प्लास्टिक वेस्ट मैनज्मेंट क्या है? कैसे सुनिश्चित करें प्लास्टिक का कम से कम इस्तेमाल?

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प्लास्टिक वेस्ट मैनज्मेंट क्या है? कैसे सुनिश्चित करें प्लास्टिक का कम से कम इस्तेमाल?

प्लास्टिक

जैविक ईंधनों और रासायनिक क्रियाओं से बना एक ऐसा प्रोडक्ट जो कई सालों पहले उपयोग के लिए एक सस्ते, टिकाऊ और बढ़िया मटेरियल के रूप में मार्किट में छाया था। आज वही प्लास्टिक दुनिया के लिए परेशानी का सबब बन गया है क्योंकि इसे बनाना और उपयोग करना जितना आसान है, उससे कई गुना मुश्किल है इससे उपजे कचरे से निजात पाना।

खतरे की घंटी

कई सदियों तक धरती पर बने रहने वाला यह नॉन-बायोडिग्रेडेबल मटेरियल आज जीवन के लिए खतरा बनता जा रहा है। समय के साथ प्रकृति में घुलता यह खतरनाक रसायन, जीव-जंतुओं के लिए खतरे की घंटी है। भारत सहित सारे विश्व में प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर जागरूकता फैलाई जा रही है। बड़ी जनसंख्या के कारण भारत हर साल लगभग 15 मिलियन टन प्लास्टिक वेस्ट उत्पन्न करता है। हालाँकि खराब सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट व्यवस्था के कारण इस वेस्ट का सिर्फ एक चौथाई हिस्सा ही रीसायकल हो पाता है।प्लास्टिक प्रोडक्ट्स में डिब्बों, पैकेजिंग, बोतल, आदि से लेकर फर्नीचर, कार आदि जैसे सामान आते हैं। कहा जाता है कि हर तरह के प्लास्टिक रीसायकल होते हैं, परन्तु यह सच नहीं है क्योंकि जिस तेज़ी से प्लास्टिक का उपयोग बढ़ रहा है, पूरे विश्व के सामने प्लास्टिक कचरे का निस्तारण करना एक बड़ी चुनौती बन गया है। ऊपर से प्लास्टिक की स्ट्रेंथ, कलर, टेक्सचर आदि में बदलाव लाने के लिए जो चीज़ें प्लास्टिक में मिलाई जा रही हैं उनके कारण उसे रीसायकल करने में और भी दिक्कत होने लगी है। वहीं प्लास्टिक की कीमत बेहद कम होने के कारण लोग इसे बेचकर रीसायकल कराने में अधिक दिलचस्पी भी नहीं लेते, इसलिए यह कचरे के रूप में इधर उधर फेंक दिया जाता है।

वेस्ट मैनज्मेंट

नगर निगम अमूमन इस कचरे को या तो लैंडफिल में डाला देता है या फिर जलाकर नष्ट कर देता है। लैंडफिल में भरा जाने वाला कचरा धीरे-धीरे सड़ते हुए मीथेन जैसी खतरनाक ग्रीनहाउस गैस उत्पन्न करता है, तो सोचिये कचरे को सीधे जलाने पर कितना खतरनाक रिसाव होता होगा।

अगर रीसायकल की बात करें तो वह करने में भी कई तरह के रिसोर्स इस्तेमाल होते हैं जिनसे नेचर को नुकसान पहुँचता है। ऐसे में कचरा मैनेजमेंट के साथ-साथ यह भी ज़रूरी है कि हम प्लास्टिक के कम से कम इस्तेमाल पर फोकस करें। प्लास्टिक धरती से कभी खत्म नहीं होता , वह माइक्रो प्लास्टिक के रूप में मिट्टी और पानी में घुल जाता है और हमारी पीढ़ियों दर पीढ़ियों को नुकसान पहुंचाता है। इससे पहले कि यह नुकसान जानलेवा बन जाए, हमें जल्द से जल्द प्लास्टिक फ्री बनने पर ज़ोर  देना चाहिए।

कैसे सुनिश्चित करें प्लास्टिक का कम से कम इस्तेमाल?

आप चाहे कोई किराना स्टोर हों, रिटेलर हों, कैटरिंग कंपनी हों, रेस्टोरेंट आदि हों या कोई सर्विस बिज़नेस हों, आप निश्चित ही किसी न किसी रूप में प्लास्टिक का  उपयोग करते ही होंगे। हम समझते हैं कि आपके बिज़नेस के लिए प्लास्टिक का इस्तेमाल घटाना मुश्किल हो सकता है, परन्तु इससे जो लाभ हमारी धरती को होगा, वह निश्चित ही यह मुश्किल उठाने योग्य है।

चांस यह भी है कि आपका यह इको-फ्रेंडली रुझान देखकर आपके ग्राहक आपसे और अधिक प्रभावित हों या हो सकता है आपकी पहल के लिए आपको सामाजिक तौर पर पुरुस्कृत भी किया जाए।

ऐसे बहुत से छोटे छोटे स्टेप्स हैं जो लेकर आप अपने बिज़नेस में प्लास्टिक का उपयोग कम कर सकते हैं।

  1. अपने सप्लायर्स को रिक्वेस्ट करें कि वे कम से कम पैकेजिंग में आपको सामान उपलब्ध कराएं। ऐसे ही सप्लायर्स से जुड़ने की कोशिश करें जो आपकी इस नेक कार्य में मदद करने को तैयार हों। हो सकता है आपके साथ जुड़े रहने के लिए वे  आपकी बात मान जाएं।
  2. अपने ग्राहकों से कहें कि सामान रखने के लिए अपना बैग घर से ही लाएं ताकि आपको उन्हें प्लास्टिक थैलों में सामान न देना पड़े।
  3. बेहतर तो यही है कि आप अपने स्टोर पर पॉलिथीन बैग्स रखना बंद ही कर दें।
  4. दुकान पर एक बोर्ड टांगें और उस पर प्लास्टिक के नुकसान बताने के साथ ग्राहकों से अपना बैग घर से लाने की अपील लिखें।
  5. आप अपनी दुकान पर रियूसेबल बैग बेच भी सकते हैं।
  6. फल सब्जियों के लिए पेपर बैग का इस्तेमाल किया जा सकता है।
  7. ग्राहकों में अपना बैग घर से लाने की प्रवृत्ति बढ़ाने के लिए आप बैग लाने वाले ग्राहकों को डिस्काउंट दे सकते हैं।
  8. प्लास्टिक फ्री होने के लिए आप जो भी कदम  उठा रहे हैं, उनके बारे में लोगों को जागरूक करें ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लोग आपका इस मुहीम में साथ दे सकें।
  9. अपनी दुकान पर लम्बे समय तक टिकने वाले प्रोडक्ट रखें जिससे कि वह जल्दी ही कचरा न बन जाए।
  10. रियूसेबल स्ट्रॉ, बोतल, बैग्स आदि का उपयोग करना सुनिश्चित करें।
  11. मीटिंग्स में या ऑफिस में  स्टाफ के पीने के लिए पानी प्लास्टिक बोतलों की बजाय स्टील, पीतल आदि की रियूसेबल बोतलों या जग में रखें। यह आपके प्लास्टिक के उपयोग को कम करने के साथ-साथ आपको पानी में घुले माइक्रो-प्लास्टिक पीने से भी बचाएगा।
  12. ऑफिस आदि में इतने बर्तन रखें कि किसी को डिस्पोजेबल का उपयोग न करना पड़े।
  13. बिज़नेस पार्टीज में डिस्पोजेबल इस्तेमाल करने के बजाय किराए पर क्राकरी लें। साथ ही खाने के आइटम्स में कम से कम प्लास्टिक पैकेजिंग सुनिश्चित करें।
  14. डिस्पोजेबल प्लास्टिक बर्तनों का एक अन्य विकल्प हैं कम्पोस्टबल डिशेस यानि ऐसे बर्तन जिनसे खाद तैयार की जा सकती है।  भारतीय परम्परा में सदियों से इस्तेमाल होते आ रहे केले के पत्ते या पत्तल का उपयोग काफी इको-फ्रेंडली ऑप्शन है।
  15. आप अगर सहकर्मियों को कोई गिफ्ट आदि दे रहे हैं, तो कोशिश करें कि वह प्लास्टिक आइटम न हो और न ही उसकी पैकेजिंग प्लास्टिक की हो।

ध्यान दें

तकनीकी, आर्थिक और सामाजिक रूप से अभी कई ऐसे पहलु हैं जो प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट के आड़े आते हैं । भारत में  इससे निबटने के लिए कई तरह की रणनीतियां लगाई गयीं हैं। बढ़ते शहरीकरण के साथ यह करना बहुत ज़रूरी भी हो गया है। बढ़ते प्लास्टिक वेस्ट से हमारी नदियां, सागर, महासागर ही नहीं बल्कि हमारी भूमि और हवा भी प्रभावित  रही है। इसका असर हमारे इकोसिस्टम पर बहुत ही बुरा हो रहा है। यह धरती के साथ-साथ समुद्री जीवों के लिए भी खतरा बनता जा रहा है। नीतियों पर सही तरह से अमल न होने के कारण, न  तो प्लास्टिक का बढ़ता उत्पादन  रुक  रहा है न ही वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम की बदइंतज़ामी।

वैश्विक स्तर की इस समस्या से उबरने के लिए सख़्त कानूनों और उनके अनुपालन की आवश्यकता है। लेकिन तब तक के लिए अगर हम और आप जैसे आम नागरिक अपने स्तर पर अपना योगदान देते रहें तो निश्चित ही बेहतर परिणाम देखने  को मिलेंगे।

आइये अपना फ़र्ज़ निभाएं और मिलकर अपनी धरती को प्लास्टिक-फ्री बनाएं।

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