अपने व्यापार के लिए दीर्घकालिक लक्ष्य और अल्पकालिक लक्ष्यों का चयन कैसे करें?

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अपने व्यापार के लिए दीर्घकालिक लक्ष्य और अल्पकालिक लक्ष्यों का चयन कैसे करें?

वो काम जिसमें हर कोई सफ़ल नहीं हो पाता है. कुछ व्यापारी व्यापार को तेज़ी से आगे बढ़ाते हुए ले जाते हैं. वहीं कुछ धड़ाम से नीचे गिर जाते हैं. ये सब अपनी मेहनत, लगन और स्मार्टनेस का नतीजा होता है. अगर किसी भी व्यापार में सोच-समझ कर क़दम उठाया जाये, तो उसमें फ़ायदा ही फ़ायदा होता है. बिना सोचे-समझे काम करेंगे, तो ज़ाहिर तौर पर नुकसान तय है.

इसलिये बड़े-बड़े करोबारी हमेशा ही अपने प्लान पर स्टिक रहते हैं. बनाये हुए प्लान पर चल कर ही वो एक छोटे से स्टार्टअप को बड़ा बना देते हैं. वहीं कुछ लोग बस प्लान के बारे में सोचते रह जाते हैं. वो इसी कशमकश में फंसे रहते हैं कि कारोबार के लिये शॉर्ट टर्म गोल्स सही हैं या लॉन्ग टर्म गोल्स. वहीं कुछ तो ऐसे भी होंगे, जिन्हें शायद दोनों ही गोल्स की जानकारी न हो.

अगर आप भी अपना कारोबार शुरू करना चाहते हैं, लेकिन शॉर्ट टर्म गोल्स और लॉन्ग टर्म गोल्स के असमंजस में हैं, तो आज का मुद्दा आपके लिये ही है. इस आर्टिकल के ज़रिये आपको इतना पता चल जायेगा कि आपको बेहतर बिज़नेस के लिये कौन सा गोल सेट करना चाहिये और उस पर अमल करके आप कितना आगे बढ़ सकते हैं, लेकिन उससे पहले जानिये लॉन्ग-शॉर्ट टर्म गोल्स हैं क्या?

क्या है दीर्घकालिक लक्ष्य बिजनेस गोल्स?

दीर्घकालिक व्यापार लक्ष्यों को भविष्य में तीन से पांच साल देखने के लिए डिज़ाइन किया जाता है. किसी भी सुव्यवस्थित व्यवसाय में स्पष्ट और परिभाषित दीर्घकालिक लक्ष्य होते हैं, जो कंपनी की दिशा निर्धारित करते हैं और अल्पकालिक उद्देश्य उन दीर्घकालिक लक्ष्यों को चलाते हैं.

ये लक्ष्य किसी भी ये उद्यमी के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि उससे व्यवसाय के उद्देश्य क्लीयर होते हैं. इसके अलावा आवश्यक कार्यों की पहचान करने में मदद करते हैं. उद्यमियों के लिए, दीर्घकालिक लक्ष्यों में न केवल व्यवसाय के लिए लक्ष्य, बल्कि उनके व्यक्तिगत दीर्घकालिक लक्ष्य भी शामिल होने चाहिये.

कैसे करें दीर्घकालिक लक्ष्यों का चयन?

1. विभाजन और जीत

दीर्घकालिक लक्ष्य हमेशा ही स्पेशल होने चाहिये. इसलिये आप अंतिम लक्ष्य को पाने के लिये एक सफ़ल योजना बना सकते हैं. दीर्घकालिक लक्ष्य का मतलब है कि एक ऐसी दिशा में चलना, जहां चलकर सालों बाद आप अपना सपना साकार कर सकते हैं. लक्ष्य को साकार बनाने के लिये आपको उसे दो भागों में बांटना होगा.

पहली बार में छोटा काम लें और उस पर सख़्ती से काम करें. इसके बाद हर दिन अपने काम का विश्लेषण करें और देखें कि आप किस मामले में आगे जा रहे हैं और किस मामले में पीछे हैं. अगर एक बार आपने अपनी ग़लती पकड़ ली, तो उसके बाद उसे ठीक करके आगे बढ़ना आसान हो जाता है.

2. एक बैकअप रखें

लॉन्ग टर्म लक्ष्य में सफ़ल होने का जितना चॉन्स होता है, उतना ही चॉन्स असफ़ल होने का भी होता है. इसलिये दीर्घकालिक लक्ष्य पर चलते हुए हमेशा बैकअप प्लान रेडी चाहिये. जैसे कि अगर सालों बाद आप अपना लक्ष्य हासिल न कर पायें, तो आगे उसे बैलेंस बनाने के लिये एक ऑप्शन हो. लॉन्ग टर्म लक्ष्य में हमारे सामने वित्तीय से लेकर पारिवारिक समस्याएं आ सकती हैं.

इन सभी समस्याओं से निपटने के लिये आपको हमेशा ख़ुद को तैयार रखना पड़ेगा, तभी आप व्यापार में आगे बढ़ कर कुछ हासिल कर सकते हैं. ऐसे में अगर आपके पास एक बैकअप तैयार होता है, तो आपको आगे बढ़ने में ज़्यादा तक़लीफ़ नहीं होती है.

3. लक्ष्य प्रॉफ़िट केंद्रित होना चाहिये

व्यापार में दीर्घकालिक लक्ष्य हमेशा ही मुनाफ़ा देख कर बनाना चाहिये. ऐसा न हो कि आप आंख मूंद कर लक्ष्य लेकर चलते रहें और आने वाले समय में कोई मुनाफ़ा भी न हो. लक्ष्य तय करने से पहले उससे होने वाले मुनाफ़े के बारे में ज़रूर जान-समझ लें.

4. हेल्थ का ध्यान रखें

सबसे ज़रूरी बात ये है कि आपका स्वास्थ्य आपका सबसे बड़ा निवेश है. कभी-कभी लक्ष्य के पीछे-पीछे भागते हुए हम अपनी हेल्थ को इग्नोर करते चले जाते हैं, जिससे आने वाले समय में हमें तकलीफ़ हो सकती है. इसलिये लंबे लक्ष्य में आपकी हेल्थ भी शामिल होनी चाहिये. काम करते हुए समय पर खाना खायें. वो भी हेल्दी. एक्सरसाइज़ करें. पूरी नींद लें और अनुसाशन में रहें. इसके साथ तनाव लेने से बचें.

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आइये अब जानते हैं कि अल्पकालिक लक्ष्य क्या है?

अल्पकालिक लक्ष्य कुछ समय के लिये बनाये जाते हैं. इसे आप एक तरह का एक्सपेरीमेंट भी कह सकते हैं. अगर कोई कम समय में अपने लक्ष्य को हासिल कर लेता है, तो उसके बाद उसे आगे बढ़ने की हिम्मत मिलती है. अल्पकालिक लक्ष्य का समय 6 महीने से लेकर एक साल तक का हो सकता है.

कैसे करें लघु लक्ष्यों का निर्णय?

1. प्लानिंग

कम समय में आप व्यापार को किस स्तर तक ले जाना चाहते हैं इसकी प्लानिंग आवश्यक है. लक्ष्य प्राप्ति के लिये उसकी प्लानिंग जितनी सॉलिड होगी, उसे हासिल करना उतना ही आसान होगा.

2. व्यक्तिगत और व्यापारिक लक्ष्य

लक्ष्य छोटा हो या बड़ा, उसमें व्यापारिक बढ़ोत्तरी के साथ-साथ व्यक्तिगत बढ़ोत्तरी भी आवश्यक है. ऐसा न हो कि शॉर्ट गर्ल गोल्स में आप व्यापार में आगे निकल जायें और व्यक्तिगत मामले में पीछे रह जायें. इसलिये बैलेंस बनाना बेहद आवश्यक है,

3. ट्रैकिंग

लक्ष्य की ओर चलते हुए उसकी ट्रैकिंग भी ज़रूरी है. यानि शॉर्ट टर्म में आप कितने सफ़ल हो रहे हैं और कितने असफ़ल इस बारे में एक लिस्ट तैयार करें. ताकि आपको पता चल सके कि आप सही रास्ते पर चल रहे हैं या नहीं.

4. आत्मविश्वास

लघु लक्ष्य को हासिल करने के लिये आप में आत्मविश्वास होना बेहद आवश्यक है. ये थोड़ा तनाव वाला काम भी है, क्योंकि अगर कम समय आप लक्ष्य हासिल नहीं कर पाये, तो बेहद तनाव वाली बात हो जाती है. इससे आपको बचाना है. आप पास हो या फेल निराश होने वाली बात नहीं है. गिर कर उठने वाले को ही बाज़ीगर कहते हैं.

5. जानकारी

लक्ष्य भले ही छोटा हो, लेकिन आपको उसकी पूरी जानकारी होनी चाहिये. अगर बिना जानकारी के काम निकलेंगे, तो लॉस होना मुमनिक है. इस नुकसान से बचने के लिये कारोबार को लेकर सही और पूरी जानकारी जुटाये. इससे आपको सही दिशा निर्धारित करने में मदद मिलती है और अपने काम को सही तरह से कर पाते हैं.

वहीं अगर जानकारी अधूरी होती है, तो आप अपने ट्रैक से भटक जाते हैं, जो कहीं से भी सही नहीं है. इसलिये बेहतर होगा कि आप पहले सही जानकारी हासिल करें, उसके बाद ही कोई प्लानिंग करें.

6. समय का पाबंद होना

देखिये अच्छा कारोबारी वही होता है, जो हर काम समय पर करता है. अगर आप भविष्य में अच्छे कारोबारी बनना चाहते हैं, तो समय के पाबंद रहिये और हर काम को समय पर ख़त्म करने की कोशिश करें. इससे आपके अंदर कॉन्फ़िडेंस बढ़ेगा और काम ठीक से चलता रहेगा. इसके अलावा पब्लिक आपके काम का सम्मान भी करेगी.

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7. ज़्यादा स्ट्रेस मत लें

ज़्यादा स्ट्रेस लेने से आपकी हेल्थ और काम दोनों पर असर पड़ता है. इसलिये लक्ष्य को लेकर ज़्यादा परेशान न हों. बस अपना काम करते जायें और बाक़ी चीज़ें ख़ुद-ब-ख़ुद होती चली जायेंगी.

इन सबके अलावा आपको बिज़नेस इंवेस्टमेंट के बारे में भी सोचना चाहिये. लक्ष्य छोटा हो या बड़ा, आप उससे क्या पा रहे हैं और क्या खो रहें ये जानना बेहद आवश्यक है. लक्ष्य हासिल करने के लिये आपको शारीरिक और मानसिक रूप से मज़बूत होना पड़ेगा, तभी जाकर सफ़लता आपके क़दम चूमेगी.

अगर आप छोटा लक्ष्य पाने में सही साबित होते हैं, तो आगे बड़े लक्ष्य का सोच सकते हैं. अगर नहीं, तो अपने क़दम पीछे खींच लें और कुछ अलग करना की सोचें. ज़रूरी नहीं है कि हर काम हमारे लिये सही हो. कभी-कभी कुछ चीज़ें हमारे लिये नहीं बनी होती. इसलिये बिना फ़िज़ूल उन चीज़ों के लिये माथा-पच्ची करने की आवश्यकता नहीं है.

आप बस अपने दिल और दिमाग़ से काम करिये, क्या पता जो काम नहीं हुआ उससे कुछ अच्छा होना लिखा हो. इसलिये कभी निराश होकर हार मत मानिये, बस अपना काम करते जाइये. जीत और हार क़िस्मत के दो पहलू हैं. कभी हार तो कभी जीत सही. यही ज़िंदगी की रीति है.

हमें जो जानकारी आपको देनी थी, आप तक पहुंचा दी. बाक़ी निर्णय आपका होगा. आप अपना अच्छा और बुरा अच्छे से समझ सकते हैं.

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