दिन प्रतिदिन बढ़ता हुआ जनसंख्या का महा विस्फोट बेरोजगारी को सातवें आसमान पर ले गया है, जिससे आज देश का युवा और निम्न आयु वर्ग भी इधर-उधर भटकने के लिए मजबूर हो गया है।
कहीं पर समय की कमी है तो किसी के पास आर्थिक तंगी तथा जिसके पास यह दोनों चीजें हैं उसके पास कोई अच्छा बिजनेस आइडिया नहीं है, लेकिन अगर एक बड़े पैमाने पर देखा जाए तो आज अधिकतम लोग नौकरी के रूप में दूसरों पर निर्भर है और ऐसी स्थिति में वे लोग अपने आप को बंधा हुआ महसूस करते हैं।
इसलिए इस भीड़-भाड़ से अलग होकर आप अपना खुद का कोई बिजनेस करना शुरू करते हैं तो यह आपके लिए अधिक मुनासिब होगा।
आप अपनी मनमर्जी से जो चाहे जैसा बिजनेस मॉडल तैयार कर सकते हैं, आपके पास हर एक चीज की स्वतंत्रता होगी जो आपके पास किसी पद पर कर रहे नौकरी में भी नहीं थी लेकिन इन सब के लिए एक चीज का होना यहां अति आवश्यक हो जाता है ओर वो है रजिस्ट्रेशन करवाना।
आइए इसे हम एक सरल भाषा में समझते हैं अगर आपके पास कोई अच्छा और गुणवत्ता वाला बिजनेस आइडिया है तो आपको उस कारोबार को शुरू करने से पहले उसका बिजनेस पंजीकरण कराना बहुत ही जरूरी होता है।
तो आइए हम यह जानने की कोशिश करते है कि किस प्रकार की प्रक्रिया द्वारा हम अपने छोटे या बड़े कारोबार (जो भी कारोबार को हम शुरू करना चाहते हैं) को पंजीकृत करा सकते हैं और साथ में यह भी जानेंगे कि रजिस्ट्रेशन कराना इतना जरूरी क्यों है और इसके क्या क्या फायदे हैं तथा क्या-क्या पैरामीटर है
1. व्यापार पंजीकरण (रजिस्ट्रेशन) क्या होता है?
जब भी हम किसी व्यवसाय को शुरू करते हैं तो उस व्यवसाय की जानकारी सरकार को भी भली-भांति हो यह उतना ही आवश्यक हो जाता है जितना हमारा व्यवसाय होता है और यह अति आवश्यक इसलिए हो जाता है ताकि आपका बिजनेस सरकार की सूची में अंकित हो सके तथा सरकारी कार्यालय को जानकारी मिल सके, इससे सरकार और कारोबारी दोनों को सहूलियत होती है।
कारोबारी को सरकार द्वारा चलाई गई कई लाभप्रद योजनाओं का लाभ मिलता है वहीं सरकार को उचित टैक्स वसूल करने में मदद मिलती है।
रजिस्ट्रेशन के बाद आपकी कंपनी या कारोबार में होने वाला नुकसान सिर्फ अब केवल आपका ही नहीं रह जाता इसमें कुछ मदद सरकार भी करती है अर्थात सरकार कुछ आर्थिक सहायता प्रदान करती है।
2. बिजेनस रजिस्ट्रेशन(पंजीकरण) के लिये आवश्यक दस्तावेज
सबसे पहले हमें यह जान लेना आवश्यक है की रजिस्ट्रेशन के लिए कौन कौन से दस्तावेज जरूरी होते है तथा उन्ही दस्तावेजों के आधार पर आपको आगे की प्रकिया में जाने का रास्ता प्रदान होगा।अतः अपने सभी कानूनी दस्तावेजों को एक फ़ाइल के रूप में सुव्यवस्थित तरीके से सेट करके अपने पास तैयार रखे ।आइए जानते है उन दस्तावेजों के बारे में जो रजिस्ट्रेशन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
- आधार कार्ड
- पहचान पत्र
- एड्रेस प्रूफ
- कारोबार का नाम और कारोबार का काम
- बिजनेस का एड्रेस एवम एड्रेस प्रूफ
- आय प्रमाण पत्र (इनकम सर्टिफिकेट)
तो इन सब दस्तावेजों के होने पर ही आपको रजिस्ट्रेशन का लाभ मिल सकेगा। तथा यह सभी दस्तावेज भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त अथवा भारत सरकार द्वारा प्रमाणित होना अतिआवश्यक है।
3. बिजनेस (लघु उद्योग) के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया तथा सम्बंधित कार्यालय
वैसे तो आज के इस टेक्नोलॉजिकल जमाने में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से हम किसी भी प्रकार के बिजनेस का रजिस्ट्रेशन घर बैठे कर सकते हैं लेकिन हमें लीगल तरह से काम करना हमारे बिजनेस के लिए बहुत जरूरी हो जाता है जो हम ऑनलाइन प्लेटफार्म के माध्यम से सम्पूर्ण तरीके से नही कर सकते बल्कि उन सभी प्रक्रियाओं को पूरा करने के लिए सरकारी कार्यालयों का सहारा लेना ही पड़ता है।
लघु उद्योग का बिजनेस रजिस्ट्रेशन कराने से पहले हमें यह जानना अति आवश्यक हो जाता है कि व्यवसाय के लिए कितने प्रकार के पंजीकरण कराने की जरूरत पड़ती है तथा उनसे सम्बंधित कार्यालयो को भी जानते है,तो आइए हम इन सब को एक-एक करके समझते हैं
◆जिला उद्योग कार्यालय में रजिस्ट्रेशन
◆निगम लाइसेंस प्राप्त करना (incorporation licence)
◆ सेफ्टी सर्टिफिकेट विभाग में NOC लेना
◆ कम्पनी/ कारोबार (लघु उद्योग) का लाइसेंस (MSME) प्राप्त करना
◆ GST रजिस्ट्रेशन करवाना
4. जिला उधोग कार्यालय
किसी भी व्यवसाय को शुरू करने से पहले उसका पंजीकरण सबसे पहले करवाना होता है जिससे आपको अन्य कार्यालय में रजिस्ट्रेशन करवाने में सहायता प्रदान होती है तथा जिसके बाद आप आगे की प्रक्रिया के लिए लाभकारी होते हैं।
5. निगम लाइसेंस
जिला उद्योग कार्यालय में रजिस्ट्रेशन करवाने के बाद आप निगम लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकते हैं।यह लाइसेंस आपको अपने बिजनेस को शुरू करने की अनुमति प्रदान करता है तथा यह ऑफलाइन व ऑनलाइन दोनो प्रक्रियाओं द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।
इसके लिए सिर्फ जिला उद्योग कार्यालय में ही आवेदन किया जाता है, वहीं से हमें अपने बिजनेस को शुरू करने की अनुमति मिलती है।
इसमें आपको उपयुक्त कानूनी दस्तावेजों की आवश्यकता पड़ती है जो कि भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त हो अथवा प्रमाणित हो।
इसके अलावा आपको जिला उद्योग कार्यालय के पंजीकरण की कॉपी व अपने बिजनेस मॉडल की आवश्यकता होती है।
6. निगम लाइसेंस कहां से बनता है?
कई कारोबारियों का यह सवाल हो सकता है कि उनको अगर निगम लाइसेंस बनवाना हो तो वो आखिर कहा से बनवाये या कौनसे कार्यालय में जाये तो इसका जवाब होगा निगम लाइसेंस नगर निगम, विकास प्राधिकरण या जिला उद्योग कार्यालय में बनता है।यह लाइसेंस इस बात पर बनता है की आप जो लघु उद्योग शुरु करने जा रहे हैं उसमे किस चीज की सर्विस होगी या मैन्युफैक्चरिंग होगी, कौन- कौन सी मशीन लगाई जाएगी, किस प्रकार का कार्य यहां किया जाएगा, तथा पूरा ब्यौरा देना होता है।
निगम लाइसेंस पाने के लिए निम्न कागज़ी दस्तावेजों की जरूरत पड़ती है
★ जिला उद्योग कार्यालय में रजिस्ट्रेशन की कॉपी
★ जहां लघु उद्योग शुरु होगा उसके मालिकाना हक़ की कॉपी
★ अगर जगह रेंट पर है तो उसके रेंट की कॉपी।
★ लघु उद्योग के प्लान की कॉपी- 【इसमें जिस- जिस मशीनों का उपयोग किया जायेगा उसका नाम और डिटेल】
★ लाइसेंस की फ़ीस
"यहां ध्यान देने वाली बात यह है की किसी भी लघु उद्योग को सिर्फ इंडस्ट्रियल या कॉन्फर्मिंग एरिया में ही शुरु किया जा सकता है, इसलिए यह ध्यान रखे की जब भी आप बिजनेस रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन करें तो उसमे जगह इंडस्ट्रियल या कॉन्फर्मिंग एरिया ही हो। ऐसा नहीं होने पर आवेदन रिजेक्ट हो जाता है और आप अपने कारोबार के लिए लाभप्रद नही होंगे।
7. फायर सेफ्टी डिपार्टमेंट (NOC)
जब आप एक नए बिजनेस की शुरुआत करने जा रहे हो तो आपको अपने कारोबार के साथ-साथ आपकी कंपनी में काम कर रहे कर्मचारियों की सुरक्षा भी काफी महत्वपूर्ण है।
ऐसे में सरकार ने उन सब कर्मचारियों को सुरक्षा देने के लिए एक अलग और सुव्यवस्थित व्यवस्था बनाई है जिसके अनुसार किसी भी बिजनेस को शुरू करने के तीन माह में फायर एंड सेफ्टी डिपार्टमेंट से नॉन ऑब्जेक्ट सर्टिफिकेट यानी कि एनओसी(NOC) लेना आवश्यक होता है।
एनओसी(NOC) लेने के लिए आपको अपने लघु उद्योग में आग जैसे हालातों से बचने के उपाय व उपकरणों के बारे में सरकार को विवरण देना आवश्यक होता है।
8. फेक्ट्री लाइसेंस
अपने बिजनेस को शांति पूर्वक निरंतर चलाने के लिए आपको फैक्ट्री लाइसेंस की जरूरत पड़ती है ताकि भविष्य में आपको और आपकी कंपनी को किसी प्रकार की कानूनी कार्यवाही का सामना न करना पड़े और आपकी कंपनी लगातार चलती रहे।
इस लाइसेंस को लेबर डिपार्टमेंट द्वारा जारी किया जाता है तथा इसको प्राप्त करने के लिए भी हमें कुछ दस्तावेजों की जरूरी पड़ती है जो आपके निर्धारित दस्तावेजों के अतिरिक्त हैं वह निम्न है।
◆ इनकारपोरेशन लाइसेंस
◆ एनवायरमेंटल (पर्यावरणीय) कंसेंट कॉपी- (इस कॉपी को पर्यावरण विभाग जारी करता है , जिसमे लिखा होता है, की आपकी फेक्ट्री से पर्यावरण को नुकसान नही होगा)
◆ बिजनेस मॉडल की कॉपी
◆ फायर डिपार्टमेंट NOC
◆ कर्मचारियों की जानकारी
Note- "इस लाइसेंस के बिना लघु उद्योग शुरु तो किया जा सकता है लेकिन अधिक दिन तक नहीं चलाया जा सकता है। इस लाइसेंस को पाने के लिए संबंधित कारोबारी को अपने कारोबार की पूरी प्रोफाइल डिपार्टमेंट को दिखाने की जरूरत पड़ती है।"
9. GST रजिस्ट्रेशन
GST एक प्रकार का सर्विस टैक्स है, जो कि सरकार कारोबारी से उचित मात्रा में वसूल करती है,दरअसल जीएसटी आने से पहले सरकार अलग-अलग रूप से टैक्स वसूल किया करती थी।
लेकिन कारोबारियों व सरकार की आसानी के लिए सरकार ने सभी प्रकार के टैक्स को खत्म करके जीएसटी के रूप में एक ही टैक्स व्यवस्था शुरू की है
लेकिन यहां ध्यान रखने वाली बात यह है कि जीएसटी रजिस्ट्रेशन केवल उस बिजनेस के लिए ही अनिवार्य है जिसका टर्न ओवर 40 लाख रुपए से अधिक है
अतः ऊपर दी गयी सम्पूर्ण जानकारी के माध्यम से आप अपने नए बिजनेस की कानूनी रूप से सही शुरुआत कर सकते है और अपने ड्रीम प्रोजेक्ट को पूरा कर सकते है।
इन सब फॉर्मेलिटीज के बाद अब बात आती है - इन्वेस्ट की,तो जाहिर सी बात है कि जब हम अपना नया बिजनेस स्टार्ट करने जा रहे हो तो अपने पास बहुत ज्यादा पैसा तो है नही जिसकी सहायता से हम रातों रात कम्पनी खड़ी कर सकते है।
तो ऐसी स्थिति में एक और उपाय नजर आता है जिसमें सरकार हमारी लीगल तरीके से मदद करती है और वो है लोन जो कि सरकार द्वारा उपयुक्त राशि मे दिया जाता है।
लोन की प्रकिया बैंक द्वारा दी जाती है।जिसमे आपका खाता होना आवश्यक हो फिर वो चाहे कोई भी बैंक हो, परन्तु लोन लेने से पहले बैंक की तमाम छानबीन पर आप सत प्रतिशत खरे उतरने चाहिए अर्थात आप मुख्य रूप से दिवालिया जैसी स्थिति में नही होने चाहिए अन्यथा बैंक आपको लोन देने से इनकार कर सकता है और आप लोन का लाभ नही ले सकते।
जिसके लिए सरकार सुरक्षा के लिए आपके जमीन या कोई भी वस्तु को अपने पास रखती है जब तक आप लोन वापस नही चुका देते तथा सरकार द्वारा प्रदान किया गया लोन हमे बहुत ही कम दर ओर ब्याज पर प्राप्त होता है।जिसको चुकाने में हमे बहुत ज्यादा परेशानी उठानी नही पड़ती।
जैसे जैसे आपका कारोबार आगे बढ़ता जाएगा और आप एक से एक सीढ़ी चढ़ते जाएंगे ,सरकार निर्धारित रूप में लोन की बची हुई किस्तों को एक-एक करके समयानुसार वसूल लेती है।
जब आप पुरी तरह से लोन से मुक्त हो जाते है तो कम्पनी पर अब आपका पूरा अधिकार हो जाता है, अर्थात अब कम्पनी पर नीलामी जैसी कोई समस्या नही आती।
तो यह तरीका था,की इस भीड़ भाड़ और प्रतिस्पर्धा भरे माहौल में खुद का बिजनेस कैसे स्टार्ट करे और किसके पास जाए,किसका दरवाजा खटखटाया जाए।
आपने इस लेख को पूरा पढ़ने के बाद यकीनन जान लिया होगा कि कैसे हम अपने बिजनेस की कानूनी तौर पर कैसे एक सुरक्षित शुरुआत कर सकते है।
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