सम्पत्ति की ऑनलाइन बिक्री पर टीडीएस काटे जाने का प्रावधान सरकार द्वारा वित्त विधेयक 2013 के माध्यम से किया गया है। इस प्रावधान में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि यदि कोई व्यक्ति कृषि भूमि को छोड़ कर कोई भी सम्पत्ति 50 लाख रुपये से अधिक की खरीदता है तो उसे 1 प्रतिशत की दर से टीडीएस देना अनिवार्य होगा। यह कटौती खरीददार को स्वयं करनी होती है और उसे सरकारी खजाने में जमा भी करना होता है। यह कटौती न करने और उसे सरकारी खाते में न जमा करने पर सम्पत्ति की रजिस्ट्री नहीं भी हो सकती है। खरीददार पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है । इसके लिए आयकर विभाग की ओर से नोटिस जारी किया जा सकता है। टीडीएस की इस कटौती के लिए खरीददार को टैक्स एकाउंट नंबर (टैन) की आवश्यकता नहीं होती है। इसके लिए खरीदने और बेचने वालों के पैन कार्ड की आवश्यकता होती है।
क्या-क्या हैं प्रावधान?
भारत सरकार द्वारा पेश किये गये वित्त विधेयक 2013 में कृषि भूमि को छोड़कर अन्य किसी तरह की 50 लाख रुपये से अधिक की अचल सम्पत्ति की खरीद पर आयकर अधिनियम की धारा 194 आईए के तहत 1 प्रतिशत की टीडीएस कटौती का प्रावधान किया गया है। इस धारा 194 आईए के तहत क्या क्या प्रावधान किये गये हैं, उन्हें इस प्रकार जानिये:-
1. जून 2013 से यह नियम लागू किया गया है कि जब कोई व्यक्ति 50 लाख रुपये से अधिक की कीमत की कोई इमारत, इमारत का हिस्सा अथवा अन्य किसी तरह की अचल सम्पत्ति खरीदता है, तो उसे विक्रेता को भुगतान करते समय टीडीएस काटना पड़ता है। यह आयकर अधिनियम की धारा 194-आईए में निर्धारित किया गया है।
2. खरीददार को कुल बिक्री की रकम का 1 प्रतिशत टीडीएस काटना होगा। यहां खरीददार द्वारा टीडीएस काटने की आवश्यकता है। विक्रेता के लिए यह नियम लागू नहीं किया गया है।
3. इस नियम में यह स्पष्ट प्रावधान है कि यदि किसी भी अचल सम्पत्ति की कीमत 50 लाख रुपये से कम है तो उस पर किसी तरह का कोई टीडीएस काटे जाने की आवश्यकता नहीं है।
4. 50 लाख से अधिक की कीमत की अचल सम्पत्ति खरीदने पर टीडीएस भुगतान के आधार पर काटा जाता है। यदि आपने भुगतान एक ही किश्त में कर दिया तो टीडीएस एक बार इकट्ठा काट कर जमा करना होता है। यदि भुगतान किश्तों के आधार पर हो रहा है तो प्रत्येक किश्त के भुगतान के साथ टीडीएस भी काटना होगा।
5. अचल सम्पत्ति की कुल राशि पर टीडीएस काटा जाता है न कि 50 लाख से अधिक की राशि पर कटौती की जाती है। मान लीजिये कि आपने कोई प्रापर्टी 65 लाख रुपये की खरीदी तो टीडीएस पूरे 65 लाख रुपये पर काटी जायेगी न कि 65 लाख रुपये में से 50 लाख रुपये घटाकर केवल 15 लाख रुपये पर काटी जायेगी। इस तरह से आपको 65 लाख रुपये पर 1 प्रतिशत राशि 65 हजार रुपये काटनी होगी।
6. अचल सम्पत्ति की खरीद राशि में उसकी मेम्बरशिप का खर्च, कार पार्किंग, बिजली-पानी, स्वीमिंग पूल, पार्क, मेंटीनेंस, एडवांस पेमेंट आदि सभी को शामिल किया जाता है। इन सबको जोड़कर आयी कुल धनराशि पर टीडीएस काटा जाता है। मान लीजिये कि आपने कोई इमारत या प्रॉपर्टी 75 लाख रुपये में खरीदी और उस पर ये सारे खर्चे 10 लाख रुपये के अतिरिक्त आते हैं तो आपको टीडीएस 75 लाख रुपये पर नहीं बल्कि 85 लाख रुपये पर काटना होगा। यह प्रावधान 1 सितम्बर 2019 को या उसके बाद खरीदी गई अचल सम्पत्ति पर लागू किया गया है।
7. अचल सम्पत्ति की खरीद पर टीडीएस का भुगतान करने के लिए किसी भी अचल सम्पत्ति के खरीददार को कर कटौती खाता संख्या यानी टैन की जरूरत नहीं है, उसके लिये पैन कार्ड का ही इस्तेमाल किया जा सकता है।
8. अचल सम्पत्ति पर टीडीएस काटने के लिए खरीददार को विक्रेता का पैन नंबर अवश्य हासिल करना होता है। साथ ही खरीददार का पैन कार्ड होना आवश्यक है। यदि विक्रेता का पैन कार्ड नहीं मिल पाता है तो उस दशा में टीडीएस की कटौती 1 प्रतिशत की जगह 20 प्रतिशत काटनी होगी।
9. अचल सम्पत्ति का भुगतान यदि किश्तों में किया जाना है तो टीडीएस किश्तों के भुगतान के समय ही काटा जाना चाहिये।
10. अचल सम्पत्ति पर खरीददार द्वारा की गयी कटौती को उस महीने की आखिरी तारीख या 30 दिनों के भीतर आयकर विभाग द्वारा निर्धारित फार्म 26 क्यूबी का उपयोग करके सरकारी खाते में जमा कर दिया जाना चाहिये।
11. सरकार के पास टीडीएस जमा करने के बाद खरीददार को विक्रेता को फार्म 16बी में टीडीएस प्रमाण पत्र पेश करना होता है। यह 16 बी फार्म टीडीएस जमा करने के 15 दिन बाद ऑनलाइन हासिल किया जा सकता है। खरीददार को फार्म 16 बी प्राप्त करना आवश्यक होता है। यह फार्म विक्रेता को जारी करना होता है। आप इस फार्म 16 बी को ट्रेसेस से जेनरेट करके डाउनलोड कर सकते हैं।
टीडीएस कटौती व जमा करने की प्रक्रिया
सम्पत्ति की ऑनलाइन बिक्री पर टीडीएस की कटौती के लिए आयकर विभाग द्वारा विधिवत पूरी प्रक्रिया दी गयी है, उस प्रक्रिया का पूरी तरह से पालन करना होता है। इस प्रक्रिया को इस तरह से ऑनलाइन पूरा किया जाना चाहिये, जो इस प्रकार है:-
आयकर विभाग द्वारा सम्पत्ति की बिक्री पर टीडीएस काटे जाने के लिए 26 क्यूबी फार्म दिया गया है, जिसे ऑनलाइन भरा जा सकता है।
1. इसके लिए सबसे पहले आपको टिनएनएसडीएल की वेबसाइट डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यूडॉटटिनडैशएनएसडीएलडॉटॉम पर जाना होगा।
2. सम्पत्ति की बिक्री पर टीडीएस के तहत सम्पत्ति पर टीडीएस फाइल करने के लिए ऑनलाइन फार्म (फार्म 26क्यूबी) पर क्लिक करें
3. सम्पत्ति की बिक्री पर टीडीएस के लागू होने वाले चालान को चुनें।
4. फार्म में आवश्यक जानकारी देकर भरें। यूजर को फार्म 26 क्यूबी भरने के लिए कुछ आवश्यक दस्तावेज पहले से तैयार रखने होंगे। जो इस प्रकार हैं:-
क) खरीदने वाले और बेचने वाले दोनों के पैन कार्ड
ख) खरीदने वाले और बेचने वाले का पता, फोन नंबर आदि के दस्तावेज
ग) प्रॉपर्टी का पूरा विवरण
घ) भुगतान किया गया पेमेंट और किश्त आदि तथा जमा किये गये टैक्स की जानकारी के दस्तावेज
5. आगे बढ़ने से पहले आवश्यक जानकारी देकर फार्म को अच्छी तरह से पूरा करें। इसके आपको स्क्रीन पर एक कन्फर्म की बटन दिखेगी। उस पर क्लिक करें। इसके बाद आपको स्क्रीन पर दो तरह की बटन दिखेंगी, जिसमें से एक पर लिखा होगा 26 क्यूबी फार्म को प्रिंट करना है और दूसरे पर लिखा होेगा कि बैंक के समक्ष पेश करना है। साथ ही एक एकनालेज नंबर भी लिखा दिखेगा। इस एकनालेज नंबर को सेव कर ले यानी सुरक्षित रख लें क्योंकि यह नंबर भविष्य में आपके काफी काम आयेगा। पहले आप 26 क्यूबी फार्म को प्रिंट करने वाले बटन पर क्लिक करें। उसके बाद बैंक के समक्ष पेश करने वाले बटन पर क्लिक करें। इसके बाद आप यदि ऑनलाइन पेमेंट करना चाहे तो इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से पेमेंट कर सकते हैं।
6. सफलता पूर्वक भुगतान हो जाने के बाद आपके समक्ष एक काउंटर फॉइल सामने नजर आयेगी। जिसमें सीआईएन, पेमेंट की डिटेल और उस बैंक का नाम दर्ज होगा जिसके माध्यम से आपने भुगतान किया है। यह काउंटर फाइल आपके द्वारा भुगतान किये जाने का प्रमाण है। इसे भी संभाल कर रखना चाहिये।
पन्द्रह दिन बाद आपको पोर्टल डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यूडॉटटीडीसीपीसीडॉटगावडॉटइन पर खोज करनी चाहिये और वहां से आपको फार्म 16बी को डाउन लोड करना होगा। फार्म 16 बी को डाउन लोड करने के लिए ये काम करें
1. पोर्टल डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यूडॉटटीडीएससीपीसीडॉटगॉवडॉटइन को लॉगिन करके अपने पैन का इस्तेमाल कर टैक्सपेयर के रूप में रजिस्टर करें ।
2. फार्म 16 बी (बायर के लिए) मीनू में दिख रहे डाउनलोड वाली बटन को क्लिक करके डाउनलोड करें
3. आपको उस प्रॉपटी की डिटेल भरनी होगी जिसके लिए आप 16 बी फार्म के लिये रिक्वेस्ट कर रहे हैं। आपको एसेसमेंट ईयर को दर्ज करना होगा, एकनालेज नंबर और विक्रेता का पैन नंबर इंटर करके प्रोसीड की बटन पर क्लिक करना है।
4. आपकी स्क्रीन पर कन्फर्मेशन की बटन नजर आयेगी। उसमें लिखे सबमिट रिक्वेस्ट पर क्लिक करके अगली कार्यवाही करें।
5. इसके बाद आपको आपके द्वारा डाउनलोड किये जाने की रिक्वेस्ट के सफल होने का मैसेज सामने आयेगा। कृपया रिक्वेस्ट नंबर को नोट करें और डाउनलोड रिक्वेस्ट के लिए सर्च करें।
6. रिक्वेस्टेड डाउनलोड पर क्लिक करके अपनी फाइल को डाउनलोड करें।
7. रिक्वेस्ट नंबर के लिए सर्च करें और रिक्वेस्ट वाली लाइन में एचटीटीपी डाउनलोड की बटन पर क्लिक करें।
8. यदि आपके स्टेटस में वेट करने का मैसेज आता है तो कुछ घंटों के बाद आप लास्ट स्टेप को फिर से रिपीट कर दें।
9. इसके बाद आपको जिप फाइल डाउनलोड करनी होगी। इसके लिए पासवर्ड मांगे जाने पर टीडीएस काटने वाले शख्स की डेट आफ बर्थ यानी जन्म दिन की तारीख, महीना और साल डालना होता है। उसके बाद यह फार्म आपके सामने आ जायेगा। इसको प्रिंट कराकर अपने पास सुरक्षित रख लें और विक्रेता को प्रमाण के तौर पर दे सकते हैं।
26 क्यूबी फार्म द्वारा टीडीएस न पेश किये जाने पर नोटिस जारी होता है
आयकर विभाग प्रत्येक रजिस्ट्रार और उप रजिस्ट्रार से प्रति वर्ष एआईआर यानी एनुअल इन्फार्मेशन रिटर्न की रिपोर्ट मांगता है। जिसमें साल भर में 50 लाख रुपये से अधिक की सम्पत्ति की खरीदी पर काटे गये टीडीएस की पूरी जानकारी होती है। आयकर विभाग इस तरह से यह पता करता है कि साल भर में किस व्यक्ति ने 50 लाख रुपये से अधिक की सम्पत्ति खरीदने के बाद टीडीएस काटा है या नहीं काटा है। यदि काटा है तो उसे विभाग के मद में जमा कराया है या नहीं है। जिस व्यक्ति ने टीडीएस नहीं जमा कराया है आयकर विभाग उसको नोटिस जारी करता है।
समय पर टीडीएस की राशि सरकार के पास जमा कराये जाने पर आयकर विभाग खरीददार को नोटिस जारी करके उससे कारण पूछता है और यदि खरीददार सही जवाब देता है और विभाग उससे संतुष्ट हो जाता है तो वह उसे फीस देने को कहता है वरना जुर्माना लगा देता है।
इस तरह का नोटिस आता है
आयकर विभाग द्वारा जारी किये जाने वाले नोटिस का नमूना इस प्रकार है:-
नोटिस
विषय: सीपीसी (टीडीएस)
फॉलोअप: वित्त वर्ष-2019-20 के दौरान खरीदी गयी अचल सम्पत्ति पर अब तक 26 क्यूबी का स्टेटमेंट दाखिल नहीं किया गया है।
खरीद-फरोख्त की तिथि: 5-6-2019
अचल सम्पत्ति के प्रिय खरीददार
(पैन कार्ड नं.-------)
रजिस्ट्रार/सब रजिस्ट्रार के माध्यम से प्राप्त की गई एनुअल इन्फार्मेशन यानी वार्षिक सूचना के विवरण से मालूम हुआ है कि आपने वित्तीय वर्ष 2019-20 में 50 लाख रुपये से अधिक की अचल सम्पत्ति खरीदी है। इस बारे में अभी तक 26 क्यूबी फार्म के माध्यम से टीडीएस को पेश नहीं किया है। इस संबंध में फार्म 26 क्यूबी में टीडीएस फाइल करने और टीआरएसीईएस से डाउनलोड किए गये फार्म 16बी में टीडीएस प्रमाण पत्र जारी करने की ओर आपका ध्यान आकर्षित किया जाता है।
26 क्यूबी फार्म का फाइल करना जरूरी होता है
वित्त अधिनियम 2013 के अनुसार 50 लाख रुपये से अधिक की कृषि भूमि छोड़कर अचल सम्पत्ति की खरीद पर टीडीएस काटना जरूरी होता है और उसे सम्पत्ति खरीदी के 30 दिन के अंदर फार्म 26 क्यूबी के तहत विभाग के पास जमा कराना जरूरी होता है।
आयकर अधिनियम 1961 की धारा 194 आईएÑ आयकर नियमों में नियम 30, 31 और 31ए में यह स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि 1 जून 2013 से 50 लाख रुपये से अधिक की अचल सम्पत्ति (कृषि भूमि को छोड़कर) के सभी प्रकार के लेन-देन में सम्पत्ति के खरीददार द्वारा 1 प्रतिशत टीडीएस की कटौती की जानी चाहिये। खरीददार द्वारा की गयी कटौती को ई-टैक्स पेमेंट नेटबैंकिंग या किसी अधिकृत बैंक शाखा से सरकारी खाते में जमा किया जाना चाहिये।
आयकर अधिनियम की धारा 194 आईए के तहत इस प्रकार की कटौती किये जाने के महीने के आखिरी के सात दिनों में केन्द्र सरकार के खाते में जमा करना आवश्यक है।
अचल सम्पत्ति के खरीद-फरोख्त के सम्बन्ध में जानकारी प्रस्तुत करने के लिए खरीददार और विक्रेता का पैन कार्ड का विवरण ऑनलाइन 26 क्यूबी फार्म में प्रस्तुत किया जाना चाहिये। आयकर विभाग की वेबसाइट डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यूडॉटटीआईएनडैशएनएसडीएलडॉटकॉम पर अचल सम्पत्ति की बिक्री के लेन-देन और उसके टीडीएस के भुगतान किये जाने के सम्बन्ध में पूरी जानकारी पेश किये जाने की सुविधा मौजूद है।
सरकारी खाते में काटे गए और जमा किए गए टीडीएस के संबंध में फार्म 16बी में टीडीएस प्रमाण पत्र विक्रेता को सम्पत्ति के खरीददार द्वारा जारी किया जाना आवश्यक है।
फार्म 16 बी को सेंट्रलाइज्ड प्रोसेसिंग सेल (टीडीएस) की वेबसाइट डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यूडॉटटीडीएससीपीसीडॉटजीओवीडॉटआईएन पर रजिस्टर करके डाउनलोड किया जा सकता है। इस प्रमाण पत्र का जारी किया जाना अति आवश्यक होता है। इसके अलावा यह टीडीएस सर्टिफिकेट केवल ट्रेसेज पोर्टल से डाउनलोड किये गये ही मान्य होंगे।
खरीददार द्वारा टीडीएस फाइल न करने पर क्या होता है
टीडीएस की कटौती नहीं किये जाने, कटौती के बाद समय पर नहीं जमा किये जाने अथवा कटौती के बाद जमा न किये जाने की स्थिति में खरीददार पर जुर्माना लगाया जाता है अथवा सम्पत्ति की खरीद-फरोख्त को रद्द भी किया जा सकता है।
फार्म 26 क्यूबी के माध्यम से टीडीएस न जमा किये जाने अथवा देरी किये जाने की स्थिति में खरीददार पर अधिनियम की धारा 243ई के तहत फीस लगायी जाती है। खरीददार को ऐसी स्थिति में जमा न किये जाने तक प्रतिदिन 200 रुपये का शुल्क भरना होता है।
टीडीएस की देर से कटौती करने, देर से भुगतान करने और उस पर ब्याज की चूक के लिए भी खरीददार पूरी तरह से जिम्मेदार माना जाता है। एसेसमेंट ऑफिसर द्वारा अधिनियम की धारा 271 एच के तहत ब्याज का जुर्माना लगाया जाता है।
फार्म 26 क्यूबी के तहत टीडीएस के समय पर न जमा करने या देरी से जमान करने की स्थिति में विक्रेता टीडीएस क्रेडिट का किसी प्रकार का दावा नहीं कर पायेगा।
फार्म 26 क्यूबी न भरने पर कौन-कौन से दंड दिये जा सकते हैं?
खरीददार को ब्याज का जुर्माना भुगतना होता है। जिस तारीख को टीडीएस काटा गया है और उसका भुगतान नहीं किया है तो उस अवधि से 1 प्रतिशत प्रतिमाह की दर से ब्याज चुकाना होता है।
भुगतान की तिथि के बाद टीडीएस कटौती की तारीख से लेकर टीडीएस भुगतान किये जाने तक लेट होने की स्थिति में खरीददार को 1.5 प्रतिशत प्रतिमाह की दर से ब्याज का भुगतान करना होगा।
देरी होने का शुल्क लगाया जाता है
टीडीएस के भुगतान में देरी होने पर आयकर अधिकारी द्वारा आयकर अधिनियम की धारा 234 ई के तहत रोजाना 200 रुपये की फीस ली जाती है। यह फीस फार्म 26क्यूबी को भरे जाने तक ली जाती रहेगी।
जुर्माना लगाकर किया जाता है दंडित
आयकर विभाग के कर निर्धारण अधिकारी द्वारा आयकर अधिनियम की धारा 271 एच के तहत अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए लेवी जुर्माना लगाया जा सकता है। यह धारा उस समय लागू की जाती है जबकि खरीददार द्वारा आयकर नियमों के तहत समय पर टीडीएस का भुगतान नहीं किया गया होता है। इस धारा के तहत 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है जिसे बढ़ा कर एक लाख रुपये तक किया जा सकता है। यदि टीडीएस फीस, ब्याज के साथ एक साल के अंदर जमा किया जाता है तो उस खरीददार पर लेवी जुर्माना नहीं लगाया जाता है।
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