यह कोई गंभीर विषय नहीं है कि आप किस तरह का बिजनेस करते हैं । आप बिजनेस कोई सा भी करते हों लेकिन आप अपना निजी यानी पर्सनल और व्यावसायिक यानी बिजनेस एकाउंट एक रखते हैं तो आपके समक्ष कई समस्याएं आ सकतीं हैं, उसके लिये सबसे ज्यादा जरूरी यह है कि दोनों एकाउंट को अलग-अलग कर लें। इससे आपका वित्तीय हिसाब-किताब तो स्पष्ट होगा ही और साथ ही इससे आप आसानी से यह जान पाएंगे कि आपके बिजनेस में उतार-चढ़ाव कितना आ रहा है। उसके हिसाब से आप अपने फाइनेंस को मैनेज कर पायेंगे तथा फाइनेंस की राह में आने वाली तमाम तरह की परेशानियों से बच जायेंगे। इससे आपको सालाना आडिट में भी लाभ होगा। इसलिये निजी और व्यावसायिक खातों को अलग-अलग होना व्यावसायिक दृष्टिकोण से बहुत ही महत्वपूर्ण है।
पर्सनल और बिजनेस फाइनेंस को अलग-अलग करना क्यों महत्वपूर्ण है
किसी भी तरह का बिजनेस हो, उसके लिए आपको बिजनेस और पर्सनल फाइनेंस रखना जरूरी होता है। यदि आप जानना चाहते हैं कि इस तरह के दोनों फाइनेंस अलग-अलग रखने के कारण क्या-क्या हो सकते हैं तो आइये जानते हैं उनमें से कुछ इस प्रकार हैं:-
1. अधिकांशत: आपके व्यापार पर आपके पर्सनल फाइनेंस से अलग टैक्स लगाया जाता है
2. पर्सनल फाइनेंस को अलग करके आप आसानी से बिजनेस फाइनेंस में आने वाले उतार-चढ़ाव को आसानी से जान पायेंगे।
3. यदि आपने अपने पर्सनल और बिजनेस फाइनेंस को अलग-अलग नहीं किया तो आपको सालाना ऑडिट तमाम तरह की मुश्किलें सामने आयेंगी।
पर्सनल और बिजनेस फाइनेंस को आपस में क्यों नहीं मिलाना चाहिये
यदि आप पर्सनल और बिजनेस फाइनेंस को आपस में मिक्स करने से होने वाले नुकसान से बचना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले यह जानना जरूरी होगा कि इन दोनों को आपस में क्यों नहीं मिलाना चाहिये। इसके कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार हैं:-
पहला कारण:
यदि आप पर्सनल और बिजनेस फाइनेंस एक ही रखते हैं तो आप अपने आपको प्रोफेशनल बिजनेसमैन नहीं महसूस कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर आप किसी वेंडर या सेल्समैन या किसी ग्राहक के साथ लेन-देन का काम करते हैं और भुगतान करने के लिए आप अपने पर्सनल एकाउंट का चेक काट कर देते हैं तो आप उसके समक्ष यह दर्शाते हैं कि आप अपने बिजनेस के मालिक नहीं हैं और आपको अपने बिजनेस पर पूरा भरोसा नहीं है। आप अपने पर्सनल फाइनेंस को अपने बिजनेस से अधिक महत्व देते हैं। इससे सामने वाला आपके बिजनेस को हमेशा शक की निगाह से देख सकता है।
दूसरा कारण
आपको यह बात भी ध्यान में रखने वाली है कि आपके फाइनेंस का इंटरनल रेवेन्यू सर्विस (आईआरएस) द्वारा ऑडिट किया जा सकता है। वहां पर आपका मिक्स फाइनेंस ऑडिट में फंस सकता है। यदि आपके पर्सनल और बिजनेस फाइनेंस अलग-अलग नहीं हैं तो आईआरएस अपने ऑडिट में आपकी कटौती या नुकसान को मान्यता देने से इनकार कर सकता है। यदि आप चाहते हैं कि आपकी कटौतियों और नुकसान के दावे माने जायें तो सबसे पहले आपको यह साबित करना होगा कि आपकी यह कटौतियां बिजनेस के लिये की गयीं हैं ना कि आपके पर्सनल उद्देश्य से की गयीं हैं। इसलिये आपको समय रहते इस समस्या का समाधान खोजना होगा। ऑडिट के दौरान अपने दावों को पुख्ता बनाने के लिए आपको बिजनेस का एकाउंट अलग ही खोलना होगा। जिसमें केवल बिजनेस जुड़े सभी लेन-देन के काम किये जायें।
तीसरा कारण
पर्सनल और बिजनेस एकाउंट एक ही होने से आपको दोनों तरह के खर्चों के भुगतान में भी समस्या आ सकती है। आपको यही नहीं पता लग पाएगा कि आप किस एकाउंट का पैसा किस एकाउंट में खर्च कर रहे हैं। उदाहरण के तौर पर आपके पास आपका कोई बड़ा पर्सनल खर्चा आ जाता है और आपके इस मिक्स एकाउंट में पैसा है तो आप उस खर्चे को तो कर लेंगे लेकिन बिजनेस एकाउंट से गया पैसा आपको तो पता नहीं चलेगा लेकिन बिजनेस को जब अपने हिस्से के फाइनेंस की जरूरत आयेगी तब आपको परेशानी होगी। दोनों एकाउंट अलग-अलग होने से आपको यह तो मालूम हो ही जायेगा कि किस एकाउंट में कितना पैसा है और किस एकाउंट से कितना खर्च करना है। इससे आप दोनों के खर्चों को मिक्स नहीं कर पायेंगे और दोनों का काम आसानी से चलता रहेगा।
पर्सनल और बिजनेस एकाउंट को अलग करने के आसान टिप्स
सबसे पहले तो किसी भी बिजनेस मैन को मिक्स एकाउंट खोलने की गलती नहीं करनी चाहिये। यदि आप बिजनेस शुरू करने जा रहे हैं तो अपने बिजनेस के लिए अलग एकाउंट अवश्य ही खुलवायें। फिर भी किसी कारण से आप ऐसा नहीं कर पाये हैं और अब आपको कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है तो आप उन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए पर्सनल और बिजनेस एकाउंट अलग-अलग कर सकते हैं। इसके लिए कुछ आसान टिप्स इस प्रकार हैं:-
1. अपना बिजनेस शुरू करने के साथ ही खोले अलग बिजनेस एकाउंट
यदि आप अपना पर्सनल और बिजनेस फाइनसेंस अलग रखना चाहते हैं तो इसकी तैयारी बिजनेस शुरू करने के साथ ही तैयारी कर लें, जिस तरह से आप अपने बिजनेस के लिए दुकान, मशीन, सामान आदि खरीदते हैं, उसी तरह से बिजनेस के लिए स्माल बिजनेस एकाउंट अलग से बैंक में खोलें। इससे आप मिक्स एकाउंट की समस्या से आसानी से छुटकारा पा जायेंगे। इस तरह से आपके पर्सनल और बिजनेस एकाउंट अलग-अलग हो जायेंगे। इस तैयारी से आपके बिजनेस फाइनेंस की चेकिंग आसानी से हो जायेगी तथा आपके एकाउंटेंट को टैक्स देने के समय भी बहुत आसानी रहेगी।
2. अपने बिजनेस के अनुरूप कंपनी का ढांचा तय करें
यदि आप अपना पर्सनल और बिजनेस फाइनेंस को अलग-अलग रखना चाहते हैं तो बिजनेस शुरू करने से पहले आप अपने बिजनेस के लिये फायदेमंद कंपनी या फर्म का ढांचा तय करें। आप विचार करें कि आपके बिजनेस के लिए सोलो प्रोप्राइटरशिप, पार्टनरशिप, एलएलपी कंपनी या प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में से कौन सा ढांचा सही रहेगा, उसका चुनाव करें। इस बारे में आप कई तरह से मदद ले सकते हैं।
- यदि आप चाहे तों आप कारपोरेट अफेयर्स मिनिस्ट्री की वेबसाइट से जानकारी ले सकते हैं।
- आप अपने सलाहकारों के साथ भी इस विषय पर विचार-विमर्श कर सकते हैं।
- इसके अलावा चार्टर्ड एकाउंटेंट, सर्टिफाइट पब्लिक एकाउंटेंट (सीपीए) अथवा फाइनेंस प्लान से भी मदद ले सकते हैं।
ये सभी आपको अपनी सलाह से मदद दे सकते हैं। इससे आपको अपने बिजनेस पर टैक्स और फाइनेंस प्लानिंग के रास्ते में आने वाले समस्याओं को सुलझाने में भी मदद मिलेगी। यही नहीं इन विशेषज्ञों की सलाह से आपके बिजनेस को कई तरह की सुरक्षा भी मिलेगी। इससे आप अपना पर्सनल फाइनेंस को बचा सकते हैं, जो आपके बिजनेस में भविष्य में कभी भी काम आ सकता है। चाहे संकट के समय बिजनेस को उबारना हो या बिजनेस को विस्तार देना हो अथवा अन्य किसी तरह की जरूरत हो तो उस समय यह पर्सनल फाइनेंस मददगार साबित हो सकता है।
3. ईआईएन नंबर हासिल करें
यदि आप अपना पर्सनल और बिजनेस फाइनेंस अलग-अलग रखना चाहते हैं तो बिजनेस शुरू करने से पहले ईआईएन इम्लॉयमेंट आईडेन्टिफिकेशन नंबर प्राप्त कर लें। ये ईआईएन एक सामाजिक सुरक्षा के समान है लेकिन बिजनेस के लिए बहुत लाभकारी है। प्रत्येक बिजनेस मैन को ईआईएन नंबर हासिल करने को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिये क्योंकि यह आपको अपने सामाजिक सुरक्षा नंबर को अपने बिजनेस के मामलों और डॉक्यूमेंन्टेशन से अलग करने की अनुमति देता है।
ईआईएन आईआरएस द्वारा नौ अंकों का यूनिक नंबर होता है। जो आपके बिजनेस को ऑपरेटिंग इकाई के रूप में पहचान दिलाती है। इस संख्या से आप अपने बिजनेस से जुड़े सभी टैक्स मामलों और बिजनेस एकाउंट को खोलने में मदद करती है। अपने बिजनेस फाइनेंस को अपने पर्सनल फाइनेंस से अलग करने के लिए ईआईएन बहुत ही उपयोगी तरीका है। ईआईएन प्राप्त करना बहुत ही आसान है और बिलकुल फ्री है। आप आईआरएस की वेबसाइट पर जाकर कुछ ही मिनटों में ऑनलाइन यह ईआईएन हासिल कर सकते हैं।
4. सभी तरह के फाइनेंस का बंटवारा कर लें
एक सफल और चतुर बिजनेस मैन को अपने सभी तरह के फाइनेंस यानी खातों का बंटवारा कर लेना चाहिये। प्रत्येक तरह के खातों को अलग रख कर उन्हें संचालित करने का बहुत पुराना तरीका है। जब बहीखाते चलते थे तब बिजनेस मैन अनेक तरह की बही व खाते रखते थे, जिसमें अलग-अलग प्रकार का लेनदेन होता था और एकाउंटेंट को भी खाते मेनटेन करने में कोई परेशानी नहीं होती थी। निजी और व्यापारी खातों को एक साथ मिलाने से अनेक दिक्कते आतीं हैं और उनमें गड़बड़ी होने का भी डर हमेशा बना रहता है। इसलिये बिजनेस शुरू करने के साथ ही अपने निजी खाते और व्यापारी खाते को अलग रखना ही चाहिये। साथ बिजनेस और पर्सनल खाते में आय-व्यय का वर्गीकरण किया जाना आवश्यक है। इससे आपको बहुत आसानी होगी।
5. अपना खुद का वेतन तय करें
आप अपने बिजनेस के कुछ सिद्धान्त बनायें और उन सिद्धान्तों में एक सिद्धान्त यह बनायें कि आप अपना वेतन अपने बिजनेस से प्रति माह निकालें और उसी से अपने निजी खर्चे चलायें। आप अपने खर्चों को व्यवसाय पर थोपने की गलती न करें। इससे आपके बिजनेस पर गलत प्रभाव पड़ सकता है। अपना वेतन लेने और उसके अपने खाते से मेनटेन करने से आपका पर्सनल और बिजनेस फाइनेंस आसानी से अपने आप अलग-अलग हो जायेगा। इससे आपके पर्सनल और बिजनेस फाइनेंस के बीच अच्छा सम्बन्ध बनता है। स्वयं अपने लिये वेतन निकालने से आपको यह महसूस होगा कि आप किसी के लिए बिजनेस कर रहे हैं और अपना वेतन निकालने के लिए कुछ अतिरिक्त प्रयास करने हैं और साथ ही वेतन बढ़ाने के लिए भी प्रयास करने होंगे। इससे आपके बिजनेस पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा। जैसे आप स्वयं अपना वेतन लेंगे और अपने निजी खर्चों को मेनटेन करेंगे तो आपके पर्सनल एकाउंट में जो बचत होगी, उसको संचित करेंगे तो वह एक दिन बड़ी रकम बन सकती है। जो आपके बिजनेस के लिए इमरजेंसी फंड बनकर तैयार हो जायेगा। जब भी आपके बिजनेस को संकटकालीन स्थिति में वित्त की आवश्यकता होगी तो आप उस समय इस पैसे का इस्तेमाल बिजनेस की समस्या को दूर करने में कर सकते हैं।
6. अपने खर्चों को व्यापार से अलग ही रखें
एक अच्छे व्यवसायी का प्रमुख लक्षण यही होता है कि वो अपने खर्चों को बिजनेस पर नहीं थोपता बल्कि अपने निजी खर्चों के लिए अलग से व्यवस्था करता है, जैसे अपना वेतन स्वयं लेकर व्यवस्था बनाता है। इसका सबसे उचित रास्ता यही है कि आप अपना पर्सनल एकाउंट और बिजनेस एकाउंट अलग-अलग रखें। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप अपने निजी खर्च कैसे करते हैं और किस मद पर कितना खर्च करते हैं लेकिन वित्तीय नियंत्रण के लिए दोनों एकाउंट को अलग रखना और उनको मेनटेन करना जरूरी होता है।
आप अपने निजी खर्चे मनोरंजन, भोजन, टूर, पार्टी आदि के आयोजन को अपने पर्सनल एकाउंट से करें। इसी तरह से परिवार या मित्रों के साथ टूर और पार्टी के खर्चे को व्यवसाय में से नहीं निकाल सकते, यदि आप ऐसा कर रहे हों तो आप तुरन्त सावधान हो जायें और इस तरह के खर्चों को आप अपने बिजनेस एकाउंट से करना रोकें अन्यथा बिजनेस पर विपरीत असर पड़ सकता है।
7. अलग-अलग प्राप्तियां या रसीदें होनी चाहिये
पर्सनल और बिजनेस फाइनेंस को अलग-अलग रखने के लिए सबसे अच्छा तरीका यही है कि आप अपने बिजनेस और पर्सनल फाइनेंस के लेन-देन को अलग रखें। इसके लिए यदि आप व्यावसायिक रूप से लेन-देन के लिए अलग रसीदें रखें और व्यक्तिगत रूप से लेन-देन के लिए अलग रसीदों का इस्तेमाल करें। ऐसा करने से आपको उस समय काफी मदद मिलेगी जब आपको अपने व्यवसाय के कर चुकाने होंगे। इसके अलावा दोनों खातों का अलग-अलग अच्छी तरह से संचालन करने से आपके सभी दस्तावेज स्पष्ट होंगे और बिना किसी भ्रम के उनका आसानी से इस्तेमाल किया जा सकेगा।
8. बिजनेस में पर्सनल वस्तुओं के उपयोग पर नजर रखें
आप अपनी पर्सनल वस्तुओं या उपकरणों का जब बिजनेस के लिए इस्तेमाल करें तो उन पर होने वाले खर्चों पर विशेष ध्यान रखना होगा। इससे आपको कई तरह का लाभ मिल सकता है। उदाहरण के तौर पर आप अपनी कार का इस्तेमाल अपने निजी कार्यों के साथ कंपनी के कामों के लिए करते हैं तो उसका हिसाब भी रखना होगा । या तो अपनी पर्सनल कार और कंपनी की कार अलग-अलग रखें। यदि यह संभव न हो तो कंपनी और अपने पर्सनल काम के लिए कार का इस्तेमाल करते समय ध्यान रखें और दोनों का खर्चा अलग-अलग मद में डालें। इससे आपको कर भुगतान के समय काफी लाभ मिल सकता है। अभी क्या होता है कि यदि कंपनी की कार है, तो उसे निजी काम के लिए दिन भर दौड़ाते हैं और उसे अपने पर्सनल टूर के लिए भी ले जाते हैं और उसका सारा खर्चा कंपनी के मद में डाल देते हैं जो सही नहीं है और यह भी सही नहीं है कि कार का पूरा खर्चा अपने निजी एकाउंट पर डालें। यदि दोनों को मिक्स करेंगे तो टैक्स के समय कटौती का मामला फंस जायेगा और आप यह साबित नहीं कर पायेंगे कि कार का इस्तेमाल कंपनी के लिए हो रहा था या निजी काम के लिए हो रहा था। उस स्थिति में आप को कर भुगतान में जो छूट मिलनी चाहिये थी वो नहीं मिल पायेगी। इसी तरह मोबाइल फोन का भी खर्चा आता है, जिसके लिए तो बेहतर यही होगा कि बिजनेस के लिए मोबाइल अलग हो और अपने निजी काम के लिए मोबाइल अलग हो। जब दोनों अलग-अलग होंगे तो दोनों के खर्चे भी अलग-अलग अपने आप ही हो जायेंगे। इसी तरह से अन्य तरह के छोटे मोटे खर्चों पर भी ध्यान देना जरूरी है।
9. बिजनेस के लिए बजट तय करें
बिजनेस क्रेडिट कार्ड और बिजनेस बैंक एकाउंट के साथ बिजनेस शुरू करना बहुत ही अच्छी शुरुआत माना जाता है लेकिन इसके साथ ही यदि आप बिजनेस के लिए एक बजट फिक्स कर लेंगे तो और भी अच्छी बात होगी। इससे आपको बिजनेस से संबंधी अनेक चीजों को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। बजट बनाने काÑ पर्सनल फाइनेंस और बिजनेस फाइनेंस को अलग-अलग करने में कोई विशेष फर्क नहीं पड़ने वाला लेकिन बजट तय करने से बिजनेस फाइनेंस को पर्सनल काम में खर्च करने से रोका जा सकता है। बजट बनाने से जोखिम कम हो सकते हैं और फालतू के खर्चों पर अंकुश लग जाता है। इसका बिजनेस पर काफी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
10. बिजनेस क्रेटिड कार्ड हासिल करें
आप जानते होंगे कि बिजनेस क्रेडिट कार्ड से आपको अपने बिजनेस के लिए साख बनाने में मदद मिल सकती है। इससे अलग भी आपकी साख अलग बनेगी। आप अपना पर्सनल क्रेडिट कार्ड किसी भी तरह से इस्तेमाल करते हों इसका कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन आप जब बिजनेस क्रेडिट कार्ड हासिल कर लेते हैं तो उसका इस्तेमाल काफी सोच समझ कर करेंगे और उसका निजी कामों में इस्तेमाल करने से बचेंगे। जो आपके बिजनेस के लिए बहुत ही लाभकारी होगा।कुल मिलाकर यह कहा जाये कि किसी भी बिजनेस के सफल संचालन के लिए वित्तीय नियंत्रण होना बहुत जरूरी होता है। इसके लिए व्यापारी को चाहिये कि वह बिजनेस का एकाउंट और अपना निजी एकाउंट अलग-अलग रखें, अलग-अलग मेनटेन रखे, अलग-अलग लेन-देन करें तो बिजनेस अपनी रफ्तार से बढ़ सकता है।
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