आजकल इंटरनेट के जमाने में सारी दुनिया एक मोबाइल फोन में समा गयी है। प्रत्येक व्यक्ति के हाथ में इंटरनेट से लैस एंड्रायड फोन रहता है। ये व्यक्ति दुनिया भर के व्यावसायिक संस्थानों के ग्राहक हैं। कहने का मतलब यह है कि आज का व्यापार दुनिया भर में भले ही फैला हुआ हो लेकिन उसका संचालन कहीं से कोई भी व्यक्ति कर सकता है। हमारे देश के व्यापारी अमेरिका के वाशिंगटन, इंग्लैंड के लंदन, ऑस्ट्रेलिया का सिडनी सहित दुनिया के किसी भी शहर मैं अपना कारोबार कर सकते हैं। व्यापार करने के लिए व्यापारी को लेन-देन करने की भी आवश्यकता होती है।
बदल गयी है बैंकिंग की पुरानी व्यवस्था
व्यापार के बदलते रूप के साथ ही बैंकों ने व्यापारिक व आपसी लेनदेन को बहुत ही आसान बनाने का काम किया है। जहां पहले बैंकों में पैसा जमा करने और निकालने के लिए लम्बी-लम्बी लाइनों में लगना पड़ता था और लम्बी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता था। उसके बाद नोटों के बंडल, झोले या बोरे में भर कर ले जाना पड़ता था। रास्ते में लूट, डकैती, छिनैती, चोरी, पाकेटमारी का डर रहता था। इसके साथ रुपये को लाने-ले जाने वाले व्यक्ति की जान को खतरा बना रहता था। लेन-देन में काफी समय भी लगता था। इन सारी समस्याओं को हल करते हुए आज बैंकों ने कैशलेस लेन देन शुरू कर दिया है।
प्रत्येक शाखा में नहीं होती है आरटीजीएस की सुविधा
आरटीजीएस के माध्यम से भुगतान करने की सुविधा देश की सभी बैंकों की सभी शाखाओं में नहीं होती है। इसके लिए बैंकों की कुछ चुनी हुई शाखाओं में यह सुविधा प्रदान की गयी है। इन शाखाओं के नाम की सूची रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पास है, जिसके बारे में वहां से जानकारी प्राप्त की जा सकती है। इसके अलावा जिन व्यक्तियों को इन शाखाओं की जानकारी चाहिये वे अपने खाता वाले बैंक की शाखा के बैंक अधिकारियों से जान सकते हैं। पूरे देश में लगभग एक लाख बैंकों की ऐसी शाखाएं हैं,जहां पर आरटीजीएस की सुविधा उपलब्ध है। इनके नाम की सूची रिजर्व बैंक की वेबसाइट पर है जिसे ऑनलाइन देखा जा सकता है।
वरदान बन गया है कैशलेस लेन देन
व्यापारिक व आपसी लेन देन में कैशलेस पेमेंट सिस्टम आने से व्यापारियों की अनेक समस्याएं स्वत: ही सुलझ गयीं हैं। कैशलेस पेमेंट यानी ऑनलाइन भुगतान से व्यापारियों को बहुत अधिक सुविधाएं मिलने लगीं हैं। इन कैशलेस सुविधाओं से पलक झपकाते ही भुगतान हो जाता है। अब लेन देन के लिए न तो कहीं भागदौड़ करनी पड़ती है और न ही रुपयों को ढोना ही पड़ता है। आप अपने घर से, कार्यालय से, फैक्ट्री से, कारखाने से, कहीं भी जा रहे हों या कोई दूसरा व्यापारिक काम कर रहे हों उसके साथ ही आप अपने मोबाइल फोन के माध्यम से चंद मिनटों में न केवल भुगतान ही हो जाता है बल्कि जिसको देना होता है उसको मिल भी जाता है। यही नहीं इस लेन देन का सबूत भी रहता है।
भारत में लेन देन को कब मिला प्रोत्साहन
भारत में काफी समय से ऑनलाइन भुगतान होता आ रहा था लेकिन यह सुविधा कुछ पढ़ लिखे लोग और सम्पन्न व्यक्तियों के पास ही थी। 8 मई 2016 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नोटबंदी की घोषणा करने के साथ ही कैशलेस इंडिया के नाम से यह अभियान शुरू किया था। उसके बाद से देश में कैशलेस ट्रांजेक्शन में बहुत तेजी आ गयी। इसके बाद नकदमुक्त भुगतान का अभियान तेजी से शुरू हो गया और आज भी यह जारी है।
बैंकों ने भुगतान को सुगम बनाने के लिए अनेक मॉडर्न बैंकिंग सॉल्यूशन उपलब्ध कराये हैं। इन सॉल्यूशन में रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (आरटीजीएस), नेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स फण्ड्स ट्रांसफर (एनईएफटी) और इम्मीडिएट पेमेंट सर्विस (आईएमपीएस) हैं। यह सॉल्यूशन पेमेंट की प्रक्रिया को बहुत ही आसान बना देते हैं। आरटीजीएस से एक साथ ज्यादा पैसे एक बैंक खाते से दूसरे बैंक खाते में पलक झपकाते भेजी जा सकती है।
कोरोना काल में वरदान बन गया आरटीजीएस
कोरोना काल में जब व्यक्ति एक दूसरे को छूने से बच रहा था। उस समय के व्यापारिक लेन देन में आरटीजीएस ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। लॉकडाउन लगने से पहले आरटीजीएस का जितना चलन था उसके बाद उसके प्रयोग में बहुत तेजी आयी। अब तो व्यापारिक लेन देन आरटीजीएस पर पूरी तरह से निर्भर हो गया है।
आरटीजीएस किसको कहते हैं?
आरटीजीएस को रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट कहते हैं । इसके माध्यम से व्यक्तिगत रूप से भुगतान किया जाता है। इसके अलावा आर्डर बाई आर्डर के आधार पर बिना नेट के एक एकाउंट से दूसरे एकाउंट पर भेजा जाता है। साधारण भाषा में कहा जाय तो यह एक ऐसा ऑनलाइन बैंकिंग तरीका है जहां पैसों को एक बैंक से दूसरे बैंक इंतजार किये बिना ही भेजा जाता है।
रिजर्व बैंक द्वारा किया जाता है आरटीजीएस का संचालन
आरटीजीएस के सिस्टम को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा मेनटेन किया जाता है। इसलिये सारे लेन देन को उनके खाते या रिकार्ड में दर्ज किया जाता है। जिस कारण से आरटीजीएस पेमेंट्स फाइनल होता है। इसका मतलब यह हुआ कि इसे दुबारा नहीं किया जा सकता है। इसलिये आरटीजीएस एक बहुत ही तेज गति से काम करता है। आरटीजीएस के माध्यम से आप कम से कम दो लाख रुपये तक ट्रांसफर कर सकते हैं। पैसे को ट्रांसफर करने की अधिकतम सीमा की कोई नहीं है। आरटीजीएस का इस्तेमाल ज्यादा पैसों के कारोबार के लिए सबसे अच्छा साधन है।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा मेनटेन किये जाने के कारण आरटीजीएस द्वारा किये गये पैसे को ट्रांसफर किये जाने का तरीका अति सुरक्षित होता है। इस इंटरबैंक ट्रांसफर में किसी तरह का जोखिम नहीं रहता है।
आरटीजीएस का इस्तेमाल कैसे किया जाता है?
आरटीजीएस के माध्यम से किस प्रकार से पैसों को ट्रांसफर किया जाता है। आरटीजीएस के माध्यम से पैसे का ट्रांसफर ऑनलाइन और ऑफलाइन तरीके से कर सकते हैं। आइये जानते हैं पूरी प्रक्रिया, जो इस प्रकार है:-
ऑनलाइन आरटीजीएस इस तरह से करें
ऑनलाइन तरीके से कोई भी व्यक्ति इंटरनेट बैंकिंग का इस्तेमाल करके आरटीजीएस कर सकते हैं। इसके माध्यम से आपको जिस व्यक्ति को पैसा ट्रांसफर करना है तो उसे पेयी अथवा बेनिफिशियरी कस्टमर के रूप में अपने एकाउंट में ऐड करना होता है। ऐड करते समय आपको उस व्यक्ति के विषय में जानकारी देनी होती है, जिसको भुगतान करना है। आपको उस व्यक्ति के बैंक का नाम और उसकी शाखा का नाम बताना होता है। उस व्यक्ति का नाम बताना होता है तथा उसके बैंक का खाता नंबर भी बताना होता है। पैसे ट्रांसफर के लिए उस व्यक्ति की बैंक का आईएफएससी कोड भी बताना होगा। उसके बाद बैंक इस व्यक्ति की बैंक डिटेल को चेक करता है। इस काम को पूरा करने में बैंक को 12 से 24 घंटे लगते हैं।
बैंक जब इस चेकिंग प्रक्रिया को पूरा कर लेता है तब बैंक उसको लाभार्थी कस्टमर को एक्टिवेट कर देता है। उसके बाद आप उस लाभार्थी कस्टमर को पैसे ट्रांसफर कर सकते हैं। इस तरह से आपका ऑनलाइन आरटीजीएस का भुगतान पूर्ण हो जाता है।
ऑफलाइन तरीके से आरटीजीएस का भुगतान
यदि आपको ऑनलाइन आरटीजीएस के माध्यम से भुगतान करना नहीं आता है या किसी भी कारण से आप ऑनलाइन आरटीजीएस नहीं करना चाहते हैं, ऐसे व्यक्ति के लिए ऑफलाइन आरटीजीएस किया जाता है। ऑफलाइन आरटीजीएस करने की प्रक्रिया इस प्रकार है:-
- आपको ऑफलाइन आरटीजीएस करने के लिए आपको बैंक की उस शाखा में जाना होगा जहां पर आपका बैंक खाता हो। वहां पर आपको स्लिप में भुगतान पाने वाले व्यक्ति की सारी जानकारी भर कर देंगे तो बैंक सारी जानकारी सेन्ट्रल प्रॉसेस सिस्टम में दर्ज कर देता है।
- सेन्ट्रल प्रॉसेस सिस्टम वो सारी जानकारी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को •ोज देता है।
- इसके बाद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया सारी ट्रांजेक्शन की प्रक्रिया को पूरा करता है और पैसे भेजने वाले बैंक के अकाउंट से पैसों को लेकर भुगतान पाने वाले व्यक्ति के बैंक खाते में पहुंचा देता है।
- इस पूरी प्रक्रिया के बाद एक यूनिक ट्रांजेक्शन नंबर यानी यूटीएन जनरेट होता है, जिसे रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया पैसे भेजने वाले के पास भेज देता है। पैसे भेजने वाले बैंक के पास यूटीएन पहुंचने का मतलब आरटीजीएस से आपका पैसा भुगतान चाहने वाले व्यक्ति के खाते में पहुंच गया है।
- आरटीजीएस के माध्यम से पैसे भेजने की पूरी प्रक्रिया मात्र 30 मिनट में हो जाती है।
आरटीजीएस के खास आकर्षण
आरटीजीएस के कुछ प्रमुख आकर्षण भी हैं, जिनका विवरण इस प्रकार है:-
- आरटीजीएस के माध्यम से तत्काल भुगतान किया जाता है।
- आरटीजीएस के माध्यम से भुगतान करना बहुत ही सेफ और सिक्योर होता है
- आरटीजीएस के माध्यम से भुगतान सबसे अधिक भरोसेमंद इसलिये होता है क्योंकि इसका संचालन रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया स्वयं करता है।
- इस माध्यम से भुगतान तत्काल हो जाता है।
- किसी कारण से भुगतान पाने वाले व्यक्ति के पास पैसा नहीं पहुंच पाता है तो वो सारा पैसा धनराशि भेजने वाले के बैंक खाते में वापस आ जाता है।
आरटीजीएस के माध्यम से भुगतान में लगने वाला शुल्क
आरटीजीएस के माध्यम से भुगतान करने में फीस भी लगती है। लेकिन भुगतान पाने वाले व्यक्ति या बैंक को कोई चार्ज या फीस नहीं देना होता है। हां जो बैंक पैसे भेजता है उससे अवश्य ही कुछ फीस लगती है, जिसका विवरण इस प्रकार है:-
- दो लाख रुपये लेकर 5 लाख रुपये तक भेजने के लिए पैसा भेजने वाली बैंक 30 रुपये प्रति ट्रांजेक्शन फीस ली जाती है।
- पांच लाख रुपये से अधिक पैसे भेजने के लिए 55 रुपये प्रति ट्रांजेक्शन लिया जाता है।
आरटीजीएस के माध्यम से भुगतान करने का समय
आरटीजीएस के माध्यम से पैसे का भुगतान करने के लिए बैंकों द्वारा सप्ताह के कार्यदिवसों में सुबह 9.00 बजे से शाम 4.30 बजे तक किया जा सकता है। शनिवार के दिन सुबह 9.00 बजे से अपरान्ह 2.00 बजे तक आरटीजीएस के माध्यम से भुगतान किया जा सकता है। बैंकों की छुट्टियों के दिन और सार्वजनिक अवकाश के दिन आरटीजीएस के माध्यम से पैसा नहीं भेजा जा सकता है।
किसके लिए सबसे अधिक लाभकारी है आरटीजीएस?
आरटीजीएस के माध्यम से भुगतान विशेष कर उन व्यापारियों के लिए वरदान से कम नहीं है जो रोजाना ही बड़े बडेÞ भुगतान करते हैं। इसके अलावा कौन से व्यक्तियों के लिए यह माध्यम बहुत लाभकारी साबित हो सकता है, आइये जानते हैं, जो इस प्रकार है:-
- अगर कोई व्यापारी या व्यक्ति रोजाना बड़े बड़े ट्रांजेक्शन करता है उसे आरटीजीएस की ही जरूरत होती है।
- भुगतान का यह माध्यम उन कारोबारियों के लिए लाभकारी है जो रोजाना एक दिन में कई बार कई बड़े भुगतान करते हैं।
- आरटीजीएस का माध्यम उस व्यक्ति के लिए भी उपयुक्त है जिसे अचानक ही एक खाते में दो लाख रुपये से अधिक का भुगतान करना होता है।
- आरटीजीएस का माध्यम उस व्यक्ति के लिए भी सबसे अच्छा है जो जल्दी ही सुरक्षित भुगतान करना चाहता है।
- आप म्यूचुअल फंड जैसी योजनाओं में भी इन्वेस्ट करने के लिए आरटीजीएस का इस्तेमाल कर सकते हैं।
इन सभी खास सुविधाओं के कारण आरटीजीएस व्यापारियों के बीच काफी लोकप्रिय हो रहा है। इसके उपयोग से बैंकों को काफी लाभ हो रहा है। व्यापारियों को तत्काल भुगतान का साधन मिलने से उनके व्यापार में बढ़ोतरी हो रही है। तत्काल लेन देन से व्यापारियों को औचक सौदा करके लाभ उठाने का अवसर मिल जाता है।
आरटीजीएस सेवा से मिलने वाले लाभ
- पहले बड़े भुगतान के लिए डिमांड ड्राफ्ट बनवाना पड़ता था, जिसके माध्यम से भुगतान तीन दिन से पहले नहीं हो पाता था अब आरटीजीएस के माध्यम से तत्काल ही भुगतान हो जाता है।
- आरटीजीएस के लिए कोई भी कागजी प्रक्रिया नहीं करनी पड़ती है।
- अधिक राशिको एक साथ आसानी से ट्रांसफर किया जा सकता है।
- इस माध्यम से पैसे भेजने में किसी प्रकार की चोरी, धोखाधड़ी होने की संभावना नहीं रहती है।
- आरटीजीएस से भुगतान से काउंटर पार्टी डिफाल्ट होने के चांस बहुत कम ही होते हैं।
- एकबार में बड़ी से बड़ी राशि के तत्काल ट्रांसफर होने से व्यापारियों को अच्छा खरीददार और विक्रेता मिल जाते हैं।
यह भी पढ़े:
1) Warranty vs Guarantee in Hindi [अंतर समझें ]
2) Debit Card vs Credit Card in Hindi [जानिये क्या है अंतर]
3) Jila Udyog Kendra Loan in Hindi [पूरी जानकारी]
4) Coir Udyami Yojana in Hindi [पूरा पढ़ें ]
5) Pradhan Mantri Kaushal Vikas Yojana in Hindi [विस्तार से पढ़ें ]
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