मेक इन इंडिया क्या है? Make in India से जुड़ी पूरी जानकारी

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मेक इन इंडिया क्या है? Make in India से जुड़ी पूरी जानकारी

"मेक इन इंडिया - शेर का कदम"

लोगो देख कर ही परिभाषित होता है। भारत को वैश्विक डिज़ाइन और विनिर्माण केंद्र में बदलने के लिए सितम्बर 2014 में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने इसकी पहल की थी। यह वह समय था जब भारत का जीडीपी निचले स्तर पर था और ब्रिक्स राष्ट्र (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) अपने वादा पूरा नहीं कर पा रहे थे और भारत को 'फ्रेजाइल फाइव' में चिन्हित कर दिया गया था। भारत गंभीर आर्थिक संकट की कगार पर था इसलिए अर्थव्यवस्था को धक्का देने के लिए इस "मेक इन इंडिया" की शुरुआत हुई।

मेक इन इंडिया भारतीय नागरिकों, व्यापारियों, संभावित भागिदार और दुनिया भर के इन्वेस्टर्स को बहुत ही महत्वपूर्ण कदम था। इसने विदेशों के साझेदारी कंपनियों, भारतीय व्यापारियों और नागरिकों में विश्वास पैदा करने के लिए प्रेरित किया। यह टेक्निकल जानकारी का ढाँचा प्रदान करता है 25 उद्योगों के लिए। सोशल मीडिया के यह वैश्विक लोगों तक पहुँचते हैं और सुधार व अवसरों के बारे में लगातार अपडेट करते रहते हैं।

सरल भाषा में बात करें तो मेक इन इंडिया विश्व के व्यापार को भारत में बनाने और उस प्रोडक्ट को कहीं भी बेचने के लिए शुरू किया गया है। दुनिया भर की कई कम्पनी ने इस पर भरोसा दिखाया है और अपना उत्पादन भी चालू कर दिया है देश में। इसमें इतना ज्यादा निवेश हो रहा है की भारत विनिर्वाण कंपनियों के लिए केंद्र बना हुआ है, यह "मेक इन इंडिया" की सफलता को दर्शाता है। यह निवेश की सुविधा, कौशल विकास एवं नवाचार को बढ़ावा देने, बौद्धिक सम्पदा को रक्षित करने और देश के बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए है।

उद्योगपति आर्थिक दृष्टि से इसका समर्थन करते हैं जबकि अर्थशास्त्रियों का मानना है की मेक इन इंडिया भारत को पारिस्थितिक और आर्थिक रूप से भारत के विकास के लिए एक बड़ा खतरा हो सकता है। उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT), वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय इसका नेतृत्व कर रहा है। भारत के आर्थिक दृष्टिकोण से यह अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसका उद्देश्य भारतीय प्रतिभा का विकास करना, रोज़गार के अवसर पैदा करना और क्षेत्र को सशक्त बनाना शामिल है। साथ ही अनावश्यक क़ानूनों और विनियमों को समाप्त कर प्रक्रिया को आसान कर और अधिक पारदर्शी, उत्तरदायी और जवाबदेह बनाते हुए भारत की रैंक में सुधार करना है।

इसका वेब पोर्टल (यहाँ क्लिक करें) 25 सेक्टर को दिखता है जिस पर मेक इन इंडिया का फोकस है। ये 25 क्षेत्र हैं - ऑटोमोबाइल घटक, रसायन, निर्माण, ऑटोमोबाइल, रक्षा विनिर्माण विद्युत मशीनरी, खाद्य प्रसंस्करण, चमड़ा, मीडिया और मनोरंजन, जैव प्रौद्योगिकी, खनन, इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम, तेल और गैस, आतिथ्य और कल्याण, फार्मास्यूटिकल्स, बंदरगाहों और शिपिंग, रेलवे, आईटी और BPM, सड़क और राजमार्ग, अंतरिक्ष, कपड़ा और वस्त्र, थर्मल पावर, पर्यटन, विमानन और नवीकरणीय ऊर्जा। इस वेबसाइट पर जाकर निवेशकों की सभी जानकारी और डाटा विश्लेषण देख सकते हैं।

मेक इन इंडिया के फायदे :-

1. नौकरी के अवसर

मेक इन इंडिया ने भारत में कई नागरिकों को नौकरी का अवसर प्रदान किया है। इससे सबसे ज्यादा फायदा युवा पीढ़ी को हुआ है। जिसमे सबसे ज्यादा दूरसंचार, फार्मास्यूटिकल्स, पर्यटन आदि में निवेश के लिए युवा उद्द्यमियों को आगे आने में प्रोत्साहित किया है।

2. क्षेत्र में सुधार

कारखाने और उद्योग के लिए स्थान की आवश्यकता होती है इसके लिए जिन क्षेत्रों को चुना गया उसके आस पास वाले क्षेत्र में भी इसका प्रभाव पड़ा जिससे कई मामलों में उनमे सुधर देखा गया। कारख़ानों में काम करने वालो द्वारा नज़दीकी इलाके में कमरा किराये पर लेने से किराये पर मकान देने वालों की वित्तीय सहायता होगी साथ में नयी दुकाने भी खुलेंगे। छोटे - छोटे कई कार्य स्वतः खुल जायेंगे।

3. जीडीपी

भारत में निवेश करने वाली कंपनियां उत्पाद निर्माण करेंगी जिससे व्यापर क्षेत्र बढ़ेगा। इससे नए कारखाने भी खुलेंगे निवेश होने से इसका असर अर्थव्यवस्था पर होगा जिससे जीडीपी भी बढ़ेगी। आय का प्रभाव बढ़ेगा, निर्यात वास्तुकला, कपडा बाजार व अन्य क्षेत्रों के विकास की सम्भावना बढ़ेगी।

4. रुपए मजबूत

विनिर्माण भारत के उत्पादों के लिए एक वाणिज्यिक केंद्र में बदल देगा नतीजन, एफडीआई का संग्रह होगा जोकि रूपये को डॉलर के मुकाबले मजबूत करेगा।

5. ब्रांड वैल्यू

शहरी आबादी ज्यादातर विदेशी ब्रांड पसंद करती है जिससे छोटी विनिर्माण कंपनी को नुकसान होता है। इस अभियान से इन छोटे निवेशकों को निर्माताओं को वास्तविक शॉट प्रदान होगा जिससे खुदरा में निवेश करने वाली कंपनियों के साथ भारतीय ब्रांड भी आगे बढ़ेगा।

6. प्रौद्योगिकी

हमारे देश में नए मशीनी करण की कमी है जो देश के विकास में बाधा है। बाहर की कंपनियां जब इसमें निवेश करेंगी तो नए मशीन भी आएँगे जिससे नए तकनीक इस्तेमाल करने का अवसर भी मिलेगा। इससे केवल देश को नहीं बल्कि काम कर रहे मज़दूरों को भी फायदा होगा।

7. व्यवसाय में आसानी

व्यापार के पैमाने पर भारत 130 वें स्थान पर है, लेकिन इस अभियान द्वारा उत्पादों के निर्माण के लिए दिए गए निमंत्रण के साथ विभिन्न प्रतिबंधों को हटा दिया है अब दुनिया के इच्छुक व्यवसायी बिना किसी तनाव के निवेश कर सकते हैं।

8. युवा

काम की कमी से एक ओर जहाँ भारत के युवा देश से बाहर जाने का सोच रहें जिससे भारत हमेशा नवीन और नए विचारों से वंचित रहा है। मेक इन इंडिया से रोज़गार उपलब्ध कराया जा रहा है बल्कि उनके टैलेंट का भी भरपूर उपयोग में लाया जा रहा है इसका अंदाजा इससे लगा सकते हैं की इस अभियान में सबसे ज्यादा स्टार्टअप युवाओं ने ही शुरू किये हैं।

9. ग्रामीण क्षेत्रों का विकास

कारखाने की स्थापना एक क्षेत्र का सुधर करती है साथ में वहां के लोगों को रोज़गार भी प्रदान करती है। इससे लोगों की गुणवत्ता बढ़ जाएगी। साथ ही अस्पताल, स्कूल व अन्य सार्वजनिक सुविधा भी विकसित होती है।

10. पूंजी का प्रवाह

पंजीकरण की शुरुआत के बाद से, भारत विदेशी देशों पर खर्च नहीं करेगा, बल्कि अन्य देश भारत में निवेश और मजदूरी के रूप में खर्च करेंगे।

मेक इन इंडिया का नुकसान :-

1. कृषि की अनदेखी

कृषि भूमि जो की मात्र 61% है उस पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। उद्योग लगने से कृषि को उपेक्षित कर दिया जायेगा।

2. प्राकृतिक संसाधनों का अवमूल्यन

कारख़ानों को स्थापित करने के लिए संसाधन जैसे भूमि, पानी की आवश्यकता होगी जिसे इसकी खपत दुगनी तेजी से होगा। और जिस तरह से भारत की आबादी है उनका अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है।

3. छोटे उद्यमियों के लिए नुकसान

विदेशी ब्रांड जब भारत में बनेंगे तो विदेशी कंपनियों पर लगने वाले प्रतिबंध को कम किया जायेगा जिससे छोटे स्थानीय उद्यमियों को नुक्सान होगा। ब्रांडो में दिलचस्पी भी इसका एक मुख्य वजह हो सकता है।

4. विनिर्माण आधारित अर्थव्यवस्था

कृषि, उद्योग और सेवाओं का गठन भारतीय अर्थव्यवस्था को दुनिया में बड़ा बनाता है। अभी घरेलू उत्पाद 57% है पर विनिर्माण की स्थिति में अर्थव्यवस्था का निर्यात पर निर्भर होने की आशंका होगी, वही आयात उद्योग स्थिर रहेगा

5. प्रदूषण

आंकड़ों के अनुसार, भारत में 76.50 का प्रदूषण सूचकांक है। नए कारखाने स्थापित होने के बाद प्रदूषण का खतरा और बढ़ सकता है।

6. चीन के साथ खराब संबंध

भारत इस पहल से प्रतिस्पर्धी प्रतिद्वंद्वियों के रूप में खड़ा है। मेक इंडिया की सफलता चीन के संघर्ष को ख़राब कर देगा। क्योंकि यहाँ के युवाओं का कौशल जल्द ही सफलता के मुकाम पर इस अभियान को ले जायेगा।

निष्कर्ष-

जैसा की प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने खुला निमंत्रण दिया था दुनिया को की आओ और भारत में निर्माण करो और किसी भी देश में बेचो। हमारे पास कौशल, प्रतिभा, अनुशासन के साथ कुछ करने की प्रबल इच्छा है इसलिए हम दुनिया को अवसर देते हैं यहाँ निर्माण की। सफल होते दिख रहा है, युवाओं को अपने कौशल को परखने का और निखारने का मौका मिल रहा है वहीं भारत नए टेक्नोलॉजी से अपडेट भी हो रहा है। इससे बेरोज़गारी काफी हद तक कम हुई है। इसकी सफलता के बाद अर्थव्यवस्था निश्चित रूप से नयी ऊँचाइयों को छुएगा। इससे कई सामाजिक मुद्दे हल होंगे।

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