किसी भी संस्थान का कर्मचारी यानी इम्प्लायी उस संस्थान की अपनी निजी चलती-फिरती सम्पत्ति होती है। दूसरे शब्दों में कहें कि इम्प्लायी अपने संस्थान की मोबाइल एसेट्स होता है। इसका कारण यही बताया जाता है कि कर्मचारी ही संस्थान को हमेशा से आगे बढ़ाते आये हैं और बढ़ाते रहेंगे। ये संस्थान पर निर्भर करता है कि वह अपने कर्मचारी/इम्प्लायी के साथ किस तरह से व्यवहार करता है। कर्मचारी अपने संस्थान के मैनेजमेंट यानी बिजनेस मैन के व्यवहार से कितने अधिक खुश रहते हैं। यदि संस्थान अपने कर्मचारियों को समय-समय पर प्रोत्साहित करता रहता है। यानी उनकी हौसला अफजायी करता रहता है, उनकी भलाई के लिए तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित करता रहता है तो वे कर्मचारी अपने संस्थान के प्रति केवल अधिक निष्ठा, ईमानदारी और पूर्ण समर्पण के साथ ही काम नहीं करते हैं बल्कि अपने हुनर से नये-नये प्रयोग करके उसे आगे बढ़ाने में भी मदद करते हैं। इसलिये कर्मचारियों की हौसला अफजायी करने से संस्थान के संचालकों को पीछे नहीं रहना चाहिये, वो भी ऐसे समय में जब महामारी का संकट हो।
कौन से संस्थान करते हैं तरक्की ?
कहा जाता है कि कर्मचारियों की लम्बी चौड़ी फौज वाले सारे संस्थान तरक्की नहीं करते हैं। इनमें से काफी संस्थान तो बहुत अधिक तरक्की करते हैं और इनमें से कई संस्थान औसत दर्जे की तरक्की करते हैं, कई संस्थान कम तरक्की करते हैं और कुछ संस्थान तरक्की ही नहीं करते हैं। जबकि कुछ संस्थान तरक्की की जगह उल्टा घट जाते हैं यानी पटरी से उतर जाते हैं। हालांकि इन सारी चीजों में कई चीजें मैटर करतीं हैं लेकिन यदि केवल कर्मचारियों की भूमिका से बिजनेस में इतने सारे उतार-चढ़ाव होते हैं तो अवश्य ही यह विचारणीय प्रश्न है कि संस्थान का मैनेजमेंट और कर्मचारियों के बीच कैसा रिश्ता है। इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिये। यदि कर्मचारियों की वजह से कोई संस्थान अच्छी तरक्की करता है तो उसके प्रबंधन और कर्मचारियों के बीच रिश्ते बहुत अच्छे हैं। ऐसे संस्थानों में जहां कर्मचारी अपने प्रबंधन का सम्मान करता है, निष्ठापूर्ण समर्पण के साथ काम करता है तो वहीं प्रबंधन भी अपने कर्मचारियों का खास ख्याल रखता है और समय-समय पर उनकी हौसला अफजायी भी करता रहता है।
विपदा को अवसर में बदल देते हैं ये कर्मचारी
1. अपने काम के प्रति ईमानदार, संस्थान के प्रति वफादार, समर्पित कर्मचारी कैसी भी विषम परिस्थितियां सामने आयें तो उनमें भी संस्थान की प्रगति को आंच नहीं आने देते हैं। इसका ताजा उदाहरण 2020 में शुरू हुई वैश्विक कोविड-19 की महामारी का है। इस महामारी ने पूरे विश्व के व्यापार और व्यापार करने की शकल ही बदल डाली है। इस विषम परिस्थितियों में जहां पूरा विश्व आर्थिक मंदी से हाहाकार करता रहा वहीं कुछ ऐसे भी संस्थान और बिजनेस रहे हैं जिन्होंने इस महामारी के दौरान काफी अच्छी प्रगति की है।
2. इसका सबसे बड़ा कारण यह रहा कि इन संस्थानों ने अपने कर्मचारियों को काम करने के मौके दिये, उनके अंदर छिपे हुनर को तराशा और उनका इस्तेमाल किया। साथ ही संस्थानों ने इस विषम परिस्थितियों की आवश्यकताओं के अनुरूप कर्मचारियों के हितों की आगे बढ़कर रक्षा की। उन्हें काम करने में कोई दिक्कत या परेशानी न आये, इसका ध्यान रखते हुए उन्हें सहायक उपकरणों की भी सुविधा उपलब्ध करायी।
3. अपने कर्मचारियों के साथ लगातार सम्पर्क करके संस्थान के प्रबंधन ने उन्हें यह अहसास कराया कि कर्मचारी उनके संस्थान में सुरक्षित और संरक्षित हैं। उन्हें किसी तरह के जोखिम का सामना नहीं करना पड़ेगा। संस्थान उनकी हर तरह से मदद करने को तैयार है।
4. साथ ही साथ उनके अच्छे कामों को सराहा गया और अपने संस्थान के अन्य कर्मचारियों के बीच उनकी प्रशंसा भी की गयी। इसका नतीजा यह हुआ कि ऐसे कर्मचारियों ने संस्थान को आगे बढ़ाने के लिए अपने प्रयास तेज कर दिये। उनको देखकर अन्य साथी कर्मचारियों ने भी ऐसा करना शुरू कर दिया। ऐसा सुखद परिणाम संस्थान की प्रगति के रूप में सामने आया। इसे ही कहते हैं कि विपदा को अवसर में बदलना।
किन-किन तरीकों से की जा सकती है हौसला अफजाई
एक बिजनेस मैन को हमेशा फायदे का सौदा करना चाहिये। यदि दो पैसे अपने कर्मचारी पर खर्च करके पांच पैसे एक्स्ट्रा कमाये सकते हैं, तो उन्हें तुरन्त खर्च कर देना चाहिये। इसलिये आज हमारे देश में बहुराष्ट्रीय कंपनियां और कुछ शीर्ष राष्ट्रीय कंपनियां ऐसी हैं जो अपने कर्मचारियों के हितों की अनेक योजनाएं बनाकर काफी अच्छी और काफी तेजी से तरक्की कर रहीं हैं। इन संस्थानों का प्रबंधन अपने कर्मचारियों को अनेक सुविधाएं व मान-सम्मान देकर प्रोत्साहित कर रहा है। इससे खुश होकर संस्थान के कर्मचारी भी उसका अच्छा रिटर्न भी दे रहे हैं। उसका नतीजा सामने हैं कि कोविड-19 की महामारी में जहां अन्य संस्थान पिछड़ रहे हैं, उनके समक्ष संकट उत्पन्न हो रहे हैं, वहीं ये चुनिंदा संस्थान तरक्की कर रहे हैं।
किसी बिजनेसमैन द्वारा अपने कर्मचारियों को किस तरह से मान-सम्मान, पुरस्कृत करेया सुविधाओं से नवाजे ताकि उसके कर्मचारी और अधिक अच्छे प्रयत्न करके संस्थान को आगे बढ़ायें, इनमें से कुछ प्रमुख टिप्स इस प्रकार हैं :-
1.विश्वास की डोर मजबूत करें
महामारी के दौरान जब विषम परिस्थितियां उत्पन्न हों और घबराहट का माहौल हो तब सबसे पहले संस्थान के प्रबंधन को चाहिये कि वह अपने कर्मचारियों के प्रति विश्वास की डोर को और मजबूत करे। ताकि कर्मचारियों को यह महसूस हो सके कि हमारा प्रबंधन हर हाल में हमारे साथ है, अवसर आने पर हमें किसी तरह से निराश नहीं होना पड़ेगा।
2.पारदर्शिता आवश्यक है
महामारी के दौरान प्रबंधन और कर्मचारियों के बीच पारदर्शिता होनी चाहिये। कर्मचारियों को यह महसूस हो सके कि हमारा प्रबंधन हमारे साथ पूर्ण विश्वास के साथ काम कर रहा है। हमें भी रिटर्न में संस्थान के प्रति और अधिक लगन व मेहनत से काम करना होगा। कर्मचारी के साथ पक्षपात, भेदभाव करने से संस्थान का ही अहित होता है।
3. कृतज्ञता/आभार प्रकट करना
आजकल कोई भी व्यक्ति अपनी तारीफ कराना पसंद करता है, यह उसकी आदत में शािमल होता है। बिजनेसमैन यदि अपने अच्छे कर्मचारी के लिए धन्यवाद, थैंक्यू, सैल्यूट आदि दो शब्द बोल देगा तो वो कर्मचारी गदगद हो जायेगा और संस्थान के प्रति और अधिक समर्पण भावना के साथ काम करेगा। इसलिये आपत्तिकाल यानी महामारी के दरम्यान यदि कोई कर्मचारी या कुछ कर्मचारी अच्छे-अच्छे प्रत्यत्न करते हैं और उनका परिणाम भी संस्थान के हित में अच्छा आता है तो संस्थान के प्रबंधन या बिजनेसमैन को चाहिये कि वो उस कर्मचारी या उन कर्मचारियों की हौसला अफजायी प्रकट करने के लिए कर्मचारियों द्वारा किये गये अच्छ काम के प्रति कृतज्ञता अवश्य प्रकट करें यानी उन्हें आभार प्रकट करने वाले अच्छे-अच्छे शब्दों को लिखकर खूबसूरत प्रशंसा पत्र अवश्य दे तथा जब भी संस्थान की जनरल मीटिंग हो उसमें उनकी तारीफ भी अवश्य करे।
4. आपसी मेलजोल बढ़ायें
संस्थान के प्रबंधन को महामारी के संकट के समय अपने कर्मचारियों का हर तरह से ख्याल रखना चाहिये। अनुशासन के दायरे में रहकर उनसे मेलजोल बढ़ाना चाहिये। उनका हालचाल पूछना चाहिये। महामारी के दौरान लॉकडाउन या कर्फ्यू जैसी स्थिति का सामना करना पड़े तो सबसे पहले कर्मचारियों के सुरक्षित आने-जाने की व्यवस्था करना चाहिये। यदि मार्केट में खाने-पीने यानी लंच की व्यवस्था न हो सकती हो और प्रबंधन लंच की व्यवस्था करने में सक्षम है तो उसे यह व्यवस्था करनी चाहिये तथा अपनी मौजूदगी में कर्मचारियों लंच कराये। इससे कर्मचारियों का बिजनेसमैन के प्रति लगाव अधिक बढ़ जाता है। वे उसके निर्देश पर संस्थान के लिए कुछ भी करने के लिये तैयार रहते हैं।
5. जौहरी बन हीरे को निखारें यानी अवसर दें
संस्थान के कर्मचारियों में आपसी तालमेल मैनेजमेंट से अधिक होता है। कभी कभी तो कोई अदना सा कर्मचारी भी किसी मैनेजर व अपने इंचार्ज से बहुत अच्छा काम कर जाता है। ऐसे कर्मचारियों में प्रतिभा तो काफी होती है लेकिन मैनेजमेंट की उपेक्षा के कारण ये प्रतिभाएं दबी रह जातीं हैं। जब महामारी की स्थिति आये तो जनरल मीटिंग कर सभी कर्मचारियों के विचार लेने चाहिये। इसके लिए सभी कर्मचारियों को मानसिक रूप से स्वतंत्र कर देना चाहिये। सभी के विचारों को एकत्रित करके आंकलन करना चाहिये और जिसके विचार अच्छे हों उसे संस्थान का नया हीरा मानकर उसको निखरने का मौका दिया जाना चाहिये। ताकि वह अपनी छिपी प्रतिभा से संस्थान को नया रास्ता दिखाने में अपनी भूमिका निभा सके।
6. वेलनेस प्रोग्राम यानी कर्मचारी हितों के कार्यक्रम अपनाएं
जब महामारी का प्रकोप होता है और इससे लोग प्रभावित होते हैं तब संस्थान के मैनेजमेंट यानी बिजनेसमैन को अपने कर्मचारियों के कल्याण कार्यक्रम आयोजित करने चाहिये। उनके स्वास्थ्य की पूछताछ करके उनकी देखभाल करनी चाहिये। उनसे उनके परिवार के सदस्यों के भी स्वास्थ्य के बारे में पूछताछ करनी चाहिये। यदि कोई समस्या है तो उसे तत्काल सुलझाने का प्रयास करना चाहिये। इससे कर्मचारी बिजनेस मैन के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ जायेगा। इसका अच्छा संदेश कर्मचारियों में जायेगा और वे संस्थान के प्रति और अधिक समर्पित हो जायेंगे।
7. सामाजिक प्रतिष्ठा को बढ़ाना
अपने उन कर्मचारियों की सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ाने का प्रयास करें, जो मैनेजमेंट के साथ सम्पर्क रखते हो । साथ ही ग्राहकों से सीधा सम्पर्क रखते हों अथवा ग्राहकों की समस्याओं को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हों। अर्थात ग्राहकों को सबसे अधिक जिन पर विश्वास रहता हो। ऐसे लोगों को सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए उनके लिए विशेष नेमप्लेट, विशेष पद वाला विजिटिंग कार्ड अथवा अपनी वेबसाइट पर उनके नाम व फोटो प्रकाशित करें। इससे ऐसे कर्मचारियों का हौसला काफी बढ़ेगा और संस्थान के प्रति और भी अधिक समर्पण से काम करने की कोशिश करेंगे।
8. खास अवसरों पर सम्मानित करना
कर्मचारियों को सम्मानित करने की परंपरा चलती ही रहनी चाहिये। इस तरह के प्रयासों से कर्मचारियों को समय समय पर आक्सीजन मिलती रहती है, जो संस्थान के लिए लाभकारी साबित होती है। बिजनेसमैन को चाहिये कि वह कर्मचारियों के जन्म दिन, उसकी शादी की सालगिरह, धर्म-समुदाय के अनुसार उनके खास पर्व आदि पर उनका सम्मान करना चाहिये। इसके लिए कर्मचारियों को गिफ्ट कार्ड, गिफ्ट, जश्न मनाने के लिए अवकाश दें। इससे उनके मन में बिजनेसमैन के प्रति और अधिक सम्मान उत्पन्न होगा।
9. सम्मान देने में देरी न करें
यदि किसी कर्मचारी ने विपदा यानी महामारी के समय में संस्थान के प्रति अच्छा काम किया है और वह उस काम के लिए शाबासी पाने का हकदार है तो उसे तुरन्त शाबासी दी जाये। उसमें यदि देर की गई तो इससे कर्मचारी के मन में निराशा का भाव उत्पन्न हो जायेगा है। उसके मन में यही विचार आयेगा कि संस्थान में चाहे जितना अच्छा काम कर लो कोई उसकी मेहनत की ओर ध्यान देने वाला कोई नहीं है। इससे अच्छा तो यही होगा कि अपने काम की जितनी जिम्मेदारी बनती है उतना ही काम करो। इस तरह से वो अच्छा काम करना या उसके लिए अलग से प्रयत्न करना ही छोड़ देता है।
10. क्रिएटिव माइंड को पहचानें, अलग से सम्मान दें
प्रत्येक संस्था में कुछ ऐसे कर्मचारी होते हैं जो हमेशा ही कुछ न कुछ अलग करने की सोचते रहते हैं। जब भी उन्हें मौका मिलता है वे इस तरह का काम करके दिखाते भी हैं। यदि उनके ये प्रयास खासकर महामारी के दौरान संस्थान के काम आते हैं तो उन्हें प्रशंसा देने के साथ पुरस्कार या इनाम भी देना चाहिये। इससे उस व्यक्ति का तो हौसला बढ़ेगा ही साथ उस व्यक्ति को देखकर दूसरे कर्मचारियों को भी प्रेरणा मिलेगी। इसका सीधा लाभ संस्थान को मिलेगा।
11. आउटडोर मीटिंग है बेस्ट आइडिया
कभी कभी बदलाव संस्थान को आगे बढ़ाने में काफी सहायक होते हैं। छोटा सा बदलाव कंपनी या संस्थान को काफी अच्छे परिणाम दे सकते हैं। बिजनेस मैन को थोड़ा सा बदलाव लाने के लिए कर्मचारियों के सैर सपाटे पर थोड़ा बहुत खर्च कर देना चाहिये। इसके लिए आउटडोर मीटिंग आयोजित करने का अच्छा आइडिया है। जहां इससे संस्थान की छवि निखरती है, वहीं इससे कर्मचारियों के मन में बिजनेसमैन के प्रति लगाव और अधिक बढ़ जाता है। वो अपने-अपने समाज में संस्थान की इन अच्छी बातों का प्रचार भी करते हैं।
12. गिफ्ट कार्ड से करें सम्मानित
महामारी के दौरान अच्छा काम करने वाले कर्मचारी को ऐसे इनाम से सम्मानित करना चाहिये जो कुछ समय तक याद रखा जाये। साथ ही अन्य साथी कर्मचारियों के लिए प्रेरणा बन सके। इसमें बिजनेस मैन को चाहिये कि कर्मचारियों को धन्यवाद एवं प्रशंसा की भाषा वाले गिफ्ट कार्ड बनवाये और उन्हें प्रशंसनीय कर्मचारियों को दे। ये कार्ड यदि कर्मचारियों के बड़े समूह के बीच में दिया जाये तो उसका संस्थान के कर्मचारियों के बीच अच्छा संदेश जायेगा।
13. प्रमोशनल कार्यक्रम आयोजित करें
महामारी के दौरान जब काम की अधिकता हो, काम का तनाव है, काम करने का समय अधिक हो तो ऐसे मौके पर बिजनेसमैन को चाहिये कि प्रमोशनल कार्यक्रम आयोजित करें। प्रत्येक व्यक्ति के कुछ रचनात्मक शौक यानी क्रिएटिव हॉबीज होतीं हैं जिन हॉबीज को करने से वह अधिक खुश हो सकता है और उनसे अपना किसी तरह का तनाव दूर कर सकता है। ये हॉबीज सिंगिंग, पेन्टिंग, राइटिंग, कुकिंग, प्लेइंग गेम, डांस, म्यूजिक कुछ भी हो सकतीं हैं। यदि प्रमोशनल कार्यक्रम में अपने कर्मचारियों को इस तरह से अपनी हॉबी पूरी करने का मौका देंगे तो उनके अन्दर तनाव समाप्त होगा तथा नई ऊर्जा उत्पन्न होगी। इससे वे महामारी के पुराने टेंशन को भूल कर नई ऊर्जा के साथ काम करना शुरू कर देंगे। जो संस्थान के लिए लाभप्रद साबित होगा।
14. सुझावों को महत्व देकर हौसला बढ़ायें
कोई भी कर्मचारी उस समय सबसे अधिक खुश होता है जब मैनेजमेंट या बिजनेसमैन उनके सुझावों को मान लेता है। इससे वह खुद को काफी गौरवान्वित अनुभव करता है। उसको लगता है कि संस्थान में उसका महत्व है, उसकी काफी कद्र की जाती है, उसकी बात की सुनवाई की जाती है। ऐसा करने के लिए बिजनेसमैन को चाहिये कि वह जब भी किसी नयी योजना बनाने का निर्णय ले या किसी पुरानी योजना को नया रूप देने का निर्णय लें अथवा किसी आने वाली योजना के बारे में फैसला करे। तो उस समय अपने कर्मचारियों से सलाह-मशविरा अवश्य करे और उनसे उनकी राय मांगे यानी सुझाव ले। उन सुझावों व राय मशविरे पर विचार करे। जिसका सुझाव या मशविरा अच्छा हो और संस्थान के हित में हो अथवा आपकी राय से मिलता जुलता हो उस कर्मचारी को इसके लिए धन्यवाद दे और उसकी सराहना करें। इस तरह से उसका हौसला बढ़ेगा।
15. बिजनेसमैन की कर्मचारियों से सीधी मुलाकातसंस्थान
बिजनेसमैन या चेयरमैन अथवा अन्य कोई सुप्रीम अथॉरिटी हो यदि महामारी के दौरान कर्मचारियों से मुलाकात करके उन्हें आश्वासन दे दे तो इससे कर्मचारियों का हौसला काफी बढ़ जाता है। वे अपने बेहतर से बेहतर प्रयास संस्थान की तरक्की के लिए करने लगते हैं। बिजनेस मैन या संस्थान के संचालक के लिये यह जरूरी नहीं कि सारे कर्मचारियों के साथ इस तरह की मीटिंग करे। उसके लिए कर्मचारियों को छांटना होगा। जैसे पुराने विश्वसनीय कर्मचारी या उनका ग्रुप, अच्छी परफार्मेंस देने वाले, अच्छा व्यवहार करने वाले, अच्छी क्रिएटिविटी करने वाले कर्मचारियों का ही चयन करें और उनसे समय-समय पर उनसे मुलाकात करे। महामारी के चलते या किसी अन्य कारण से बिजनेसमैन इस तरह के कर्मचारियों से आमने-सामने मुलाकात न कर सके तो उनसे वीडियोकॉल करके अवश्य सम्पर्क करे। उनसे उनके हालचाल लें और उनके द्वारा किये गये कामकाज की समीक्षा करे और अच्छे काम के लिए दो शब्द कहकर उनकी तारीफ अवश्य करे तो कर्मचारी दोगुने उत्साह से फिर अपने काम में जुट जायेगा।
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