपदा के छह महीने की संकटपूर्ण स्थिति से निपट सके। जिनके पास इमरजेंसी फंड थे, वे बिजनेस लड़खड़ाने के बाद फिर उठ खड़े हुए। इसलिये एक व्यवसायी के लिए इमरजेंसी फंड की सख्त आवश्यकता है। इस फंड को किस तरह से मैनेज करें, इसकी कला सीखने की परम आवश्यकता है। विशेषकर छोटे व्यवसाय के मालिकों को तो इस आपातकालीन कोष की तो सख्त आवश्यकता होती है क्योंकि छोटे व्यवसाय में हमेशा उतार-चढ़ाव और नकदी की कमी की जैसी समस्याएं बनी ही रहतीं हैं।
क्यों जरूरी है इमरजेंसी फंड
इमरजेंसी फंड ऐसा लिक्विड इन्वेस्टमेंट एकाउंट हैं, जिसको विभिन्न व्यावसायिक संगठन अपने कठिन समय में इस्तेमाल करते हैं। इस तरह के इमरजेंसी फंड को नकदी की कमी या अन्य किसी आपातकालीन जरूरत के समय एक सुरक्षित फाइनेंशियल हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। जिसके दम से अचानक आई समस्या का समाधान हो जाता है। छोटे व्यवसाय को आर्थिक कठिनाइयो के समय या किसी छोटे व्यवसाय के विस्तार के समय फाइनेंस की कमी से करारा झटका लग सकता है। किसी अदृश्य एवं अप्रिय स्थिति के समय इमरजेंसी फंड की सख्त आवश्यकता होती है।
इमरजेंसी फंड के लिए इन्वेस्ट करने के आसान तरीके
छोटे बजट के व्यवसाय में इस तरह की समस्याएं आती ही रहतीं हैं। आपके समक्ष इमरजेंसी फंड बनाने के लिए पूंजी का इन्वेस्ट करना हमेशा ही एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। इसके बावजूद आपकी उपलब्ध नकदी को प्रभावित किये बिना कुछ पूंजी को इमरजेंसी फंड में इन्वेस्ट करने के कई आसान तरीके हैं। यदि आप अपने व्यवसाय के लिए इमरजेंसी फंड बनाना चाहते हैं। साथ ही यह भी चाहते हैं कि आपके पास जो नकदी है, उस पर कोई प्रभाव न पड़े तो आपके लिए कुछ खास भी टिप्स यहां दिये जा रहे हैं। ये टिप्स आपके बिजनेस के संकट के समय में काफी मददगार साबित हो सकते हैं। इन टिप्स का सहारा लेकर आप सोचें कि किस तरह से आप अपना इमरजेंसी फंड बनाना और उसको मैनेज करना हैं।
कितना बड़ा होना चाहिये इमरजेंसी फंड
देखिये आप बिजनेस कर रहे हैं तो आपको अच्छे दिनों के साथ बुरे दिनों का भी सामना करना पड़ सकता है। इसलिये आपको इमरजेंसी फंड की जरूरत तो पड़ेगी ही, अब कितनी पड़ेगी वो इस बात पर तय करेगा कि आप कितना बड़ा बिजनेस कर रहे हैं और आपके प्रतिमाह कितनी आमदनी होती है और कितना खर्च होता है। आपके बिजनेस की आमदनी और खर्चे के अलावा आपके अपने परिवार के खर्चे आदि भी देखने होंगे। कुल मिलाकर आपको वर्तमान समय में बिजनेस में कर्मचारियों की सैलरी, आपकी लाइफस्टाइल के खर्चे, यदि कोई लोन हो तो उसकी किश्त तथा अन्य जिम्मेदारियों पर होने वाले खर्च और आमदनी का संतुलन बैठाना होता है। वैसे विशेषज्ञों का मानना है कि आपके प्रतिमाह के बजट का पांच या छह गुना इमरजेंसी फंड होना चाहिये। इतना बड़ा आपका इमरजेंसी फंड होगा तो आपको किसी भी समय पर आने वाली किसी तरह की आर्थिक विपदा से निपटने में पूरी मदद मिलेगी। इसमें आपका व्यवसाय भी बना रहेगा और आपको कोई परेशानी भी नहीं होगी।
इस तरह से इमरजेंसी फंड बनाने की कोशिश करेंं
साधारण तौर पर किसी भी बिजनेसमैन के पास बचत नहीं हो सकती है। इसका कारण यह है कि नकदी का आना-जाना तेजी से लगा रहता है। नकदी के आने-जाने के बीच बिजनेसमैन यह नहीं सोच पाता है कि वो किस तरह से इसमें से निकाल कर इमरजेंसी फंड के लिए इन्वेस्ट करे। इसके लिए सबसे पहले आपको अपने आवश्यक खर्चों की सूची बनानी चाहिये और यह देखना चाहिये कि इन आवश्यक खर्चों पर आपकी आमदनी का कितना हिस्सा व्यय होता है। साथ ही यह भी देखना होगा कि इन खर्चों के बाद आपकी आमदनी का कोई छोटा सा भी हिस्सा बच रहा है जो अन्य फिजूल के खर्चों में व्यय हो रहा है। उसे तत्काल बिना कुछ सोचे ही ऐसी जगह इन्वेस्ट कर दें जहां से वो पैसा कुछ कमा सके। यह काम करने से पहले एक बात अवश्य ही सौ बार सोचें कि इस तरह पैसा निकालने से आपका बिजनेस किसी तरह से प्रभावित तो नहीं हो रहा है। यही इन्वेस्टमेंट भविष्य में आपके लिए इमरजेंसी फंड का रूप धारण कर लेगा।
कितने दिनों के लिए चाहिये इमरजेंसी फंड
बिजनेस के आवश्यक खर्चों का पहचानें, उनको अलग कर रहें। इसके बाद आप उन प्राथमिकताओं को चुनें जो आपके लक्ष्य को पूरा कर सकें, उन्हें अपने इमरजेंसी फंड में शामिल कर लें ताकि वे समय आने पर आपकी मदद कर सकें। इमरजेंसी फंड कितना बड़ा होना चाहिये। यह आपके बिजनेस के आकार और उसके संचालन की लागत के अनुसार ही तय किया जा सकता है। इस बारे में विशेषज्ञों की राय अलग-अलग है लेकिन वे इस बात पर सहमत हैं कि आपका इमरजेंसी फंड इतना बड़ा होना चाहिये कि वह कम से कम छह माह तक आपके बिजनेस को संभालें रखे। क्योंकि किसी भी बिजनेस में उतार यानी गिरावट तो बहुत जल्दी आ जाती है लेकिन उस गिरावट को उठाने में कम से कम छह माह का समय तो लग ही जाता है।
इमरजेंसी बनाने की आसान ट्रिक
1. विशेषज्ञों का मानना है कि इमरजेंसी फंड रातोंरात नहीं बनाया जा सकता। इसके लिये आपको एक निश्चित राशि एक अलग एकाउंट में जमा करनी होती है। यह राशि भले ही छोटी हो सकती है लेकिन इसकी कटौती लगातार प्रतिमाह होनी चाहिये। इससे यह राशि एक दिन बढ़ कर आपकी मदद करने वाली हो जाती है। इस राशि के बारे में विशेषज्ञों की राय है कि इमरजेंसी फंड को रोजाना के खर्चे मे इस्तेमाल नहीं करना चाहिये। इसकी धनराशि कोविड-19 जैसी आपत्तियों के समय खर्च की जानी चाहिये या बिजनेस का विस्तार करने के लिए खर्च की जानी चाहिये। उदाहरण के तौर पर यह बताया गया है कि यदि आप इमरजेंसी फंड के लिए प्रतिमाह 5000 से 10000 रुपये तक की कटौती करते हैं तो साल में 60 हजार से 1 लाख 20 हजार रुपये जुड़ सकते हैं, यदि आपके व्यापार में पांच साल तक कोई इमरजेंसी नही आयी और आप लगातार कटौती करते रहे तो यह धनराशि बढ़ कर 3 और 6 लाख रुपये हो जायेगी। इसके लिए आप बैंकों में मंथली किश्त वाला रिकरिग डिपॉजिट खाता खोल सकते हैं, जहां पर आपको थोड़ा बहुत ब्याज भी मिल जायेगा।
2. इमरजेंसी फंड बनाने के लिए आपको एक टारगेट तय करना होगा। यदि आपको लाखों रुपये की बचत करनी है तो उसके लिए आपको रोजाना कुछ न कुछ बचाना होगा। रोजाना बचत के बाद आपको साप्ताहिक या मासिक टारगेट तय करना होगा। इसके लिए आपको फाइनेंशियल नॉलेज के साथ छोटी-छोटी तैयारियां करनी होंगी। इन तैयारियों को स्टेप बाई स्टेप अपनाना होगा। इसके बाद आपका इमरजेंसी फंड अच्छी खासी रकम वाला तैयार हो जायेगा।
अलग खाता खुलवायें
सामूहिक खातों या अन्य खर्चों वाले खातों में इमरजेंसी फंड की रकम डालने से कोई फायदा नहीं होता है। वो रकम उस मद में आये खर्चे के समय खर्च हो जाती है। इसके लिए बिजनेसमैन को चाहिये कि इमरजेंसी फंड का खाता अलग खुलवाये। इस बात का ध्यान रखे कि उस खाते में डाली गयी रकम रोजमर्रा के खर्चे के लिए नहीं है। बाद में इस रकम को आरडी और म्युचुअल फंड में निवेश करके अधिक ब्याज कमाया जा सकता है।
इमरजेंसी फंड कितने प्रकार के हो सकते हैं
इमरजेंसी फंड कितने प्रकार के हो सकते हैं। इस बारे में एक्सपर्ट का कहना है कि यह बिजनेस मैन की जरूरत पर निर्भर करता है। बिजनेस कौन सा बिजनेस कर रहा है, उस बिजनेस में किस तरह की इमरजेंसी स्थिति आती है, उस इमरजेंसी को निपटाने में कितनी पूंजी की जरूरत होती है। ये इमरजेंसी कितने दिनों में आतीं हैं। इन सारी बातों को ध्यान में रखते हुए विशेषज्ञों ने इमरजेंसी फंड को दो भागों में विभाजित किया है, जो इस प्रकार हैं:-
1. दीर्घकालीन इमरजेंसी फंड यानी लांगटर्म इमरजेंसी फंड: यदि आपके बिजनेस में लम्बे समय तक किसी तरह की परेशानी या आपत्ति आने की आशंका न हो तब ऐसी स्थिति में लांग टर्म इमरजेंसी फंड बनाना चाहिये। इस फंड के पैसे को अधिक ब्याज कमाने के उद्देश्य से लम्बे समय की बचत योजना में इन्वेस्ट करना चाहिये। इमरजेंसी फंड के रूप में एक ऐसी सहायक पूंजी तैयार हो जायेगी जो आपके बिजनेस पर अचानक आने वाली आर्थिक विपदा या आपकी बीमारी व अन्य सामाजिक व पारिवारिक तथा व्यावायिक जरूरी खर्च आने पर आपको बहुत बड़ा सहारा देगी।
2. लघुकालीन इमरजेंसी फंड यानी शार्ट टर्म इमरजेंसी फंड: इस तरह का फंड उन छोटे व्यवसायों के लिए है जो कम पूंजी से शुरू होते हैं और उनमें समय-समय पर झटके लगते रहते हैं। उसके लिए आपको इस तरह का शार्ट टर्म इमरजेंसी फंड बनाना होगा। इसके लिए आपको अपनी पूंजी ऐसी योजनाओं में इन्वेस्ट करनी होंगी जहां ब्याज भले ही कम मिले लेकिन आपकी जरूरत के समय आपको इसका पैसा आसानी से मिल सके।
इमरजेंसी फंड की राशि का इस तरह करें इस्तेमाल
इमरजेंसी फंड का पैसा बैंक के सेविंग एकाउंट में हमेशा नहीं रख्नना चाहिये। केवल बचत करने के बाद एक समय तक बैंक में जमा रखें और उसके बाद इमरजेंसी फंड के पैसे को ऐसी योजनाओं में लगाना चाहिये जहां से अधिक से अधिक ब्याज अथवा आय प्राप्त की जा सके। आपको इस पैसे को आरडी और म्युचुअल फंड में लगाना चाहिये।
भविष्य को सुरक्षित करने के लिए आज बचत करें
आपको अपने भविष्य में के रिटायरमेंट, मकान बनाने आदि के खर्चों के लिए वर्तमान के खर्चों में कटौती करनी होगी। बचत करके इमरजेंसी फंड बनाना होगा। प्रत्येक माह होने वाली बचत से आपको भविष्य के होने वाले खर्चों में काफी मदद मिल सकेगी। आपको अनचाहे खर्चों या शानोशौकत व दिखावे वाले खर्चों से बचना होगा। इस तरह से आप अपने भविष्य के खर्चों के लिए तेजी से बचत कर पायेंगे।
मौज-मस्ती पर होने वाले खर्च पर करे नियंत्रण
मौज-मस्ती या मनोरंजन होने वाले खर्च को नियंत्रण कर सकते हैं। उसमें से होने वाली बचत को बोनस मानकर अपने इमरजेंसी फंड में निवेश करें। इससे आप अपने लक्ष्य को जल्दी हासिल कर सकते हैं और उससे होने वाला लाभ भी जल्दी मिलने लगेगा।
अपने व्यवसाय के बुरे समय का इस तरह से करें आंकलन
इमरजेंसी फंड बनाते समय आपको यह देखना होगा कि आपके बिजनेस में ऐसा बुरा समय कब आता है जब आपको नकदी की जबर्दस्त आवश्यकता होती है। इसके लिए विशेषज्ञों की राय है कि आपको अपने बिजनेस का तीन साल का लेखा-जोखा रखना होगा और उसमें आपको वो समय छांटना होगा जब आपको इस तरह की परेशानी आयी हो। इसके बाद आप उस तरह की परिस्थितियों का सामना करने के लिए तैयारी करनी होगी।
इस तरह भी मिल सकता है लाभ
प्रत्येक उभरते हुए व्यापार में तमाम अनजाने और अनियोजित खर्चे आते ही रहते हैं। आपको इसे खराब समय मानकर इनकी वार्षिक तैयारी करनी चाहिये। इसमें आपको लाभ व नुकसान भी जोड़ कर तैयारी करनी होगी। यदि एक वर्ष तक आपको इस तरह किसी खर्च की जरूरत नहीं पड़ी और आपके द्वारा की गयी बचत पैसा बच जाता है तो उसे इमरजेंसी फंड में तत्काल जमा करके उसका लाभ उठाया जा सकता है।
यूं करें अपने इमरजेंसी फंड का प्रबंधन
इमरजेंसी फंड केवल आपातकालीन समय के लिए पैसा बचाना ही काफी नहीं है। इमरजेंसी फंड के लिए अपनी बचत योजना के लिए अच्छी रणनीति भी बनायें। इस योजना को पूरी तरह से लागू करें और उसका लाभ भी उठायें। इसके लिए कुछ खास बातें इस प्रकार हैं:-
1. सुरक्षा: इमरजेंसी फंड में पैसा लगाना एक चुनौतीपूर्ण स्थिति के साथ व्यापार करने के समान है। इसलिये इसे कम लाभ और अधिक जोखिम वाली योजना में इन्वेस्ट करने की जरूरत नहीं है क्योंकि वहां पर पूंजी की हानि की संभावना बनी रहती है।
2. सरल उपयोग: कभी कभी व्यवसाय को आपातकालीन विपदा बुरी तरह से प्रभावित करती है। यदि सही समय पर इमरजेंसी फंड का उपयोग नहीं किया जा सकता तो इमरजेंसी फंड का होना न होने के बराबर साबित हो सकता है। इसलिये इमरजेंसी फंड का सरल उपयोग किया जाना चाहिये ताकि मौका आने पर बिना किसी झंझट के आसानी से मिल सके।
3. नकद धनराशि: हमेशा 15 प्रतिशत नकदी अपने पास रखें। इससे अधिक नकदी रखना सुरक्षा की दृष्टि से उचित नहीं है। इसके अलावा नकदी पास में रखने से उससे मिलने वाले लाभ नहीं मिल पाते हैं, इससे नकदी की कीमत कम होने लगती है। जैसे किसी योजना में लगी होने के कारण उस नकदी पर 4-5 प्रतिशत का ब्याज मिलता है और नकदी पास में रखने से वो 4-5 प्रतिशत ब्याज का नुकसान होता है।
4. बैंक में जमा धनराशि: बचत का 15 प्रतिशत हिस्सा किसी विश्वसनीय बैंक में जमा रखा जा सकता है। इससे जोखिम कम हो जाते हैं और आपको छोटी धनराशि भी मौके पर मिल सकती है।
5. इन्वेस्टमेंट बैलेंस: आपको इन्वेस्टमेंट बैलेंस बनाये रखना होगा। इसके लिये आप इमरजेंसी फंड का 70 प्रतिशत हिस्सा कम अवधि वाली जमा योजना एवं लिक्विड म्युचुअल फंड में लगा सकते हैं। जहां से आपको अपने मनचाहे समय में पैसे मिल सकते हैं। ये विकल्प आपके लिए सुरक्षित और सुविधाजनक हैं।
संकट के समय इमरजेंसी फंड ही ऐसा साधन है जो आपके बिजनेस को बचायेगा और किसी तरह की होने वाले भारी आर्थिक झटके से उबार लेगा। दूसरे अन्य आर्थिक लक्ष्यों की तरह इमरजेंसी फंड बनाना भी बहुत मुश्किल भरा काम है । व्यापार के प्रत्येक कदम पर कठिनाइयां और झटके मिलते रहते हैं इसलिये हमेशा इमरजेंसी फंड बनाने की बात को ध्यान में रखना जरूरी है।
इमरजेंसी फंड का इस्तेमाल करने में सावधानी बरतें
1. इमरजेंसी फंड को कैसे इस्तेमाल करना है, इस बात को गंभीरता से सोचें। इमरजेंसी फंड जैसा नाम वैसा ही इसका काम होना चाहिये। बहुत ही इमरजेंसी में जब कोई अन्य चाल कामयाब न हो रही हो तब इमरजेंसी फंड का इस्तेमाल किया जाना चाहिये। यानी दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि जब आपका व्यापार डूबने की कगार पर जा रहा हो तब उसे उस संकट से उबारने के लिए इस इमरजेंसी फंड का इस्तेमाल किया जाना चाहिये। ऐसी स्थिति व्यापार में कब आ सकती है.
2. यदि आपके बिजनेस को किसी तरह से झटका लग रहा है। उस समय आपको यह सोचना चाहिये कि इसको इस झटके से उबारने के लिए क्या उपाय किये जाने चाहिये। उसके लिये आपके द्वारा किये जा रहे उपाय कारगर साबित नहीं होते हैं और आपके बिजनेस की स्थिति और बिगड़ने वाली है। उस समय यदि आपकी आमदनी आपकी लागत से कम आ रही हो। तब आपको अपने इमरजेंसी फंड को चेक करना चाहिये और यह सोचना चाहिये कि उसको किस तरह से इस्तेमाल करें कि बिजनेस भी उबर जाये और इमरजेंसी फंड का कम से कम पैसा इस्तेमाल हो।
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