आजकल आधुनिकता के दौर में प्रत्येक परिवार अपने बच्चों को लेकर काफी सजग रहता है। जहां उनके स्वास्थ्य की देखभाल पहले ही अपेक्षा अधिक की जाती है और वहीं उनके पहनने के कपड़ों, रहन-सहन आदि की भी अधिक देखभाल की जाती है। इसके साथ ही बच्चों के शरीर की साफ-सफाई पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है। ग्रामीण परिवेश की बात छोड़ कर हम शहरी परिवारों की बात करें तो आज के समय में आपको कोई बच्चा बिना कपड़े यानी नंगा नहीं दिख सकता है और ना ही किसी की नाक बहती हुई या बाल उलझे हुए नहीं दिखेंगे। इसका एक मतलब यह भी हुआ कि आजकल के परिवारों में बच्चों की संख्या कम होने के कारण उनकी देखभाल बहुत अच्छे तरीके से की जाती है। दूसरा यह है कि बच्चों की साफ-सफाई, सुन्दरता व अच्छे तरीके से रखरखाव को स्टेटस सिम्बल से जोड़ दिया गया है। बच्चों की साफ सफाई में यदि उनके लिए सैलून को शुरू करने की बात की जाये तो आज के जमाने में यह बहुत अच्छा आइडिया है। उसका कारण यह है कि इन सैलून में बच्चो के केवल बालों को नहीं काटा जाता है बल्कि उन्हें हर तरह से सुन्दर व आकर्षक बनाये जाने के सारे काम किये जाते हैं।
क्यों हैं मॉडर्न परिवारों की जरूरत ये सैलून ?
कहने का मतलब यह है कि बच्चों की सुन्दरता बढ़ाने के सारे इंतजामों को समेटे किड्स सैलून आज के आधुनिक समाज की बहुत बड़ी जरूरत बन गये हैं। जहां आज के अभिजात्य वर्ग के साथ ही साथ उच्च मध्यम वर्ग के लोगों को भी अपने बच्चों को सजाने संवारने के लिए इन किड्स सैलून की जरूरत पड़ने लगी है, उनकी इन जरूरतों को पूरा करने के लिए स्माल बिजनेस शुरू किया जा सकता है। स्माल बिजनेस मैन और खासकर महिलाओं को यह बिजनेस अपना कर अच्छा लाभ हो सकता है।
किड्स सैलून की मुख्य बातें
आइये विचार करते हैं कि किड्स सैलून को किस प्रकार शुरू किया जा सकता है। उसमें क्या-क्या चीजें जरूरी होतीं हैं। कितनी पूंजी लगती है। कहां खोले जा सकते हैं। इनकी मार्केट कहां होगी, ग्राहक कहां मिलेंगे, कितना प्रॉफिट मिलेगा। इन सभी बातों को विस्तार से जानेंगे।
कहाँ-कहाँ पर हैं इस बिजनेस के चलने की सम्भावनाएँ
किड्स सैलून बिजनेस को वहां शुरू करने की योजना बनानी चाहिये जहां पर लोग अपने बच्चों पर अधिक पैसे खर्च करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। इसका मतलब यह है कि आपको हाई प्रोफाइल वालों को अपने ग्राहक के रूप में तलाशना होगा। ये ऐसी जगहें हो सकतीं हैं कि जहां पर हाई प्रोफाईल के लोग रहते हों या उच्च मध्यम वर्ग के लोग रहते हों। जिनकी खर्च करने की क्षमता अच्छी हो। इस तरह के ग्राहकों की जहां मिलने की सम्भावनाएँ हैं, उनमें से कुछ इस प्रकार हैं:-
- मेट्रो सिटी
- महानगर
- नगर
- शॉपिंग माल्स
- फैशन मार्केट
- पॉश कालोनी
- हाईराइज बिल्डिंग एरिया
- सिटी की स्टेटस सिंबल मार्केट एरिया
बिजनेस मैन को इस बात का विशेष ध्यान रखना होगा कि कस्बों और गांवों में यह बिजनेस कतई न शुरू करें क्योंकि वहां के लोगों की आमदनी सीमित होती है। जब आय सीमित होती है तब उनके खर्च करने की क्षमता भी कम ही होती है। वहां बिजनेस शुरू करने का मतलब अपने पांव कुल्हाड़ी मारने जैसा होगा। इसलिये इस स्थिति से बचना होगा।
मार्केट सर्वे करना जरूरी होता है
चूंकि इस बिजनेस में अच्छा खासा पैसा लगने वाला है और उससे अच्छी आमदनी भी होने वाली है। प्रत्येक बिजनेस में पूंजी लगाने से पहले बिजनेस मैन को उसके अच्छी तरह से चलने और उससे मुनाफा मिलने की सारी संभावनाएं तलाशनी होतीं हैं। इसके लिए सबसे अच्छा उपाय यही होता है कि बिजनेस मैन को एक ऐसा खास एरिया चुनना होता है, जहां पर बिजनेस चलने की अच्छी संभावनाएं हों। लेकिन उस एरिया में जब तक आप खाक नहीं छानेंगे तब तक आपको उस एरिया की हकीकत नहीं मालूम हो पायेगी और आपका बिजनेस अधर में फंस सकता है। इसलिये किड्स सैलून का बिजनेस शुरू करने वाले बिजनेस मैन को अपने मनपसंद एरिया का सर्वे करना होगा। यह सर्वे आपको पब्लिक हॉलिडे यानी सार्वजनिक अवकाश के दिन करना होगा, जब लोग अपने बच्चों को लेकर उनके हेयर कट, हेयर स्टाइलिस्ट कराने, उनके नेल कट कराने, उनके नेल्स को पॉलिश कराने, उनको ब्यूटीशियन वर्क आदि के लिए इन किड्स सैलून में ले जाते हैं।
आपके उस टारगेटेड एरिया के लोग अपने बच्चों को अपने घर से कितनी दूर तक सैलून ले जाते हैं, वो सैलून किस स्टैण्डर्ड का है। वहां पर क्या-क्या सुविधाएं हैं। उन सुविधाओं में कोई ऐसी कमी भी है, जिससे वहां जाने वाले ग्राहक काफी परेशान होते हैं लेकिन उसका विकल्प न होने की वजह से उसे मजबूरी में वर्दाश्त करते हैं। क्या आप उस कमी को दूर कर सकते हैं। उसको अपनी डायरी में नोट कर लें।
इसके अलावा उन्हें मिल रही सर्विस में आप और क्या इजाफा कर सकते हैं, उनको भी नोट कर लेना होगा। तभी आपका किड्स सैलून का बिजनेस अच्छी तरह से चल सकता है। इसके अलावा आपको अपना कंपटीटर भी देखना होगा। जहां आप अपना बिजनेस शुरू करने जा रहे हैं, वहां पर पहले से तो कोई ऐसा सैलून तो नहीं चल रहा है। यदि चल रहा है तो उसकी क्या पोजीशन है। उसकी अच्छाइयां, बुराइयां सारी जाननी जरूरी होंगी। उसके बाद आप अपना बिजनेस सोच समझ कर शुरू करेंगे तो आपको निश्चित रूप से सफलता मिलेगी।
यह बिजनेस दो तरीके से शुरू किया जा सकता है।
1. पहला यह कि आपको खुद सैलून में काम करने का अनुभव है और बच्चों को डीलिंग करने का शौक है तो आप अपना बिजनेस शुरू कर सकते हैं। जैसे-जैसे ग्राहकों की संख्या बढ़ती जाये तो वैसे-वैसे अनुभवी काम करने वाले सहायकों को नियुक्त करते जायें और अपना बिजनेस बढ़ाते जायें।
2. दूसरा यह कि आपको बिजनेस करना है यानी बिजनेस मैनेजमेंट स्वयं करना है। इसका सीधा सा मतलब यह हुआ कि आपके सुपरविजन में आपके कर्मचारी सारा काम संभालेंगे। आपको तो सिर्फ कस्टमर डीलिंग करनी है और प्रबंधन देखना है।
एक बिजनेस के डबल ग्राहक
किड्स सैलून का बिजनेस बहुत आसान नहीं होता है। इसमें कई तरह के ऐसे खर्चे भी शामिल होते हैं जिनको पहले से पता ही नहीं होता है। आप यहां बच्चों को डील करने का बिजनेस शुरू करने जा रहे हैं। आजकल के पैरेंट्स अपने बच्चों को लेकर बहुत अधिक संवेदनशील होते हैं और वे ही आपके ग्राहक होते हैं। यहां पर आप एक काम के लिए दो तरह के ग्राहकों को डील करने जा रहे हैं। पहला ग्राहक वो बच्चा है जो आपसे सर्विस लेने आ रहा है और दूसरा वो ग्राहक है जो अपने बच्चे को सर्विस लेने के लिए ला रहा है। आपके यहां आने वाला बच्चा हमेशा खुश रहना चाहिये, उसे किसी तरह की परेशानी नहीं होनी चाहिये, जब बच्चा खुश रहेगा तो उसके पैरेंट्स खुश रहेंगे तो आपका बिजनेस अच्छा चलेगा। इसमें एक परसेंट की भी लापरवाही या गड़बड़ी से आपका बिजनेस गड़बड़ा सकता है।
बिजनेस प्लान बनाना होगा
अब आपने जब किड्स सैलून के बिजनेस को शुरू करने के बारे में सोच लिया और इरादा भी पक्का कर लिया है। साथ ही आपने अपनी मार्केट सर्च कर ली और ग्राहकों को भी तलाश लिया है तो आपको अपने बिजनेस का ढांचा यानी बिजनेस प्लान बना लेना चाहिये। इस बिजनेस प्लान में आपको पहले तो अच्छी लोकेशन वाली एक 1000 वर्ग फुट की शॉप ऐसी जगह लेनी चाहिये जहां पर बिजली, पानी के साथ पार्किंग की सुविधा हो। इसके बाद शॉप को अंदर और बाहर से अच्छी तरह से बच्चों के मन को लुभाने वाली सामग्री से सजाना चाहिये। सजावट करते समय आपको कुछ प्वाइंट ऐसे भी चुनने चाहिये जहां पर आप जल्दी-जल्दी डिजाइन बदल सकें।
बच्चों के मन को बहलाने के लिए खिलौने, खिलौनों वाली कुर्सियां, कार्टून व कार्मिक्स बुक्स, वीडियो गेम्स, गेम्स के अन्य साधन, टीवी सेट्स, पढ़ने लिखने की अन्य किताबें, कॉपियां, न्यूजपेपर्स, इन्डोर गेम्स कैरम, लूडो आदि के खर्च जोड़ने चाहिये।
काम करने वाले सैलून के उपकरण, केमिकल्स व काम करने वाले कर्मचारियों की सैलरी, एक रिसेप्शनिस्ट व अन्य सहायक की सैलरी आदि का खर्च भी बिजनेस प्लान में जोड़ना चाहिये। इन सब चीजों की व्यवस्था करने में कितनी पूंजी लगेगी, उसका अनुमान लगाना होगा। यह पूंजी कहां से आयेगी और कैसे लगेगी। इसकी भी व्यवस्था का जिक्र बिजनेस प्लान में दर्ज होना चाहिये।
आपको अपने किड्स सैलून के बिजनेस के लिए मार्केटिंग करनी होगी, उसका भी खर्चा आपको अपने बिजनेस प्लान में दर्ज करना होगा। इससे आपको अपना बिजनेस चलाने में काफी मदद मिलेगी।
कौन-कौन सी सर्विस दी जातीं हैं
किड्स सैलून में बच्चों के बालों की कटिंग के लिये कौन-कौन सी सर्विस दी जातीं हैं, इनमें से प्रमुख इस प्रकार हैं:-
- बच्चों के बालों की कटिंग
- बच्चों के बालों की कलरिंग
- बच्चों के हेयर स्टाइलिंग
- हेयर ट्रीटमेंट यानी बीमार बालों के उपचार
- शैम्पू करने की सेवा
- बच्चों के बालों की सुरक्षा के काम आने वाले प्रोडक्ट को सेल करने की सेवा
कैसे शुरू करे बिजनेस?
आपको सबसे पहले एक अच्छी लोकेशन पर एक शॉप खरीदें या किराये पर लें। एक हजार वर्ग फिट की जगह वाली इस दुकान को बच्चों को आकर्षित करने के तरीके से सजायेंं। इसके लिए आप सैलून में काम आने वाले कुर्सियों को बच्चों की पसंद को देखते हुए जानवरों की शक्ल, कार्टून के कैरेक्टर की शक्ल, कार या ट्रक की शक्ल वाली लें। अधिक ग्राहक होने पर वेटिंग के लिए आपको एक बहुत अच्छा वेटिंग रूम बनवाना चाहिये। इस वेटिंग रूम में बच्चों के मनोरंजन के लिए कार्टून, कॉमिक्स बुक्स, छोटे खिलौने, गेम सेट्स, अनेक टीवी सेट्स जिसमें गेम खेलने की सुविधा हो और बच्चों के मनपसंद वाले टीवी शो भी वेटिंग रूम के टेलिविजन में चलते रहें। शॉप की दीवालों पर पेंट भी काफी चटकीले रंग वाले होने चाहिये। दीवारों पर चमकीला नीला, पीला, हरा या गुलाबी रंग का पेंट होगा तो बच्चों को काफी अच्छा लगेगा।
सर्विस का चयन करें
आपको यह तय करना होगा कि आप बच्चों की सैलून में किस-किस तरह की सेवाएं देना चाहेंगे। अपनी क्षमता के अनुसार सेवाओं का चयन करने के बाद इसके बाद आप उस तरह की सेवाएं देने वाले एक्सपर्ट को सैलरी पर रखकर काम करवायें। एक्सपर्ट को नियुक्त करते समय यह ध्यान रखना होगा कि वो एक वर्ष से 12 वर्ष तक के बच्चों के साथ अच्छी तरह घुलमिल कर काम कर सकते हैं या नहीं।
बच्चों के हिसाब से उपकरण व फर्नीचर बहुत अच्छी किस्म का होना चाहिये
सैलून में इस्तेमाल होने वाले कैंची, कटर, ड्रायर, ब्रशेज, शैम्पू, कलर, क्रीम, जैसी चीजें बहुत अच्छी किस्म की होनी चाहिये। कुर्सी, खिलौने, टीवी, गेम सेट,आदि भी बहुत मजबूत होने चाहिये। कहने का मतलब यह है कि आपको अपने सैलून का स्टैण्डर्ड काफी अच्छा बनाना होगा। क्योंकि आपके यहां आने वाले ग्राहकों का स्टैण्डर्ड काफी अच्छा होगा । ये ग्राहत आपकी सेवा से खुश होकर आपकी मुंहमांगी कीमत भी तो देंगे।
इन्नोवेशन करेंगे तो अधिक कमायेंगे
आपको अपने किड्स सैलून में दी जाने वाली सेवाओं में कुछ ऐसी खास चीजें जोड़ेें जो अन्य सैलून से हट कर हों। तभी आपके सैलून के प्रति ग्राहक आकर्षित होंगे। अधिकतर सैलून वाले साधारण कटिंग, नेल कटिंग, शैम्पू आदि की सेवाएं देते हैं। यदि आप भी यही सब कुछ देने वाले हैं तो आपको अधिक आमदनी उम्मीद नहीं करनी चाहिये। यदि आप अधिक आय चाहते हैं तो आपको साधारण कटिंग की जगह स्टायलिश कटिंग की सर्विस दें और लेटेस्ट डिजाइन वाली कटिंग व स्टाइल का आफर करना चाहिये। नेल कटिंग में एक्स्ट्रा आर्ट दिखाना चाहिये। इसके अलावा मिनी मैनीक्योर, नेल आर्ट और टोनेल पेंटिंग आदि की सेवाओं को भी अपने सैलून में शामिल करें। शैम्पू और आदि सर्विस के लिए आपके प्रोडक्ट यूनिक होने चाहिये ताकि ग्राहक आपके शॉप का स्टैण्डर्ड देखकर आने के लिए विवश हो जायें।
टाइमिंग की भूमिका महत्वपूर्ण है
आपको अपने सैलून में सर्विस की टाइमिंग बच्चों के उठने-जागने तथा स्कूल के समय से अलग होनी चाहिये। पब्लिक हॉलिडे में आपके सैलून की टाइमिंग अधिक होनी चाहिये।
सोच समझ कर स्टाफ हायर करें
अब अपने स्टाफ को हायर करें। आपके स्टाफ की स्किल्स और पर्सनॉलिटी से सैलून को चलाने में काफी सहायता मिलेगी। इस स्टाफ को बच्चों के साथ काम करने का अनुभव होना चाहिये। साथ ही उसे धैर्यवान, मनोरंजक और उत्साही होना चाहिये।
कौन-कौन से लाइसेंस चाहिये?
किसी तरह के बिजनेस शुरू करने के लिए कुछ सरकारी नियम कानून का पालन करना होता है। इनमें से कुछ नियम कॉमन होते हैं यानी सभी तरह के बिजनेस शुरू करने में उनका पालन करना ही होता है। इसलिये किड्स सैलून का बिजनेस शुरू करने में भी आवश्यक सरकारी कानून व नियमों का पालन करना होगा।
1. सबसे पहले तो आपको अपने किड्स सैलून का अच्छा सा नाम चुनना होगा। ये नाम यूनिक हो और जिसे देखते ही लोगों को याद हो जाये।
2. इस नाम को कंपनी रजिस्ट्रार के कार्यालय में शॉप एक्ट के तहत रजिस्टर करायें। रजिस्टर कराते समय आपको यह बताना होगा कि आप अपना व्यवसाय सोल प्रोप्राइटरशिप के तहत चलाना चाहते हैं, पार्टनरशिप फर्म, एलएलपी अथवा प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाकर करना चाहते हैं।
3. आपको अपने किड्स सैलून के लिए केन्द्र सरकार, राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन द्वारा निर्धारित नियमों व कानूनों का पालन करना होगा।
4. इसके अलावा कॉस्मेटिक विभाग, बिजली, पानी, स्वच्छता विभाग से आवश्यक परमीशन या लाइसेंस हासिल करना होगा।
लागत कितनी आती है?
किड्स सैलून का बिजनेस देखने में छोटा और साधारण सा दिखता है लेकिन इसके स्टैण्डर्ड को मेनटेन करने के लिए काफी अधिक खर्च करना होता है। इसलिये इस बिजनेस की लागत शॉप की लागत, मशीनों, उपकरणों, मेकअप का सामान, कम से कम छह एक्सपर्ट स्टायलिस्ट की सैलरी, बिजली-पानी का खर्च, बच्चों के मनोरंजन के सामान, फर्नीचर, डेकोरेटिंग खर्च, मार्केटिंग आदि का खर्च जोड़ा जाये तो इस बिजनेस को शुरू करने की लागत अलग-अलग शहरों व मेट्रो सिटी में अलग-अलग आती है। फिर भी जानकार अनुभवी लोगों का मानना है कि एक औसत किड्स सैलून खोलने के लिए कम से कम 40 से 50 लाख रुपये की लागत लग सकती है। यदि शॉप किराये पर लेते हैं तो यह खर्च थोड़ा बहुत कम भी हो सकता है।
मुनाफा कितना मिलता है?
इस बिजनेस की स्थापना के बाद मुनाफा अच्छा मिलता है। यह बिजनेस सम्पन्न वर्ग के लोगों से जुड़ा है। इसमें आपके एक्सपर्ट स्टायलिश महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यदि आपका बिजनेस अच्छा चल गया तो किराया, सैलरी, बिजली पानी, कच्चा माल यानी शैम्पू, कलर आदि का खर्च निकाल कर आपको 50 से 60 प्रतिशत तक बचत हो सकती है।
मार्केटिंग कैसे करेंयह बिजनेस बहुत लम्बे चौड़े क्षेत्र वाला नहीं होता है। बिजनेस का यह क्षेत्र अधिक से अधिक 5 किलोमीटर के दायरे वाला होता है। इसलिये आपको अपने बिजनेस की मार्केटिंग आफलाइन करना चाहिये। यही बेहतर और प्रभावी होता है। इसका मतलब आपको अपने सैलून के लिए पम्पलेट, पोस्टर, बैनर, होर्डिंग, वाहनों के पीछे प्रचार करना सबसे सही और सटीक तरीका होगा। इसके साथ आपको अपने लोकल न्यूज पेपर, लोकल टीवी चैनल व एफएम रेडियो में विज्ञापन देकर अपने सैलून का प्रचार कर सकते हैं। इसका आपको काफी लाभ मिल सकता है। धीरे-धीरे अपने बिजनेस एरिया में आपको अपनी जान-पहचान बढ़ानी होगी। आपके सैलून की क्वालिटी अच्छी होगी तो आपको ग्राहकों द्वारा की जाने वाली माउथ पब्लिसिटी का भी लाभ मिल सकता है।
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