वेल्डिंग और फेब्रिकेशन का बिजनेस कैसे शुरू करें?

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वेल्डिंग और फेब्रिकेशन का बिजनेस कैसे शुरू करें?

स्टेप्स, लागत, जगह का चुनाव इत्यादि टिप्स

बढ़ती हुई भारतीय इकोनॉमी और पर कैपिटा इनकम कई नए व्यवसायियों के लिए नए द्वार खोलने में सफल हुई है, एक समय हुआ करता था जब वेल्डिंग और फैब्रिकेशन जैसे काम कुछ बड़े शहरों में ही किए जाते थे जिन्हें एक इंडस्ट्रियल हब के रूप में जाना जाता था, परंतु वर्तमान में हर घर में लोहे के सामानों का इस्तेमाल बढ़ने के साथ-साथ छोटे और बड़े शहरों में वेल्डिंग और फैब्रिकेशन की फैक्ट्री या फिर स्टोर देखने को मिल जाएंगे।

आज हम आपको बताएंगे एक स्टेप-बाय-स्टेप गाइड, जिसकी सहायता से आप भी भारत में वेल्डिंग और फेब्रिकेशन व्यवसाय की शुरुआत कर पाएंगे, आइए जानते हैं पूरी प्रकिया :-

1. बनाए एक बिजनेस प्लान :-

हर व्यवसाय की तरह ही इस व्यवसाय को शुरू करने से पहले भी आपको एक बिजनेस प्लान बनाना होगा, जिसमें आपको पहले से ही कुछ बातों को तय करके रखना होगा।

जैसेकि - किस स्थान पर आप अपनी फैक्ट्री स्थापित करना चाहते हैं, साथ ही इस व्यवसाय में इस्तेमाल होने वाले रो मटेरियल के रूप में आप किस डिस्ट्रीब्यूटर से सामान खरीदेंगे एवं आपका निवेश कितना होगा तथा आप की बिल्डिंग का किराया एवं आपकी डिस्ट्रीब्यूशन कोस्ट इत्यादि के अलावा आप इस व्यवसाय में कितना मुनाफा कमा पाएंगे, जैसी बातों की जानकारी पहले से ही सोच कर रखनी होगी।

इस प्रकार बनाया हुआ बिजनेस प्लान इस व्यवसाय को शुरू करने के बाद आने वाली कठिनाइयों से मुकाबला करने में आपकी मदद करता है।

इसके अलावा वर्तमान में इस फील्ड में कई सफल व्यवसायीयों के बिजनेस प्लान के बारे में और अधिक जानकारी जुटाकर, उन्हीं के जैसा एक बिजनेस प्लान बना सकते हैं।

2. वेल्डिंग और फैब्रिकेशन व्यवसाय का मार्केट पोटेंशियल :-

इंटरनेशनल इंडस्ट्रीयल इंडेक्स के अनुसार वर्तमान में यह व्यवसाय लगभग 7% की ग्रोथ रेट के साथ बढ़ रहा है और 2025 तक इसकी 19.76 बिलियन डॉलर की बड़ी इंडस्ट्री होने की संभावना है।

इस व्यवसाय के बढ़ने के पीछे का मुख्य कारण है तेजी से बढ़ता हुआ शहरीकरण और इंफ्रास्ट्रक्चर की ग्रोथ, जो कि वर्तमान में मुख्यतः भारत और चीन जैसे देशों में बहुत तेजी से हो रही है।

आपको बता दें कि एशिया पेसिफिक और यूरोपियन मार्केट अकेले ही इस फील्ड के कुल मार्केट का लगभग 60% मार्केट पर कब्जा किए हुए है।

इसके अलावा गाड़ियों की बढ़ती हुई डिमांड के साथ-साथ ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के दूसरे सेक्टर में आई वृद्धि वेल्डिंग और फैब्रिकेशन व्यवसाय के मार्केट पोटेंशियल को बढ़ाने में सहायक हुई है।

3. किस प्रकार के लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन और परमिट की होगी आवश्यकता :-

  • सबसे पहले आपको रजिस्ट्रेशन ऑफ कंपनी के तहत इस कम निवेश के व्यवसाय को रजिस्टर करवाना होगा
  • इसके अलावा आपके द्वारा उत्पन्न किए जाने वाले प्रोडक्ट को SSI (एसएसआई) यूनिट रजिस्ट्रेशन भी दिलवाना होगा, हालांकि वर्तमान में कुछ राज्य सरकारों ने इसे अनिवार्य कर रखा है जबकि कुछ राज्य सरकारों ने इसे वैकल्पिक तौर पर उपलब्ध करवाया है।

आप अपनी स्थानीय राज्य सरकार की मैन्युफैक्चरिंग डिपार्टमेंट की वेबसाइट पर जाकर और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

  • जिस स्थान पर आप अपनी फैक्ट्री लगाएंगे, वहां की लोकल अथॉरिटीज जैसे कि मुंसिपल कॉरपोरेशन के द्वारा जारी किया जाने वाला ट्रेड लाइसेंस लेना भी अनिवार्य होगा।
  • जैसा कि आप जानते हैं कि इस प्रकार की व्यवसाय में आप अपने सामान को लोगों तक पहुंचाएंगे, इसलिए गुड्स एंड सर्विस टैक्स के तहत आपको जीएसटी पोर्टल पर रजिस्टर करवाना होगा, साथ ही एक जीएसटी नंबर भी लेना होगा।
  • इसके अलावा ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड के द्वारा जारी किया जाने वाला क्वालिटी स्टैंडर्ड्स सर्टिफिकेट भी लेना अनिवार्य है।
  • फेब्रिकेशन व्यवसाय में संचालित इंडस्ट्री के लिए आईएस मार्का (1948-1968) भी लागू किया गया है।
  • पिछले कुछ समय से पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड के द्वारा जारी किया जाने वाला पॉल्यूशन कंट्रोल सर्टिफिकेट भी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट व्यवसाय में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के द्वारा दिए गए एक आर्डर के बाद अनिवार्य कर दिया गया है।

इतने सब सर्टिफिकेट की जानकारी जानने के बाद आप सोच रहे होंगे कि भारत में व्यवसाय करना कितना मुश्किल है? क्योंकि आपको अपनी इंडस्ट्री स्थापित करने के लिए ही बहुत अधिक लाइसेंस और कानूनी प्रक्रियाओं से गुजरना होता है।

क्या आपको पता है वर्ल्ड बैंक के द्वारा जारी ईज ऑफ डूइंग बिजनेस इंडेक्स के तहत न्यूजीलैंड में कोई भी नया व्यवसाय स्थापित करने में केवल एक दिन का समय लगता है, जबकि भारत में चार महीने की तो केवल रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया चलती है।

4. कैसे चुने अपना टारगेट कस्टमर बेस और कहां पर बेचे फेब्रिकेशन :-

आपको अपना बिजनेस प्लान बनाते वक्त ही टारगेट कस्टमर बेस को भी चुनना होगा और उसी क्षेत्र में अपनी इंडस्ट्री स्थापित करनी होगी जहां पर इस व्यवसाय के लिए अधिक उपभोक्ता उपलब्ध हो।

जैसे कि- यदि आप महाराष्ट्र राज्य के किसी क्षेत्र या फिर गुड़गांव के आसपास इस प्रकार की इंडस्ट्री संचालित करते हैं तो उसकी सफलता की संभावना बहुत अधिक हो जाती है, तुलना में कि यदि आप अपनी इंडस्ट्री को अरुणाचल प्रदेश या सिक्किम जैसे क्षेत्रों में संचालित करें।

क्योंकि यहां पर इंफ्रास्ट्रक्चर की बेहतरीन सुविधा के साथ-साथ ट्रांसपोर्टेशन और रोड डेवलपमेंट भी काफी अच्छी तरीके से हुआ है, साथ ही आपके द्वारा तैयार माल को खरीदने के लिए लोगों की डिमांड भी निरंतर बढ़ती रहती है।

5. कहाँ और कैसे बेचें फेब्रिकेशन -

1. लोकल मार्केट :-

जिस क्षेत्र में आपने अपनी इंडस्ट्री स्थापित की है उसके आसपास के क्षेत्र आपके लिए लोकल मार्केट के रूप में जाने जाएंगे।

आप अपनी फैक्ट्री की थोड़ा बहुत मार्केटिंग करके लोकल एडवर्टाइजमेंट का इस्तेमाल करते हुए अपनी पहुंच बना सकते हैं।

2. ऑनलाइन मार्केट :-

वर्तमान में ऑनलाइन मार्केटिंग व्यवसाय इंटरनेट की पहुंच के साथ-साथ बहुत तेजी से बढ़ रहा है,  इसलिए यही अच्छा समय होगा जब आप अपने फैक्ट्री के नाम पर एक वेबसाइट बनाएं, साथ ही सिक्योर पेमेंट मॉड उपलब्ध करवाकर ऑनलाइन ऑर्डर और डिलीवरी जैसी सुविधाएं प्रदान करवाएं।

क्योंकि ऑनलाइन मार्केट में आपकी पहुंच आपके लोकल डिस्ट्रीब्यूटर और लोकल मार्केट पर निर्भर नहीं रहती है बल्कि अब आप पूरे भारत में अपना सामान बेचने के लिए एलिजिबल हो जाते है।

वर्तमान में कई बिजनेस टू बिजनेस (B2B) वेबसाइट जैसेकि अलीबाबा, इंडियामार्ट, ट्रेडइंडिया की सहायता से आप ऑनलाइन मार्केट में अपने पैर जमा सकते है।

3. बड़े ब्रांड एवं बड़े डिस्ट्रीब्यूटर :-

यदि आप छोटे स्तर पर इस व्यवसाय को शुरू कर रहे हैं तो लोकल मार्केट एवं ऑनलाइन मार्केट पर ही फोकस करें, परंतु यदि बड़े स्तर पर इस व्यवसाय में निवेश किया है तो आप स्टील और आयरन सेक्टर में काम कर रही कई बड़ी इंडस्ट्रीयों से संपर्क कर सकते हैं और उनकी डिमांड के अनुसार उन्हें प्रोडक्ट उपलब्ध करवा सकते है।

साथ ही इस सेक्टर में काम कर रहे कई बड़े डिस्ट्रीब्यूटर भी आपके लिए मुनाफे का सौदा हो सकते है।

6. कैसे स्थापित करें अपनी फैक्ट्री :-

एक फैक्ट्री लाइसेंस लेने के बाद आपको एक ऐसे स्थान का चयन करना है, जहां पर इस तरह के सामानों की ज्यादा आवश्यकता होती है।

अपनी फैक्ट्री में इस्तेमाल होने वाले इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए आप इस व्यवसाय में स्पेशलिस्ट इंजीनियरों की सहायता से अच्छी मशीनें के बारे में जानकारी ले सकते हैं एवं उन्हें स्थापित कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

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7. कितनी होगी लागत :-

अलग-अलग क्षेत्र में लोकेशन के आधार पर लागत कम या अधिक होगी।

उदाहरण के तौर पर देखें तो अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम जैसे राज्यों में कम कीमत पर फैक्ट्री की स्थापना की जा सकती है, परंतु वहां पर कच्चे माल को खरीदने के लिए डिस्ट्रीब्यूशन और ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट बहुत अधिक लगता है,  जबकि गुजरात और पंजाब जैसे राज्यों में डिस्ट्रीब्यूशन और ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट तो कम लगता है लेकिन फैक्ट्री स्थापित करने के लिए ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ सकते है।

बड़े स्तर पर बात करें तो इस बिजनेस को शुरू करने के लिए आपको लगभग दस से बारह लाख रुपए तक के निवेश की आवश्यकता होगी।

इस निवेश में आप एक मेटल फैब्रिकेशन शॉप या फिर फैक्ट्री को किराए पर ले सकते हैं और इस शॉप या फैक्ट्री में काम आने वाले छोटे-मोटे इक्विपमेंट्स को खरीद सकते है।

8. कैसे चुनें स्किल्ड कर्मचारी :-

इस व्यवसाय के लिए आपमें अच्छी खासी स्किल होना आवश्यक है, साथ ही आपके यहां काम करने वाले कर्मचारियों को चुनते वक्त ध्यान रखें कि या तो वे लोग पहले से इस प्रकार की इंडस्ट्री में काम कर रहे हो, या फिर उनमें ट्रेनिंग लेने की जिज्ञासा हो क्योंकि यदि आप उन्हें ट्रेनिंग दें तो वह उसे अच्छे तरीके से फॉलो करें

वर्तमान में वेल्डिंग और फेब्रिकेशन इंडस्ट्री में एंपलाई के तौर पर काम करने वाले लोगों की फीस 700 से 1000 रुपया प्रति दिन तक होती है, आप अपने निवेश के आधार पर तय कर सकते हैं कि आप कितने एंप्लोई को अफोर्ड कर सकते हैं, जितने अधिक एंप्लोई आपके यहां काम करेंगे, आपका प्रोडक्शन उतना ही बढ़ेगा और अधिक प्रोडक्शन के कारण से आपका मुनाफा भी अधिक होगा।

9. कौन सी सर्विस के माध्यम से कमाते हैं वेल्डिंग व्यवसाय पैसे :-

मुख्यतः वेल्डिंग फैक्ट्री में काम करने वाले व्यक्ति छोटे स्तर पर ही काम करते हुए पैसा बनाते है।

2014 में इंडियन इंडस्ट्रियल एसोसिएशन नाम की एक नॉन गवर्नमेंटल ऑर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट में बताया गया था कि भारत में वेल्डिंग इंडस्ट्री के सबसे बड़े ग्राहक के तौर पर समुद्र में जाने वाले छोटे जहाज और पोत होते हैं, क्योंकि रस्टिंग और लीकेज को रोकने के लिए पूरे पार्ट को बदलना नामुमकिन होता है, इसलिए वेल्डिंग का सहारा लिया जाता है।

इसके अलावा मेटल मॉडिफिकेशन और रिपेयर की सहायता से भी पैसे कमाए जाते हैं।

उदाहरण के तौर पर समझिए कि यदि किसी कंपनी की मशीन में कोई छोटा सा पार्ट टूट गया है तो उस कंपनी के लिए उस मशीन को पूरी तरीके से बदलना मुनाफा का सौदा नहीं होगा इसलिए वह वेल्डिंग की सहायता से उस पार्ट को रिपेयर करवाना ही उचित समझते है।

10. कैसे तय करें अपनी फीस :-

अलग-अलग क्षेत्रों में वेल्डिंग करने की फीस अलग-अलग हो सकती है, यह आपके आसपास के कंपटीशन पर भी निर्भर करता है।

यदि आपके आसपास में वेल्डिंग व्यवसाय से संबंधित बहुत सारी दुकानें है तो आपको भी उतनी ही फीस तय करनी होगी जितनी कि दूसरे लोगों ने की हुई है, परंतु यदि आप अपने क्षेत्र में अकेले वेल्डिंग करने वाली फैक्ट्री या शॉप के मालिक हैं तो आप अच्छी खासी कीमत वसूल सकते है।

मुख्यतया भारत में एक घंटे के लिए वेल्डिंग मशीन की सहायता से वेल्डिंग करने पर 1000 से 2000 रुपया चार्ज किया जाता है।

11. कैसे तय करें अपनी शॉप या फैक्ट्री का नाम :-

किसी भी व्यवसाय का अच्छा नाम चुनना महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण कार्य होता है, यदि आपके दिमाग में कोई अच्छा नाम नहीं आ रहा है तो कई ऑनलाइन वेबसाइट के द्वारा नाम सुझाये जाते है, ऐसी ही एक लोकप्रिय वेबसाइट वेल्डिंग बिजनेस नेम जनरेटर काफी चलन में है।

साथ ही नाम को चुनते वक्त ध्यान में रखें कि आपकी दुकान के नाम से मिलता हुआ ही इंटरनेट पर डोमेन उपलब्ध है या नहीं, क्योंकि आने वाले समय में ऑफलाइन के साथ-साथ ऑनलाइन मार्केट तक पहुंच बनाना भी आपके व्यवसाय के लिए अनिवार्य हो जाएगा।

यदि आप ऑनलाइन व्यवसाय को पीछे छोड़ते हैं तो आपके प्रतिस्पर्धी आप से बहुत आगे निकल जाएंगे।

12. खोलें एक बिजनेस बैंक अकाउंट :-

अपने आसपास में स्थित किसी भी बड़े बैंक से जुड़कर अपना एक बिजनेस बैंक अकाउंट खोल सकते हैं, साथ ही अपने क्रेडिट स्कोर को सुधार कर एक क्रेडिट कार्ड भी ले सकते है।

यदि आप निरंतर रूप से क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करेंगे तो आने वाले समय में आप की लिमिट भी बढ़ाई जाएगी, जिससे कि अकस्मात रूप से पैसे की आवश्यकता होने पर छोटे-मोटे पैसे का जुगाड़ क्रेडिट कार्ड के सहायता से किया जा सकता है।

13. कैसे करें वेल्डिंग व्यवसाय की मार्केटिंग :-

इस व्यवसाय की मार्केटिंग करने के लिए आपको ऑफलाइन मार्केटिंग पर ही फोकस करना होगा, क्योंकि वर्तमान समय में जिस कस्टमर को आप टारगेट कस्टमर बेस के रूप में चुन रहें है उनके दैनिक जीवन में ऑनलाइन माध्यमों का इस्तेमाल कम किया जा रहा है।

ऑफलाइन मार्केटिंग में नेटवर्क मार्केटिंग की अच्छी मदद ली जा सकती है, उदाहरण के तौर पर समझिए कि यदि आपकी कोई दुकान है और वहां पर आप वेल्डिंग का काम करते है, यदि किसी व्यक्ति के मशीन के किसी पार्ट में टूट-फूट होती है तो वह उसे वेल्डिंग करवाने के लिए आपके पास आता है, आप अच्छी सेवा और व्यवहार से उसकी डिमांड को पूरी तरीके से फुल फील करते है तो उस स्थिति में वह व्यक्ति जाकर दूसरे लोगों को भी आपकी शॉप के बारे में बताएगा और यदि उसे भी भविष्य में कभी इस प्रकार की समस्या होगी तो वह आपकी शॉप पर आने को प्राथमिकता देगा।

इसके अलावा यदि आपके पास अच्छा निवेश है तो आसपास के क्षेत्रों में होर्डिंग और बैनर जैसी तकनीकों का इस्तेमाल करके लोगों तक अपनी पहुंच बढ़ा सकते है।

क्या आपने कभी सोचा है कि बड़ी-बड़ी कंपनियां टीवी पर इतने अधिक ऐड चलाती है इसका उन्हें फायदा होता भी है या नहीं?

" आपकी जानकारी के लिए बता दें कि किसी भी ऐड के पीछे कई लोगों की मार्केटिंग स्ट्रेटजी काम करती है क्या आपने कभी सोचा है कि जब भी कभी आप दो ऐसे प्रोडक्ट देखते हैं जिनमें से एक प्रोडक्ट उस विज्ञापन वाली कंपनी का होता है और एक प्रोडक्ट दूसरी कंपनी का होता है तो आप उस कम्पनी के प्रोडक्ट को ही प्राथमिकता देंगे जिस कंपनी का आपने विज्ञापन देखा होगा"

क्योंकि बार बार विज्ञापन देखने से आपके दिमाग पर विज्ञापनों का एक मानसिक प्रभाव हावी होता है, जो कि सभी लोगों पर दिखाई देता है।

14. करवाएं अपने व्यवसाय का इंश्योरेंस :-

कभी ना कभी प्रिंट और न्यूज़ मीडिया पर आपने देखा या सुना होगा कि किसी भी शॉप या फैक्ट्री में आग लगने की वजह से लाखों या करोड़ों रुपए का नुकसान हो गया।

इस प्रकार की दुर्घटनापूर्ण आकस्मिक घटनाओं से बचने के लिए आप अपने व्यवसाय का इंश्योरेंस करवा सकते है, ध्यान रखिए कि इंश्योरेंस के लिए किया जाने वाला निवेश आपकी प्रायरिटी लिस्ट में होना चाहिए, क्योंकि ऐसी घटनाएं कभी भी हो सकती है।

इससे एक फायदा यह भी होगा कि आपको मानसिक और फाइनेंसियल तनाव जैसी समस्या नहीं रहेगी और यदि आपकी शॉप या फैक्टरी पर ऐसी कोई घटना होती भी है तो आपको उसका मुआवजा मिल सकेगा।

welder worker welding metal by electrode with bright electric arc and sparks

15. करें अपनी शॉप की ब्रांडिंग :-

ब्रांड से तात्पर्य होता है, लोगों के मन में एक विश्वास पैदा करना कि आपके द्वारा दी गई सेवा दूसरे प्रतिस्पर्धीयों की तुलना में अच्छी होगी।

अपनी शॉप की ब्रांडिंग बढ़ाने के लिए हमेशा अच्छी गुणवत्ता की सेवा प्रदान करने में ही विश्वास रखें, इसके लिए शुरुआत में आप अपने मुनाफे को कम रख सकते हैं परंतु एक बार आपकी शॉप लोकप्रिय हो जाएगी तो अपने मार्जिन को बढ़ाकर मुनाफा भी बढ़ा सकते है।

16. इंटरनेट पर दर्ज कराएं अपनी पहुंच :-

इंटरनेट की सहायता से अपनी दुकान के नाम से मिलता हुआ एक डोमेन ले सकते हैं तथा अपनी एक वेबसाइट बना सकते है।

साथ ही अपनी वेबसाइट पर आपके द्वारा दी जाने वाली अलग-अलग सेवाओं की जानकारी भी डाल सकते हैं, जैसे कि यदि आप वेल्डिंग और फेब्रिकेशन जैसी सेवाओं के अलावा भी कोई और सेवा देते हैं तो उसका भी उल्लेख करना ना भूलें।

इस तरह बनाई हुई वेबसाइट आपके ट्रस्ट फैक्टर को बढ़ाती है, साथ ही अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच बनाकर आपकी ब्रांडिंग करने में भी मददगार साबित होती है, यदि आपकी शॉप या फैक्टरी पर आने वाले ग्राहकों की संख्या काफी अधिक हो गई है तो, आप ऑनलाइन अपॉइंटमेंट जैसी सुविधा भी प्रदान कर सकते है।

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