वैश्विक अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल और मांग में गिरावट के बीच मार्च 2017 में संसद में 6 महीने तक चली 12 बैठकों में जीएसटी विधेयक को पारित कर दिया गया और 1 जुलाई 2017 से पूरे देश में लागू कर दिया गया। इस विधेयक में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने चार जीएसटी कानूनों को जिनमे जीएसटी विधेयक, केन्द्रीय जीएसटी विधेयक, मुआवजा विधेयक और संघ राज्य जीएसटी विधेयक को मंजूरी दी।
जीएसटी देश के अलग-थलग पड़े बाजार का एकीकरण कर एक सामान्य बाजार में बदल दिया है। जिससे व्यापार करने में आसानी हो रही है साथ ही सभी प्रकार के क्षेत्रों में कंपनियों की लगने वाली लागत में भारी बचत भी हो रही है। जैसा की हमने अपने पिछले आर्टिकल में पहले लगने वाले कर और जीएसटी के बाद लगने वाले कर का कैलकुलेशन बताया है आप यहाँ क्लिक करके देख सकते हैं की लागत कितनी बच रही है।
माल उत्पादन, माल ढुलाई, वैट, राज्य कर और खपत कर इस तरह से कई कर लगने की वजह से व्यवसाइयों, व्यापारियों और ग्राहकों के जेब पर अतरिक्त बोझ पड़ता था। वहीँ बात करें कर भुगतान की तो कर भुगतान करते समय सभी करों का अलग-अलग विवरण देना होता था जिससे यह काम बहुत अधिक पेचीदा हो जाता था। लेकिन अब सभी प्रकार के केंद्रीय और राज्य करों को एक में एकीकृत कर दिया गया है जिससे कर भुगतान में आसानी हो रही है वहीँ इसने कैस्केडिंग के बेकार प्रभावों को कम किया साथ ही साथ व्यापार में तरलता आयी है और कारोबार के अनुपात में भी सुधार हुआ है।
जीएसटी में विभिन्न सामान और सेवाएं हैं और इसके द्वारा निर्धारित विभिन्न दरें है जो कि माल की लागत को प्रभावित करती है इस आर्टिकल में हमने देश की अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभावों का वर्णन करने का प्रयास किया है:
1. बिजनेस बूस्टर सिद्ध हो रहा
जीएसटी से माल और सेवाओं की लागत कम होने से यह उद्योग, उपभोक्ता और सरकार सभी को लाभ पहुंचा रहा क्योंकि इससे अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिल रहा है और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी उत्पादों और सेवाओं का लाभ पूर्ण रूप से उठाया जा पा रहा है। इसने भारतीय बाजार को एक आम बाजार की तरह बना दिया है जिससे आर्थिक बाधा दूर हुई है। और राष्ट्रीय स्तर पर अर्थव्यवस्था का एकीकरण का मार्ग सुगम हुआ है। यह प्रणाली पूर्ण रूप से प्रौद्योगिकी पर आधारित है इससे मानवीय हस्तक्षेप कम हुआ है एवं शीघ्र निर्णय लेने में आसानी हो रही है।
2. मेक इन इण्डिया पहल को सशक्त बनाया
जीएसटी के कारण देश में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं से हमारे प्रोडक्ट्स की राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में प्रतियोगिता बढ़ी है। जिससे मोदी जी के 'मेक इन इंडिया' पहल को और बढ़ावा मिल रहा है। साथ ही सभी आयातित वस्तुओं को एकीकृत कर आईजीएसटी के दायरे में लाया गया है जोकि सेंट्रक जीएसटी + स्टेट जीएसटी के बराबर है। इससे स्थानीय निर्मित वस्तुओं पर लगने वाले कर और आयातित वस्तुओं के कर के बीच समानता आ रही है।
3. पारदर्शिता
जीएसटी के लागू होते ही अप्रत्यक्ष कर कानून और अधिक पारदर्शी हो गए हैं। इसके जरिये वस्तुओं की आपूर्ति श्रृंखला के सभी चरण पर कर लगाया जा पा रहा है क्योंकि इसमें पहले पिछले चरण के करों का भुगतान के बाद ही आपूर्ति के अगले चरण पर जा सकते हैं। इससे खपत के कर मूल्य और अर्थशास्त्र को पृथक करने में आसानी हो रही जिससे उपभोक्ता को कर की सटीक राशि प्राप्त हो रही है।
4. कर भुगतान हुआ आसान
अभी तक लगने वाले सभी प्रकार के कर जैसे वैट, सेंट्रल एक्साइज, सेंट्रल सेल्स टैक्स, एंटरटेनमेंट टैक्स, लक्ज़री टैक्स, एंट्री टैक्स व अन्य राज्य सरकारों के असंख्य कर रिकॉर्डों को बनाए रखने की अनिवार्यता खुद-ब-खुद ही समाप्त हो गयी। अब केवल एक सेवा कर अधिनियम के संबंध में रिकॉर्ड बनाना होता है।
5. सुधार हुआ आंतरिक व्यापार में
जीएसटी से आंतरिक व्यापार के विकास में सुधर हुआ है और इससे आने वाले समय में और भी वृद्धि का अनुमान है। जीएसटी से कर छूट मिला है जिससे सीमा शुल्क बराबर हुआ है जिससे आयात और निर्यात में लगने वाले ड्यूटी में फायदा होगा।
6. विकास और अनुसन्धान
जीएसटी आने के बाद सरकार ने आर एंड डी सेस वापस ले लिया है आरएंडडी उपकर करदाताओं के लिए एक्स्ट्रा बोझ था लेकिन अब करदाताओं द्वारा प्राप्त आरएंडडी सैस की सर्विस टैक्स पर भी छूट प्राप्त हो रही है। इसकी समाप्ति से प्रौद्योगिकी आयात को प्रोत्साहन मिला है एवं घरेलू मूल्य में वृद्धि भी हो रही है।
7. विनिर्माण
वस्तुओं के उत्पादन प्रक्रिया को नकारात्मक सूची से सामान्य छूट सूची में प्रवेश में डाला गया है। लेकिन इस संशोधन से तात्कालिक फायदा नहीं होगा। इससे केवल इस श्रेणी में आने वाली सभी माल और सेवा कर लागू करने के लिए केवल एक अधिसूचना लागू करने की शक्ति प्राप्त होगी। "मेक इन इंडिया" को ध्यान में रखते हुए ऑटोमोबाइल, पेट्रोकेमिकल क्षेत्रों और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में अंतिम उत्पादों के निर्माण हेतु कच्चे माल पर सीमा शुल्क और उत्पाद शुल्क कम हुआ है।
8. प्रौद्योगिकी
जीएसटी कई लेवी को खत्म कर रहा है इसलिए प्रौद्योगिकी उद्योग के लिए लाभदायक है इससे डिजिटल सेवाओं का विस्तार हो रहा है। जीएसटी लागू होने के बाद कई कंपनियों ने खुद के डिलीवरी केंद्र और कार्यालय बना लिए हैं लेकिन इसमें आईटी कंपनी को प्रत्येक कांट्रेक्टिंग पार्टी के लिए अलग-अलग इनवॉइस बनाना होता है।
9. सीमेंट की कीमतों में कमी
सरकार सीमेंट को 18% के दायरे में लेन का विचार कर रही वही अभी सीमेंट पर प्रभावी दर 28% है। यदि जीएसटी दरें कम होती हैं तो सीमेंट पर समग्र कर में कमी आएगी इससे परिवहन लागत में बचत होगी और भारत में डिपो की संख्या कम होने से परिवहन लागत भी कम होगी।
10. कृषि
कृषि उत्पादों के लिए जीएसटी राष्ट्रीय कृषि बाजार स्थापित करने में उपयोगी सिद्ध हो रहा है। जीएसटी आपूर्ति श्रृंखला तंत्र में सुधार कर रही है जो किसानों / खुदरा विक्रेताओं के लिए अपव्यय और लागत में कमी को सुनिश्चित किया है।
शुरुआत में खामियां दिखी
जब भी कोई सुधार होता है या कोई भी नयी निति लागू होती है तो उसमे नकारत्मकता दिखाई देती है व कई परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है। अगर व्यापारियों की माने तो जीएसटी लागू होने से पहले सब कुछ सामान्य चल रहा था पर जीएसटी आने के बाद कर भुगतान में बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। अब जबकि सरकार ने टीम गठित कर निरंतर जीएसटी पर अपनी नज़र बनाये हुए है और उसपे नित्य सुधार कर रहे हैं उसके बाद भी कहीं न कहीं जिस उद्देश्य से लगाया गया था उसे पाने में अभी भी कुछ और सुधारों के साथ समय लगेगा।
जीएसटी को संज्ञान में लेकर कैग ने एक "अप्रत्यक्ष कर-वस्तु एवं सेवाकर" नाम से रिपोर्ट नंबर 11 जारी की थी। इस रिपोर्ट को पढ़ने के बाद विशेषज्ञों ने निष्कर्ष निकाला था की यह रिपोर्ट जीएसटी को श्रद्धांजलि है क्योंकि कैग ने अपने रिपोर्ट में साफ़-साफ़ लिखा था की जीएसटी अपने दावे पर सरासर नाकाम रहा है और जीएसटी नियम बनाने वाले एवं इन नियमों को लागू करने वालों में बिलकुल भी समन्वय नहीं है। अगर बात करें जीएसटी रिटर्न की तो सबसे पहले इसकी प्रक्रिया बहुत जटिल है दूसरा इसमें अभी भी टेक्निकल खामियां हैं जिससे पारदर्शिता बिलकुल भी नहीं बन रही है और "इनवॉइस मैचिंग" नहीं हो रहा है।
निष्कर्ष - जीएसटी लागू होने से बाजार में लागत की कमी हुई है जिससे सभी को मुनाफा हो रहा। वहीँ सरकार को कर लेने में आसानी हो रही तथा नियमित रूप से अभी भी निगरानी राखी जा रही है जिससे और सुधार इसमें लाया जा सके। वही व्यवसायिओं को कर देने के लिए अलग अलग इनवॉइस नहीं बनाना पड़ रहा न ही ज्यादा परेशानी हो रही। केंद्र सरकार और राज्य सरकार को एक सही अनुपात में प्रभावी ढंग से कर प्राप्त हो रहे हैं जिससे यह मान सकते हैं की जीएसटी लागू होना भारत की अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद है।
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