लागत, मुनाफा व अन्य जानकारियां
सबसे पहले हमें यह जानने की जरूरत है कि इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स करने की आवश्यकता क्यों है? इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स करने का उद्देश्य क्या है? लोग इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स की डिमांड क्यों करते हैं? लोग इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स पर पैसा क्यों खर्च करना चाहते हैं? चाहने वाले इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स करने वाले संस्थान में किस उम्मीद से आ रहे हैं? क्या आप उन्हें उनके सवालों के सही जवाब दे सकते हैं? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जो किसी इंग्लिश स्पीकिंग कोचिंग सेंटर खोलने वाले संचालक के लिए महत्वपूर्ण हो सकते है। इनका सही-सही जवाब तलाशने वाले कोचिंग संचालक को ही सेंटर चलाने में सफलता मिल सकती है। कहने का मतलब यह है कि इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स का कोचिंग भले ही आप अपना पैसा लगाकर खोल रहे हैं लेकिन ये कोचिंग क्लासेज आप अपने लिये नहीं बल्कि आने वाले स्टूडेंट के लिए खोल रहे हैं, जब तक उनको खास फायदा न होगा तो वो क्यों आपके पास आयेंगे। दूसरा यह कि आपको स्टूडेंट की जरूरतों का ध्यान रखना होगा न कि अपने शौक या अपने स्वार्थ का। यह माना कि प्रत्येक कोचिंग खोलने वाले का एक ही स्वार्थ होता है कि वो अपने संस्थान में पैसा खर्च करने के साथ मेहनत करे तो उसको उसका रिटर्न अवश्य मिलना चाहिये। आपकी बात यह सही मानी जा सकती है लेकिन इसके लिए आपको सही समय पर, सही जगह से, सही दिशा में मेहनत करनी होगी तभी सफलता आपके कदम चूमेगी और आपका मूल उद्देश्य भी पूरा होगा।
क्या है इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स का स्कोप?
इंग्लिश यानी अंग्रेजी विश्व के लगभग 100 देशों में बोली जाने वाली प्रमुख भाषा है। इसके अलावा अनेक देशों मेंं अंग्रेजी या इंग्लिश सम्पर्क भाषा के रूप में इस्तेमाल होती है। इसका मतलब यह है कि पूरे विश्व में अंग्रेजी भाषा के बिना कोई काम नहीं हो सकता है। इसके अलावा हमारे देश में अंग्रेजों का 200 वर्षों तक राज रहा है। उनका बनाया गया पूरा सरकारी सिस्टम अंग्रेजी पर आधरित था और वही सिस्टम आज भी चला आ रहा है। अब नया सिस्टम जो डेवलप हो रहा है, वो आज के जमाने में वेस्टर्न कल्चर यानी पाश्चात्य सभ्यता का फॉलो यानी अनुकरण कर रहा है। कहने का मतलब यह है कि इतिहास, भूगोल और भविष्य को देखकर चलें तो हमें हर जगह पर अंग्रेजी यानी इंग्लिश की सख्त आवश्यकता है। इस अंग्रेजी के बिना कोई काम नहीं कर सकते हैं। इसलिये हमें आज की दुनिया में जीना है और जीवनयापन के साधन भी तलाशने हैं तो उसके लिए भी हमें अंग्रेजी की सख्त आवश्यकता है। इसलिये जो लोग इस दौड़ में पिछड़ गये हैं और वो आगे बढ़ना चाहते हैं, उन्हें साधन सुविधा उपलब्ध कराने के लिए इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स की कोचिंग देना बहुत ही अच्छा आइडिया है।
कैसे करें होमवर्क?
जब आपका इंग्लिश स्पीकिंग कोचिंग शुरू करने का विजन यानी दृष्टिकोण क्लियर यानी स्पष्ट हो जाये तो आपको उसके बाद ही इस ओर कदम बढ़ाना चाहिये। इसमें आपको स्टेप बाई स्टेप अपने विजन के अनुरूप तैयारी करनी होगी।
1. आप केवल इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स ही न शुरू करे बल्कि आमदनी हासिल करने का भी लक्ष्य बनायें
2. आप लोगों का इंग्लिश का ज्ञान देने के साथ और उन्हें क्या-क्या देना चाहते हैं, वो तय करें
3. प्रत्येक इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स के लिए आने वाले स्टूडेंट या पर्सन का विस्तारपूर्वक इंटरव्यू लें और उसकी डिटेल नोट करें और यह अवश्य जानने की कोशिश करें कि उनका यह कोर्स करने का असली मकसद क्या है
4. वो टीचर बनना चाहता है, लेखक बनना चाहता है, जॉब के इंटरव्यू की तैयारी करना चाहता है या केवल ज्ञान प्राप्त करने का शौक है, अथवा अपने समाज में इंग्लिश का ज्ञान न होने की वजह से पिछड़ा हुआ है और वह उसकी पूर्ति के लिए इंग्लिश बोलना सीखना चाहता है
5. इंटरव्यू कर लेने से आपको यह मालूम हो जायेगा कि आपके संस्थान में आने वाले पर्सन या स्टूडेंट को असल में क्या चाहिये। इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स करना तो उनका एक लक्ष्य अवश्य है, लेकिन उनकी असली डिमांड के अनुरूप ही कोचिंग देनी होगी।
6. अपना इंग्लिश स्पीकिंग कोचिंग शुरू करने से पहले यह होमवर्क कर लिया तो आपको अपना संस्थान चलाने में काफी सुविधाएं होंगी। आपको स्टूडेंट भी काफी संख्या में मिलेंगे और आपको मुंह मांगी रकम भी मिलेगी। साथ ही आपका संस्थान जल्दी ही पॉपुलर होकर एक ब्रांड भी बन सकता है।
7. जब आपके इन प्रयासों से आपके संस्थान के स्टूडेंट सफलताएं अर्जित करके ऊंचे-ऊंचे पदों पर पहुंच जायेंगे तो आपके संस्थान का नाम अपने आप ही प्रकाश में आ जायेगा।
8. इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स का कोचिंग इंस्टीट्यूट खोलने से पहले आपको एक अच्छे टीचर के साथ एक अच्छा बिजनेस मैन बनना पड़ेगा। आपको यह सोचना होगा कि आप अपने स्टूडेंट को ऐसी कौन सी चीज एक्स्ट्रा दे रहे हैं जो स्टूडेंट आपको खोजता हुआ आपके पास आये।
कोचिंग सेंटर खोलने के खास टिप्स
स्टेप 1: इंग्लिश स्पीकिंग कोचिंग सेंटर खोलने से पहले आपको अपना होमवर्क अवश्य कर लेना चाहिये। सबसे पहले तो खुद का आंकलन करें कि क्या आप में स्वयं इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स चलाने की क्षमता है यानी आपको इंग्लिश का अच्छा खासा ज्ञान व अनुभव है और आप उस ज्ञान व अनुभव के माध्यम से स्टूडेंट को अच्छी तरह पढ़ा सकते हैं तो सबसे अच्छा होगा, वरना आप मार्केट में उपलब्ध इंग्लिश टीचर को हायर कर लें। इंग्लिश टीचर को हायर करते समय एक बात अवश्य ध्यान में रखें कि उन्हें इंग्लिश का ज्ञान हो साथ ही विभिन्न जरूरतों वाले स्टूडेंट को उनके मतलब की इंग्लिश भी पढ़ानी आती हो।
स्टेप 2: अब आप एरिया का सर्वे करें कि किस एरिया में आपको अधिक से अधिक स्टूडेंट मिल सकते हैं। यह एरिया इंटरमीडिएट कॉलेज, ग्रेजुएशन कॉलेज के आस पास अथवा एजूकेशन हब के आसपास हों तो आपको ग्राहक यानी स्टूडेंट को टारगेट करना काफी आसान होगा।
स्टेप 3: अपने कोचिंग सेंटर खोलने से पहले आपको अपने संस्थान में कुछ दिनों तक डेमो क्लासेज शुरू करनी चाहिये, जो बिलकुल फ्री होनी चाहिये। इसमें आने वाले स्टूडेंट का इंटरव्यू लिया जाये और उनकी डिटेल बनाकर ग्रुप बना लिये जायें। कौन नौकरी के लिए, कौन नौकरी में प्रमोशन के लिए, कौन बिजनेस को बढ़ाने के लिए, कौन ज्ञान बढ़ाने के लिए, कौन सामाजिक प्रतिष्ठा पाने के लिए इंग्लिश स्पीकिंग का कोर्स करना चाहता है।
स्टेप 4: अपनी कोचिंग क्लासेज एजुकेशन सेशन के समाप्त हो जाने पर शुरू करना चाहिये अथवा जब जॉब की अप्लाई करने अथवा कंपटीशन की तैयारी शुरू हो तभी आपको अपना बिजनेस शुरू करना चाहिये।
कैसे करें कोचिंग क्लासेज की शुरुआत?
एक सफल इंग्लिश स्पीकिंग कोचिंग इंस्टीट्यूट को खोलने के दो ही प्रमुख तरीके हैं।
एक तो तरीका यह है कि आप अपनी कोचिंग क्लासेज अपने दम पर खोलें। उसके लिए आपको किसी विद्यालय की स्थापना की तरह एक ट्रस्ट बनाना होगा। इस ट्रस्ट का बहुत अच्छा सा नाम खोजना होगा, क्योंकि इसी नाम से आपको कोचिंग क्लासेज चलानी होगी। ट्रस्ट को रजिस्ट्रार के यहां से रजिस्टर्ड कराना होगा। उसके बाद सरकार के शिक्षा मंत्रालय में यदि रजिस्टर्ड करा लेंगे तो सबसे ज्यादा उचित होगा। सरकार के यहां से इस तरह की कोचिंग को प्रमोट करने की अनेक लाभकारी योजनाएं बनतीं हैं, जिनका आप लाभ उठा सकते हैं।
दूसरा तरीका यह है कि आप किसी नामी-गिरामी व मशहूर इंग्लिश स्पीकिंग कोचिंग सेंटर की फ्रेंचाइजी ले लें। फ्रेंचाइजी लेने में आपको सिर्फ कंपनी की फीस या कमीशन देना होगा और उसके अलावा कोई अन्य झंझट मोल नहीं लेनी होगी। क्योंकि वो कंपनी अपनी प्रतिष्ठा के अनुरूप आपको ट्रेनिंग व अन्य सहायता देगी। इसके अलावा जो भी जरूरी कानूनी कार्यवाही की जो भी औपचारिकताएं होगी उन्हें पूरा कराने में आपकी हर तरह से मदद करेगी। साथ ही कोचिंग चलाने में समय-समय पर आने वाली अनेक तरह की समस्याओं में भी आपकी मदद करेगी।
कोचिंग क्लासेज के लिये क्या-क्या चीजें चाहिये?
आज का जमाना फोकस का है, जिसका जितना अच्छा फोकस होता है उसकी उतनी अधिक डिमांड होती है। आपको भी इस पर ध्यान देना होगा। फोकस के साथ आपको ठोस परिणाम भी देना होगा। आप फोकस से किसी को अपने संस्थान में बुला तो सकते हैं लेकिन उसे सच्चाई के आधार पर ही उसे अपने संस्थान में रोक सकते हैं, कोई गलत बयानी आपसे नाराज भी कर सकती है। जब संस्थान उसकी मनचाही चीज नहीं देगा और घुमाने की कोशिश करेगा तो वो संस्थान अधिक दिनों तक नहीं चल पाये। आपका भी संस्थान में अन्य संस्थानों की तरह शुरू-शुरू में तो लोग लुभावने सपनों को देखकर आ जायेंगे लेकिन जब हकीकत उनके सामने आये तो वह भी मुंह मोड़ना शुरू कर देंगे। इसलिये इन बातों का विशेष ध्यान रखना होगा।
1. सबसे पहले आपको एक अच्छा सा हॉल चाहिये। जिसका पार्टीशन करके क्लासेज बनाये जा सकें या कई कमरे का सेट होना चाहिये। ये जगह प्राइम लोकेशन वाली महंगी नहीं चाहिये लेकिन ऐसी जगह चाहिये जहां से लोग आसानी से आ-जा सकें। इसके अलावा शोर-शराबा से दूर शांतिपूर्ण माहौल मं होनी चाहिये। यदि किसी व्यस्त शहर में हो तो किसी ऐसे लैंडमार्क के पास हो जहां आसानी से लोग पता देखकर पहुंच सकें। यह हॉल या कमरे बिजली, पानी और वाशरूम की सुविधा वाले होने चाहिए।
2. ब्लैक बोर्ड और फर्नीचर की आवश्यकता होगी। टेबल व बेंच या टेबल कुर्सियां जो आपके बजट को सूट करें उनकी व्यवस्था करनी होगी।
3. एक कम्प्यूटर, प्रिंटर स्कैनर, एक आलमारी और कुछ किताबों की जरूरत होगी।
4. यदि आप स्वयं पढ़ाने में सक्षम हैं तो ठीक है। वरना अच्छे स्किल वाले टीचर को हायर करना होगा।
5. कोशिश करें कि टीचर हायर करते समय एजूकेशन तीनों स्ट्रीमों साइंस, कॉमर्स, मैथ के इंग्लिश टीचर होने चाहिये।
6. कई प्रोफेशनल टीचर से भी टाइअप करना होगा, जरूरत के समय उनकी पार्ट टाइम सेवायें ली जा सकें।
ओपनिंग कैसे करें?
इंग्लिश स्पीकिंग कोचिंग इंस्टीटयूट की ओपनिंग यूनिक तरीके से होनी चाहिये। ओपनिंग इवेन्ट को काफी दमदार तरीके से आयोजित किया जाना चाहिये। इसमें आप अपने क्षेत्र के स्कूलों के प्रमुख लोगोंं जैसे संचालकों, प्रिंसिपल, कम्प्यूटर टीचरों को तो आमंत्रित करें। साथ ही क्षेत्र के गणमान्य जनों जैसे राजनीतिज्ञों, समाजसेवियों, बड़े-बड़े व्यापारियों व अन्य महत्वपूर्ण व्यक्तियों को भी बुलाएं।
इससे आपके संस्थान की आस पास के क्षेत्रों में अच्छी पब्लिसिटी हो जायेगी। आपके कस्टमरों यानी स्टूडेंट्स को भी संस्थान के खुलने की खबर मिल जायेगी। इससे जिन लोगों को आपकी सेवाओं की आवश्यकता होगी, वो तत्काल आपसे सम्पर्क करेंगे।
इसके बाद आप डेमो क्लास चलाकर लोगों के इंटरव्यू लें। इसके बाद जैसे जैसे एडमिशन होते जायें उनकी क्लास शुरू करा दें। पूरा सिस्टम बनाने के लिए एडमिशन की अंतिम तारीख भी घोषित कर दें।
स्टूडेंट्स के ग्रुप बनाकर पढ़ाई शुरू करायें। एक क्लास में भीड़ से बचें। नया नया संस्थान खोलने के बाद सभी स्टूडेंट पर पूरा-पूरा ध्यान दें।
कितनी लागत आती है?
इंग्लिश स्पीकिंग कोचिंग इंस्टीट्यूट को खोलने में लागत बिजनेस मैन की क्षमता व प्लानिंग पर आधारित होती है। यदि कम खर्चे में कोचिंग सेंटर खोलना चाहते हैं तो साधारण में एक छोटा सा हाल लेकर कुछ मेज कुर्सियां व ब्लैक बोर्ड लेकर भी शुरू कर सकते हैं। इसमें अधिक से अधिक 25 हजार रुपया खर्च होगा, जो आजकल के जमाने में कोई मायने नहीं रखता है। इस तरह के सेंटर में आपकी स्किल अच्छी होगी तभी काम चलेगा। इस तरह के सेंटर में वही लोग आयेंगे जिन्हें आपकी सेवाओं की बहुत सख्त जरूरत होगी और आपके आसपास के रहने वाले होंगे या आपके आसपास के स्कूलों में पढ़ने वाले होंगे। उनका उद्देश्य शिक्षा में पास होना होगा।
यदि ठीक-ठाक तरह से एक स्टैण्डर्ड वाला इंग्लिश स्पीकिंग कोचिंग सेंटर खोलना चाहते हैं तो उसके लिए आपको एक अच्छा सा हॉल या कई कमरों वाले सेट की जरूरत होती है। इन कमरों में इंग्लिश स्पीकिंग कोचिंग सेंटर के लेबल से इंटीरियर डेकोरेशन करवाना होगा। उसके बाद कमरों में आकर्षक फर्नीचर होना चाहिये। संस्थान में काम करने वाले लोग भी वेल अपडेट व इंग्लिश स्पीकिंग वाले होने चाहिए। कहने का मतलब संस्थान का स्टैण्डर्ड काफी अच्छा होना चाहिए। जितना अच्छा स्टैण्डर्ड होगा, उतने ही अच्छे स्टैण्डर्ड के लोग आपके पास आयेंगे और उतने ही अच्छे पैसे भी मिल सकेंगे।
इसके साथ टीचरों की नियुक्ति व अन्य खर्चों को मिला कर किसी बड़े शहर में कोचिंग सेंटर खोलने के लिए 3 से 5 लाख रुपये तक चाहिये। कस्बों में हॉल व कमरों की कीमत कम हो जाने, टीचरों की सैलरी कम होने के कारण यह लागत 2 से 4 लाख रुपये तक आ सकती है।
प्रॉफिट, मुनाफा या आमदनी कितनी हो सकती है?
इंग्लिश स्पीकिंग कोचिंग सेंटर से कितनी कमाई हो सकती है। यह बात पूरी तरह से कोचिंग संचालक की स्किल पर निर्भर करती है। वो केवल एजुकेशनल कोचिंग बनाना चाहता है, वो जॉब दिलाने में मदद करता है, किस तरह के लोगों को अपनी सेवाएं देना चाहता है। गांव, कस्बे, नगर या महानगर में कहां अपना सेंटर चलाना चाहता है। सेंटर में कितने स्टूडेंट आते हैं, क्या कोई सीजन या ऑफ सीजन चलता है। इन सब बातों पर सेंटर संचालक की आमदनी निर्भर करती है। शुरू-शुरू में जो लागत आती है, बाद में सेवा के बदले मिलने वाली आमदनी में से हॉल या कमरों का किराया, बिजली, पानी,साफ सफाई का खर्च तथा टीचर की सैलरी के अलावा पूरा संचालक के हिस्से में आता है। इस प्रकार से कोचिंग संचालक को 60 से 70 प्रतिशत तक की आमदनी हो सकती है।
आमदनी कोचिंग सेंटर के आकार पर भी निर्भर करती है। यदि अपने घर के कमरे से कम से कम लागत पर कोचिंग चलाना चाहते हैं, जहां सीमित स्टूडेंट आते हैं वहां पर आपको आमदनी भी सीमित ही होती है। यह आमदनी उन दिनों बढ़ जाती है जब कोई परीक्षा होनी होती है या कंपटीशन की बड़ी परीक्षा होनी होती है। वैसे साधारण तरह से क्लासेज चलती है। इस तरह के कोचिंग इंस्टीट्यूट से 20 से 40 हजार रुपये तक की आमदनी हो सकती है।
मार्केटिंग कैसे की जाये?
किसी भी बिजनेस को आगे बढ़ाने के लिए उसका प्रचार करना तो बेहद जरूरी होता है। उस पर यदि कोई सेवा देने वाली संस्था या बिजनेस हो तो उसके लिए तो और भी अधिक प्रचार प्रसार करने की आवश्यकता होती है। यदि आप अपने इंग्लिश स्पीकिंग कोचिंग सेंटर को तेजी से आगे बढ़ाना चाहते हैं और उससे अच्छी इनकम हासिल करना चाहते हैं तो आपको अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार करना होगा।
सबसे पहले तो आपको ऑफलाइन प्रचार करना चाहिये। मार्केट में दुकान-दुकान में जाकर लोगों से संपर्क करना चाहिये तथा अपने संस्थान के बारे में बताना होगा। आस पास की रिहायशी एरिया में भी डोर-टू-डोर जाकर लोगों के बीच संस्थान का प्रचार करना चाहिये। आस पास के स्कूलों में भी जाकर वहां के स्टूडेंट को भी संस्थान के बारे में बताना होगा। इससे होने वाले फायदे के बारे में बताना होगा।
इसके अलावा आपको लोकल न्यूज़ पेपर में विज्ञापन देकर, विज्ञापन महंगे हों तो उन अखबारों में पम्पलेट डलवा कर प्रचार करना होगा। लोकल टीवी चैनल व एफएम रेडियो आदि से भी संस्थान का प्रचार आसानी से कर सकते हैं।साथ ही सोशल मीडिया के यूट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सऐप, ट्विटर आदि पर भी प्रचार कर सकते हैं। आज का युवा सबसे अधिक सोशल मीडिया को यूज करता है। सोशल मीडिया के प्लेटफार्म से भी काफी अधिक प्रचार हो सकता है। इसके अलावा ब्लॉग राइटिंग का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
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