खुद का इनकम टैक्स बिजनेस कैसे शुरू करें ?

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खुद का इनकम टैक्स बिजनेस कैसे शुरू करें ?

लागत, क्वालिफिकेशन, मुनाफा इत्यादि और इससे जुड़ी अन्य जानकारियां

यह बात तो आप जानते ही हैं कि दूसरी केंद्र सरकारों की तरह ही भारतीय सरकार भी अपने नागरिकों से टैक्स वसूलती है, चाहे यह टेक्स आपकी आमदनी पर लिया गया हो या फिर आपके द्वारा खरीदे गए सामान पर आप गुड्स एंड सर्विस टैक्स के तौर पर जीएसटी के माध्यम से सरकार को पे करें,परंतु किसी ना किसी रूप में सरकार आपसे टैक्स वसूल तो करेगी ही।

कई बार आपकी आमदनी के अनुसार जबकि कई बार खरीदे गए सामान की वैल्यू के हिसाब से टैक्स चुकाना पड़ता है, आपकी आमदनी पर लगने वाला टैक्स ही इनकम टैक्स कहलाता है और आपकी आमदनी जितनी अधिक होगी उतना ही अधिक टैक्स आपको सरकार को चुकाना होगा।

कई बार लोग टैक्स की चोरी करते हैं, जिस कारण इनकम टैक्स डिपार्टमेंट रेड कर उनसे जुर्माना वसूल करता है। यह रेड मुख्य तौर पर इंटरनल रिवेन्यू सर्विस(IRS) के द्वारा की जाती है।

आज हम जानेंगे ऐसे ही कुछ स्टेप्स, जिनकी सहायता से आप अपना खुद का प्रोफेशनल टैक्स बिजनेस शुरू कर सकते हैं और इसकी सहायता से दूसरे लोगों को भी फायदा पहुंचा कर अपना कमीशन प्राप्त कर सकते हैं।

1. स्थानीय सरकार के साथ बिजनेस का रजिस्ट्रेशन :-

सबसे पहले आप अपना एक बिजनेस शुरू करें, जिसमें छोटी सी प्रक्रिया के तहत ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में सहयोग देने के लिए सरकार के द्वारा उठाये गए कदम आपको बहुत आसानी से रजिस्टर करवाने में मदद करेंगे।इसके साथ आप अपनी कंपनी को एक लिमिटेड लायबिलिटी कंपनी के तौर पर एक कॉरपोरेशन के तहत रजिस्टर करवा सकते हैं।

आप अपने राज्य सरकार के द्वारा बनाए गए अन्य कानूनों की भी जानकारी प्राप्त करें, इसके बाद आपको एंप्लॉय आईडेंटिफिकेशन नंबर(EIN) सरकार के द्वारा प्रदान किया जाएगा,जो कि आने वाले समय में सरकारी कानूनी दांवपेच से बचाने में मदद करेगा।

इसके साथ ही आप अपने बिजनेस मॉडल के तहत पूरी जानकारी सजोए रखे,हालांकि इस व्यवसाय में यह एक बड़ी समस्या है क्योंकि यह प्रक्रिया बहुत अधिक जटिल है।

आप अपने डेटा को सरकार तक पहुंचाने के लिए प्रति वर्ष जारी बैलेंस शीट का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके साथ ही आप अपनी एडवाइजरी एकाउंटिंग सर्विस के जरिए भी डाटा पहुंचा सकते हैं।

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2. टैक्स सर्विस की कीमत तय करें :-

अलग अलग एंटरप्रेन्योर अपनी सेवाओं की कीमत अलग अलग मॉडल के आधार पर तय करते है। कुछ लोग जितना ज्यादा टैक्स बचाने में मदद करते है उसके आधार पर प्रतिशत में अपना कमीशन वसूल करते हैं, परंतु कुछ लोग अपनी एक निर्धारित फीस तय किए हुए रहते हैं।

यह सोच आप पर निर्भर करती है कि आप किस तरीके से अपना पेमेंट वसूलना चाहते हैं,जैसे कि यदि आप किसी क्लाइंट का एक लाख तक का टैक्स बचाते हैं तो आप अपनी फीस को दस प्रतिशत अथार्त दस हजार रुपये रख सकते हैं या फिर आप अपनी एक न्यूनतम फीस दस से पन्द्रह हज़ार रुपये प्रति क्लाइंट पर तय कर सकते हैं।

3. अपना एक टारगेट बेस ढूंढे :-

इस व्यवसाय में मुख्यतया आप अपने टारगेट बेस को उन्हीं लोगों के नजदीक रखें, जो कि सरकार को बहुत अधिक टैक्स चुकाते हैं, परंतु लीगल लूपहोल का फायदा उठा कर आप उनका टैक्स बचवा सकते हैं।

जिस कारण वह भी आपके साथ जुड़ने में सहज महसूस करेंगे और आप अपने सेवा के बदले उनसे कमीशन प्राप्त कर सकते हैं।

4. कौन सा सॉफ्टवेयर आपके व्यवसाय के लिए सही है :-

इसका बिजनेस का अगला पड़ाव है एक बेहतरीन सॉफ्टवेयर चुनना, अथार्त आपको चुनना होगा कि कौन सा प्रोफेशनल टैक्स सॉफ्टवेयर आपके व्यवसाय के लिए एकदम परफेक्ट साबित होगा।

किसी भी सॉफ्टवेयर को चुनने के लिए अलग-अलग फैक्टर काम में लिए जाते हैं, जैसेकि - वह सॉफ्टवेयर आपकी क्लाइंट की आवश्यकताओं को पूरा करने में समर्थ है या नहीं या फिर उसकी एक्यूरेसी कितनी कम या अधिक है,जिससे कि आपके साथ जुड़ने में क्लाइंट हमेशा कॉन्फिडेंट महसूस करें। वर्तमान में मार्केट में ऐसे कई टैक्स सॉफ्टवेयर आते हैं, जैसे कि प्रो-कनेक्ट टैक्स, प्रो-सर्विस टैक्स इत्यादि।

आइए अब हम जानते हैं इस व्यवसाय के तहत आपको कितना निवेश करना पड़ेगा,और उसके अनुसार आप कितना अधिक मुनाफा कमा सकते हैं, साथ ही जानेंगे कि इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए आपके पास क्या योग्यता होना अनिवार्य है, आइए जानते हैं :-

लागत :-

यदि आप अपनी एक कम्पनी का फिर किसी तरह का कोई स्टार्टअप शुरू करते हैं तो उसे अपनी सरकार के साथ रजिस्टर करवाएं, रजिस्ट्रेशन और परमिट प्राप्त करने की प्रक्रिया बहुत ही सरल और मामूली से खर्चे वाली होती है।इसके बाद आपको अपना एक ऑफिस स्थापित करना होगा, जिसके लिए आपको लगभग सौ से दो सौ स्क्वायर फुट की जगह की आवश्यकता होगी।

शुरुआत में आप अपने क्लाइंट बेस को ध्यान में रखते हुए इसे शहर के भीड़भाड़ वाले इलाकों में ही खोलने की सोचें, परंतु एक बार अच्छा कस्टमर बेस बन जाने  पर आप इसे एक ऐसे अलग स्थान(जहां पर आप को कम किराया चुकाना पड़े)पर प्रतिस्थापित कर सकते हैं।

भारत के किसी भी बड़े शहर में आपको अपना ऑफिस खोलने के लिए लगभग बीस हजार से तीस हजार रुपये प्रति महीने का किराया चुकाना पड़ सकता है। आप प्रमोशन के लिए किसी एडवरटाइजिंग कंपनी से भी जुड़ सकते हैं और उन्हें अपने टारगेट कस्टमर बेस के बारे में बता सकते हैं। जिसके आधार पर वे लोग आपके विज्ञापनों को निर्माण इस तरीके से करेंगे कि सीधा आपके टारगेट किए हुए लोगों तक पहुंच सके।

हालांकि अभी कम कंपटीशन होने की वजह से इस आप यह काम नहीं भी करेंगे तो भी कोई दिक्कत नहीं है क्योंकि अभी इस व्यवसाय में बहुत अधिक क्षमता है और आप आसानी से कम निवेश के साथ भी इसमें अपने पैर जमा सकते हैं। आप इंटरनेट की सहायता से अपनी एक वेबसाइट बनाकर लोगों तक आपके द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं की जानकारी पहुंचाए।

इस व्यवसाय में  इंटरनेट से जुड़ने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि, इंटरनेट का इस्तेमाल तो आपके लिए वैसे भी अनिवार्य है क्योंकि आप सरकारी पोर्टल से जुड़ने के लिए इंटरनेट की ही मदद लेंगे साथ ही आपके पास आने वाला ग्राहक भी इंटरनेट का अच्छा खासा इस्तेमाल करता है, इसीलिए आपको आसानी से कम प्रमोशन में ग्राहकों तक पहुंच मिल पाएगी।

वर्ल्ड इनोवेशन नामक एक नॉन गवर्नमेंट ऑर्गेनाइजेशन ने जारी अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि वर्ष 2030 तक इनकम टैक्स व्यवसाय अपने आज की क्षमता की से लगभग चार से पांच गुना तक बढ़ेगा, इसलिए यही एक सही मौका है, जिसमें आप दो से तीन लाख रुपये तक का निवेश कर आसानी से इस व्यवसाय को शुरू कर सकते हैं।

इस प्रकार आप अपना ऑफिस का किराया, कंप्यूटर तथा अन्य जरूरतमंद सामान का खर्चा एवं इंटरनेट कनेक्टिविटी के खर्चे के साथ इस व्यवसाय को शुरू कर सकते हैं, यह काम आप आसानी से दो से तीन लाख रुपये में शुरू कर पाएंगे।

मुनाफा :-

शुरुआत में कम ग्राहकों तक पहुंच के साथ भी यदि आप के मुनाफे को कैलकुलेट किया जाए तो आप आसानी से महीने में दस या पन्द्रह ग्राहकों को सेवा देकर भी पचास हजार रुपये कमा सकते हैं, एक बार आपकी एजेंसी या फिर कंपनी एक बड़ा स्टार्टअप बनने के बाद आप इंटरनेट की सहायता से अधिक से अधिक आर्डर प्राप्त कर प्रति महीने तीन से चार लाख रुपये मुनाफा कमा सकते हैं।

हालांकि इतनी बड़ी राशि कमाना इतना आसान नहीं है, इसके लिए आपको अपनी एक टीम का निर्माण भी करना पड़ेगा, जो कि आपको सरकार के द्वारा बनाए गए कानूनों में लूप-होल के बारे में जानकारी प्रदान करेगी, जिसका फायदा उठाकर आप अपने क्लाइंट का टैक्स बचा पाएंगे।

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क्वालिफिकेशन :-

इस बिजनेस को शुरू करने के लिए आपको कोई अधिक इकोनॉमिक्स की बड़ी क्वालिफिकेशन की आवश्यकता नहीं होगी, बल्कि आप आसानी से टैक्स की फील्ड में अपनी बेसिक स्किल को बढ़ाकर यह व्यवसाय शुरू कर सकते हैं।

इसके लिए आप सरकार के द्वारा ही चलाए गए कई कोर्स में डिप्लोमा प्राप्त कर सकते हैं, जैसेकि डिप्लोमा इन टैक्सेशन (Diploma in Taxation) जो कि कॉमर्स और बिजनेस मैनेजमेंट यूनिवर्सिटी के द्वारा प्रदान किया जाता है या फिर आप सरकार के ही तहत आने वाली कई ऑडिटिंग यूनिवर्सिटी से अपनी डिग्री प्राप्त कर सकते हैं।

हालांकि इसके लिए आपके पास बेसिक क्वालीफिकेशन तो होना अनिवार्य है, नहीं तो आप अपनी संस्था के लिए सरकारी लाइसेंस ही प्राप्त नहीं कर पाएंगे। ऐसी ही कुछ क्वालिफिकेशन अलग अलग राज्य सरकारों ने अलग-अलग रखी है, आप अपनी स्थानीय राज्य सरकार के टैक्स डिपार्टमेंट की वेबसाइट पर जाकर इसके बारे में जानकारी ले सकते हैं।

इस प्रकार आप इनकम टैक्स व्यवसाय को शुरू कर अपनी सेवाएं लोगों तक पहुंचा सकते हैं और मुनाफा भी कमा सकते हैं। भारत में लोगों के द्वारा सरकार को चुकाया जाने वाला टैक्स अन्य विकसित देशों की तुलना में बहुत कम है, इसके पीछे कई कारण हैं जैसेकि यहां के लोगों की प्रति व्यक्ति आय, विकसित देशों की तुलना में बहुत कम होती है।

एक बात आप हमेशा ध्यान रखें, जितना टैक्स आप सरकार को चुकाएंगे सरकार के द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाएं भी आपको उतनी ही बेहतरीन गुणवत्ता की मिलेगी।

विकसित देशों के विकसित होने के पीछे एक कारण यह भी है कि उनकी सरकार के द्वारा लिया बनाया गया टैक्स-बेस बहुत बड़ा है, इसी वजह से वहां पर वेलफेयर स्कीम और सरकारी योजनाएं बहुत ही बड़े स्तर पर चलाई जाती है।

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