नॉन बायोडीग्रेडेबल (non-biodegradable) वेस्ट क्या है?

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नॉन बायोडीग्रेडेबल (non-biodegradable) वेस्ट क्या है?

वेस्ट यानि कचरा हम उस सामान को कहते हैं जो हमारे किसी काम का न रह गया हो। जितने काम  मनुष्य करता है, या जितनी चीज़ों का उपयोग करता है लगभग उन सभी के साथ कचरे का भी उत्पादन करता रहता है।

यूनिसेफ के अनुसार, सॉलिड वेस्ट को दो तरह से बांटा गया है - बायोडीग्रेडेबल वेस्ट और नॉन-बायोडीग्रेडेबल वेस्ट।

बायो-डीग्रेडेबल वेस्ट क्रियाकलापों द्वारा जनित वह कचरा है जो जैविक तरीके से हमारी प्रकृति  में घुलकर नष्ट हो जाता है। यह पर्यावरण को बिलकुल भी नुकसान नहीं पहुंचाता है। जैसे - जीव जंतुओं के अपशिष्ट, किचन वेस्ट, कृषि वेस्ट आदि।

दूसरे और खतरनाक प्रकार का कचरा है नॉन-बायोडिग्रेडेबल वेस्ट

क्या है नॉन बायोडिग्रेडेबल वेस्ट?

नॉन-बायोडिग्रेडेबल वेस्ट वह कचरा है जो सदियों तक हमारी  पृथ्वी पर  मौजूद रहकर उसे नुकसान पहुंचाता रहता  है। जैसे -प्लास्टिक, पेपर, थर्मोकोल आदि।

प्रकृति में मौजूद सूक्षजीवी इस प्रकार के कचरे को छोटे घुलनशील पदार्थों में नहीं  तोड़ पाते इसलिए यह कचरा कई सालों तक धरती पर ज्यों का त्यों बना रहता है। वहीं इससे उत्पान होने वाले माइक्रो पार्टिकल्स और गैस जल, ज़मीन और वायु में मिलकर जीवन को नुकसान पहुंचाते हैं।

नॉन-बायोडिग्रेडेबल वेस्ट भी दो प्रकार के होते हैं - पहला वह जिसे रीसायकल किया जा सकता है और दूसरा वह जिसे रीसायकल नहीं किया जा सकता है

रीसायकल हो सकने वाले कचरे का एक आर्थिक मूल्य होता है पर फिर भी उसे कचरे में फेंक दिया जाता है। ऐसे कचरे को रिकवर करके पुनः उपयोग में लाया जा सकता है। जैसे - प्लास्टिक, पेपर, पुराना कपड़ा आदि।

रीसायकल न होने वाला कचरा ऐसा कचरा होता है जिसकी रिकवरी करने के बाद भी उसका कोई उपयोगिता मूल्य नहीं होता इसलिए यह रीसायकल करने योग्य नहीं होता। जैसे - कार्बन पेपर, थर्मोकोल, टेट्रा पैक्स आदि।

यह नॉन-बायोडिग्रेडेबल वेस्ट धरती पर इकठ्ठा होता रहता है और पर्यावरण को नुकसान पहुँचाता है। माइक्रो पार्टिकल्स और गैस के रूप में जल, ज़मीन और वायु में मिलकर यह जीवों के शरीर में प्रवेश करता है और हानि पहुंचाता है। इसलिए इस तरह के कचरे का निस्तारण  समझदारी से करना बहुत आवश्यक है और उससे भी अधिक आवश्यक है ऐसे प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल कम से कम करना जिनसे इस तरह का नॉन-बायोडिग्रेडेबल वेस्ट उत्पादित होता है।

कैसे किया जाता है नॉन-बायोडिग्रेडेबल वेस्ट का निस्तारण?

रीसायकल करना

जो कचरा रीसायकल करने योग्य होता है, उस कचरे को नगर निगम द्वारा इकठ्ठा कर रीसायकल करने के लिए भेज दिया जाता है। रीसायकल करने के दौरान पुराना कूड़ा एक नए उपयोगी मटेरियल में परिवर्तित कर दिया जाता है।हालाँकि आजकल पॉलीमर्स (बहुलकों ) गुणवत्ता बेहतर करने के लिए उनमें कई नए तरह के पदार्थ मिलाए जा रहे हैं, जिन्होंने रीसाइकल करने के प्रोसेस को पहले से जटिल बना दिया है। वहीं कुछ वेस्ट ऐसे भी हैं जो रीसायकल करने योग्य ही नहीं होते।

कचरे को जला देना

जो कचरा रीसायकल नहीं हो सकता उस कचरे को एक साथ जला दिया जाता है। कचरा जलाकर ऊर्जा का उत्पादन भी किया जाता है परन्तु कचरा जलाने से उत्पन्न होने वाली खतरनाक गैसें हमारी हवा को दूषित करती हैं। इसके दूरगामी परिणाम धरती पर जीवन के लिए खतरा हो सकते हैं।

लैंडफिल

कचरे के निस्तारण का एक तरीका लैंडफिल भी है। इसमें कचरे के ढेर को ज़मीन के अंदर गहरा गड्ढा खोद कर गाड़ दिया जाता है। समय समय पर इस कचरे के ऊपर मिटटी डाली जाती है ताकि यह आसपास के पर्यावरण के संपर्क में ना आए। लैंडफिल से लीक होने वाली खतरनाक गैस का उपयोग बिजली उत्पादन में किया जाता है परन्तु अगर इस गैस का सही प्रबंधन न किया जाए तो यह पर्यावरण के लिए बहुत बड़ा खतरा है। लैंडफिल में भरे कचरे का एक और बड़ा नुकसान है जल प्रदूषण। बारिश का पानी जब मिट्टी से होता हुआ इस कचरे से गुज़रकर भूजल तक पहुँचता है ,तब तक इसमें कई खतरनाक माइक्रो पार्टिकल्स मिल चुके होते हैं जो नदियों, हैंडपंप आदि के पानी को दूषित करते हैं।

कैसे करें नॉन-बायोडिग्रेडेबल वेस्ट को कम?

नॉन-बायोडिग्रेडेबल कचरा निस्तारण के तमाम तरीकों के बारे में पढ़कर आपको यह तो पता लग गया होगा कि यह कचरा कितना भी मैनेज किया जाए परन्तु फिर भी हमारी पृथ्वी के लिए एक खतरा ही है। ऐसे में  एक ज़िम्मेदार व्यक्ति होने के नाते हमारा कर्त्तव्य है कि हम अपनी ओर से कम से कम नॉन-बायोडिग्रेडेबल वेस्ट बनाएं। ऐसा करने के लिए तीन पॉपुलर तरीके हैं जो पर्यावरण के प्रति जागरूक लोग अपना रहे हैं।

रिड्यूस, रीयूज़ और रीसायकल।

रिड्यूस-

अमूमन लोग ज़रूरत से ज़्यादा सामान खरीद लेते हैं। जितना वे इस्तेमाल नहीं करते उससे ज़्यादा तो फेंकते हैं। ऐसे में खुद पर गौर करना ज़रूरी कि कहीं आप भी तो ऐसे ही नहीं कर रहे ?अगर हाँ ,तो अपनी धरती को बचाने के लिए आप आज ही ऐसा करना छोड़ सकते हैं । कम से कम नॉन-बायोडिग्रेडेबल कचरा फेंकें। यह करना बहुत आसान है।  उदाहरण के लिए- शॉपिंग करने के लिए घर से जूट आदि के बैग लेकर जाएं ताकि बाजार से आपको पॉलिथीन घर न लानी पड़े।आजकल यूज़ एंड थ्रो पेन का काफी चलन में है,उसे इंक पेन से बदलें। इन छोटे मगर प्रभावी क़दमों से आप दुनिया में नॉन-बायोडिग्रेडेबल वेस्ट कम करने में अपना योगदान दे सकते हैं।

रीयूज़-

घर में आने वाले नॉन-बायोडिग्रेडेबल प्रोडक्ट्स को किसी न किसी रूप में रीयूज़ करके आप उसे नॉन-बायोडिग्रेडेबल कचरा बनने से रोक सकते हैं। उदाहरण के लिए - बाजार से आने वाले प्लास्टिक बोतल, जार, डब्बे आदि का उपयोग आप किचन या घरेलू सामान रखने के लिए कर सकते हैं। पुराने गैजेट्स, इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स आदि को फेंकने के बजाय आप घर के छोटों को दे सकते हैं या फिर उन्हें एक्सचेंज ऑफर में नए आइटम से बदल भी सकते हैं। साथ ही इंटरनेट पर आप वेस्ट मटेरियल से कुछ कलात्मक चीज़ें बनाना सीखकर अपने घर की सजावट में उनका उपयोग कर सकते हैं।

रीसायकल-

जो सामान आपके बिलकुल किसी उपयोग का न रहे और जो रीसायकल करने योग्य हो, उसे रीसायकल कराना सुनिश्चित करें। ऐसे कचरे को इधर उधर फेंकने के बजाय कबाड़ीवालों को ही बेचें।

ध्यान रखें:

हमारी पृथ्वी मनुष्य के बोझ से पहले से ही त्रस्त है, उस पर कचरे का और बोझ लादना जीवन के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। बदलती जलवायु और आए दिन आते संकट हमें संकेत दे रहे हैं कि अभी भी हम संभल जाए।

सरकारें तो अपना काम करती रहेंगी लेकिन तब तक आइये हम और आप मिलकर अपने स्तर पर उठाए गए कुछ छोटे छोटे कदमों से एक बार फिर से अपनी पृथ्वी को हरा भरा और साफ़ बना दें।

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