पैनासोनिक। आप जब इस नाम का उच्चारण करते हैं तो सबसे पहले आपके जेहन में टेप रिकार्डर आता होगा। फिर फ्रिज, मोबाइल फोन, टीवी और न जाने क्या-क्या। इलेक्ट्रानिक्स आइटम की भीड़ में सबसे अलग, सबसे जुदा अगर आपको कुछ दिखे तो समझ लीजिए, वह पैनासोनिक ही है। माना जाता है कि दुनिया के 150 देशों में पैनासोनिक का कारोबार चलता है और लाखों लोग इसमें नौकरी करते हैं। इलेक्ट्रानिक्स की दुनिया में यह ब्रांड आज भी बढ़त बनाए हुए है और कहने की बात नहीं कि इस सिग्मेंट में तमाम प्रतियोगिताओं के बावजूद पैनासोनिक, पैनासोनिक ही है।
104 साल की जवान कंपनी
104 साल की हो चली यह कंपनी आज भी जवान दिखती है। इस कंपनी ने खुद को अपग्रेड किया और मार्केट की जरूरत को समझते हुए हर वो चीज बनाया, जिसकी जरूरत हर घर में होती है। दरअसल, लाइफ सिग्मेंट की चीजों को उठा लें या फिर एंटरटेन्मेंट सिग्मेंट की, हाउस एप्लायंस को उठा लें या किसी और सिग्मेंट की तरफ नजर डालें, आपको पैनासोनिक की उपलब्धता हर स्थान पर दिख जाएगी। इसे कहते हैं स्ट्रेंग्थ। दुनिया के विकासशील देश हों या विकसित, हर जगह पर पैनासोनिक की मौजूदगी है।
Panasonic के जन्म की कहानी
इसके पहले कि आपको पैनासोनिक के बारे में और कुछ बताया जाए, आइए जानते हैं कि इस कंपनी की स्थापना किसने, किन हालात में की और अगर आज की तारीख में यह दुनिया की शीर्ष और दिग्गज कंपनियों में से एक मानी जाती है तो कैसे, इस पर भी विवेचना करेंगे।
मातसुशीता का जन्म
पैनासोनिक के संस्थापक का नाम था कोनोसुके मातसुशीता। मातसुशीता का जन्म 1894 में हुआ था। जापान के एक प्रांत वाकायामा में। उनके पिता रईस थे। जागीरदार। कहते हैं, जब मातसुशीता पैदा हुए तो उन्हें सोने के चम्मच से दूध पिलाया जाता था। उनके पालन-पोषण में सामंती पुट था क्योंकि वह जागीरदार की संतान थे।
वक्त बदला, चीजें बदल गईं
वक्त एक जैसा नहीं रहता। 1899 में, जब मातसुशीता की उम्र मात्र पांच साल थी, उनके पिता ने एक गलत फैसला किया और एक झटके में ही सारा कुछ खत्म हो गया। उनकी जागीरदारी चली गई। जो संपत्ति थी, बिक गई। मातसुशीता के पिता अर्श से फर्श पर आ गए। जो बच्चा सोने की चम्मच से दूध पीता था, वह एक-एक बूंद दूध को तरस गया। हालात इतने बदतर हो गए कि पूरे परिवार को खानाबदोश की जिंदगी जीनी पड़ी। पढ़ने में तेज रहे मातसुशीता की पढ़ाई बंद हो गई। खाने के लिए पैसे नहीं होते थे। कई दिनों तक पानी और हवा पीकर वह जीवित रहे।
बड़ा फैसला
9 साल की उम्र में मातसुशीता ने एक बड़ा फैसला किया। उन्होंने तय किया कि वह गरीबी से लड़ेंगे। उन्होंने पैसे कमाने के लिए होटलों में बर्तन धोने का काम शुरू किया। उन्होंने अनेक छोटे-मोटे काम किये। जो पैसे मिलते थे, उससे घर का खर्च चलता था।
ओसाका आगमन और नई सोच का जन्म
एक दिन मातसुशीता ओसाका पहुंचे। वहां की एक इलेक्ट्रिक लाइट कंपनी में उन्होंने रोजगार के लिए आवेदन दिया। उन्हें काम मिल गया। तनख्वाह अच्छी हो गई। वह मन से काम करने लगे। काम करते-करते उन्होंने शादी की और परिवार बसा लिया। जिम्मेदारियों को तो वह समझ ही रहे थे। 22 साल की आयु में वह उस कंपनी में इलेक्ट्रानिक इंसपेक्टर बन गए थे। वह हर दिन सोचते थे कि नया क्या किया जाए।
साकेट का आविष्कार
वह छोटे-मोटे उपकरण देखते रहते थे और उसके इस्तेमाल के बारे में भी सोचते रहते थे। फिर सोचते कि अगर इसके स्थान पर कोई दूसरा उपकरण का इस्तेमाल करें तो कैसा रहेगा। चूंकि वह लगातार इन्वेंशन को लेकर सोच रहे थे, लिहाजा हर उपकरण को वह छेड़ते रहते थे। यही सब सोचते-करते उन्होंने एक इन्वेंशन कर ही डालाः इलेक्ट्रिकल साकेट का। उन्होंने अपने मालिक को वह साकेट दिखाया और कहा कि इसे इस्तेमाल में लाया जाए।
मालिक ने किया रिजेक्ट
मालिक ने देखा और उसे रिजेक्ट कर दिया। लेकिन, इससे वह निराश नहीं हुए। उनका भरोसा था कि यह साकेट बढ़िया है और जरूर ही काम करेगा। एक नई रणनीति के साथ उन्होंने 1917 में ओसाका में वह बिजली वाली नौकरी छोड़ दी। तब प्रथम विश्वयुद्ध चल रहा था।
खुद का बिजनेस करने की ठानी
मातसुशीता अपना खुद का व्यापार करना चाहते थे। उनके पास फार्मूला था, प्रोडक्ट था। अब जरूरत थी उसके उत्पादन की। उत्पादन के लिए ढेर सारा पैसा चाहिए था। वह पैसा उनके पास नहीं था। पैसे के अभाव में ही उन्होंने बड़ा जोखिम लियाः अपने घर के बेसमेंट में ही उन्होंने अपना बिजनेस शुरू कर दिया। उनके दोस्तों ने उन्हें बहुत भला-बुरा कहा पर वह मुस्कुरा कर रह जाते। उन्होंने अपने प्रोडक्ट के सैंपल तैयार करने शुरू कर दिये।
थोक विक्रेताओं के चक्कर काटने की शुरुआत
थोक विक्रेताओं के दुकान-घर का चक्कर लगाने लगे। उनसे मुहार करने लगे कि उनका साकेट लो लें। तब सबसे बड़ी दिक्कत यह थी कि उस प्रोडक्ट पर भरोसा कौन करे। क्योंकि वह प्रोडक्ट नया था और प्रोडक्ट का मालिक भी नया। लोग इसे रिजेक्ट करने लगे पर मातसुशीता यहां भी न निराश हुए और न ही उनके मन में कोई पराजय की भावना आई। वह कोशिश करते गए।
आर्डर मिले, पर बेहद कम
बीतते वक्त के साथ उन्हें कुछ आर्डर मिलने लगे पर वो संख्या ऊंट के मुंह में जीरा के समान थे। वह कर्जदार हो गए। जो लोग उनके साथ काम कर रहे थे, उन्होंने भी साथ छोड़ दिया। अंत में लोगों का कर्जा चुकाने के लिए उन्हें अपना घर तक बेचना पड़ा। इन सबके बावजूद उनका विश्वास रत्ती भर भी नहीं डिगा।
किस्मत पलटी, 1000 साकेट का आर्डर
अब उनकी किस्मत पलटने की बारी थी। एक दिन वह घर में बैठ कर अखबार पढ़ रहे थे। अचानक उसी समय उन्हें 1000 साकेट बनाने का आर्डर मिला। इस आर्डर ने उनकी तकदीर बदल दी। फिर उन्हें पीछे मुड़कर देखने की जरूरत ही नहीं पड़ी। वह जापान में लोकप्रिय हो गए। उनके साकेट की डिमांड सिर्फ जापान ही नहीं बल्कि दुनिया के अनेक देशों से होने लगी।
Panasonic कंपनी की स्थापना
तब उन्होंने एक कंपनी बनाई। उस कंपनी का नाम रखाः पैनासोनिक। इस कंपनी की स्थापना उन्होंने 13 मार्च 1918 को की। उस लिहाज से देखें तो अगले मार्च में यह कंपनी 104 साल की हो जाएगी। 1989 में वह अनंत यात्रा पर चले गए। आज वह कंपनी लाखों परिवारों को सहारा है। साकेट के निर्माण से जो कंपनी शुरू हुई थी, आज वह तीन दर्जन से ज्यादा किस्म के ऊपकरण बना रही है और फ्लैगशिप ऐसी कि कोई चुनौती न दे सके। तो, यह थी पैनासोनिक के जन्म की कहानी, इसके जन्मदाता के संघर्ष की कहानी।
कहां-कहां है Panasonic
भारत समेत दुनिया के प्रायः सभी देशों में पैनासोनिक के प्रोडक्ट आपको मिल जाएंगे। न सिर्फ प्रोडक्ट मिलेंगे बल्कि सर्विस सेंटर भी मिल जाएंगे।
क्या उत्पाद बनाती है कंपनी
पैनासोनिक आज के दौर में हर किस्म के उत्पाद बनाती है। जैसेः एलईडीटीवी, एयर कंडीशनर, वाशिंग मशीन, फ्रिज, माइक्रोवेव ओवन, कैमरा, हाई फाई सिस्टम, ब्यूटी प्रोडक्ट्स, एयर प्यूरीफायर, वाटर प्यूरीफायर, वैक्यूम क्लीनर, प्रेस, चेस्ट फ्रीजर, स्मार्ट फोन आदि।
भारत में Panasonic
भारत में पैनासोनिक आजादी के पहले से ही मौजूद है। पहले यह कंपनी ट्रांजिस्टर बनाती थी। यह खास भारतीयों के लिए होता था। फिर कंपनी द्वारा टेप रिकार्डर भी बनाया गया। इन दो उत्पादों की देश में बहुत मांग थी। भारत में यह कंपनी पैनासोनिक एनर्जी इंडिया कंपनी लिमिटेड के नाम से काम करती है। यह बाकायदा शेयर बाजार की लिस्टेड कंपनी है।
कुल कितने कर्मचारी
दुनिया भर में पैनासोनिक के 02,59, 385 कर्मचारी हैं। ये सभी अपने-अपने काम में दक्ष हैं।
4 डेज वर्किंग
जापान में पैनासोनिक 4 डेज वर्किंग के आधार पर काम करती है। मतलब यह हुआ कि अगर आप पैनासोनिक कर्मचारी हैं तो आप सप्ताह में चार दिन पैनासोनिक में काम करें और अन्य तीन दिन अगर आप किसी दूसरी कंपनी में काम करना चाहते हैं तो आप कर सकते हैं। कहते हैं, यह व्यवस्था पैनासोनिक ने ही सबसे पहले शुरू की और आज पूरे जापान में 4 डेज वर्किंग का चलन जोर पकड़ रहा है।
भरोसे की बात
पैनासोनिक के साथ सबसे बड़ी बात है, इसका भरोसा। एक सामान्य फोटोग्राफर भी जब कभी कैमरे खरीदने की सोचता है तो उसके मन में सबसे पहला ब्रांड पैनासोनिक ही होता है, ऐसा अमूमन समझा जाता है। ये सिर्फ कैमरे की ही बात नहीं है। होम अप्लायंस की एक बड़ी रेंज ऐसी है जिसमें लोग पैनासोनिक को ही खोजते हैं। यह एकाएक नहीं है। 104 साल की कंपनी ने अपनी गुणवत्ता के आदार पर दुनिया भर के बाजार में जो विश्वसनीयता कमाई है, यह उसी का नतीजा है। दरअसल, भारत जैसे बाजार में आज भी लोग पैनासोनिक को विश्वास का बड़ा प्रतीक मानते हैं और उनमें यह भरोसा है कि शायद अन्य ब्रांडों से पैनासोनिक दो पैसे महंगा मिले पर जो सटिस्फैक्शन इस कंपनी के उत्पाद में मिलता है, वह अन्य उत्पादों में कहां।
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