आत्मनिर्भर भारत की ओर एक और कदम
कोरोना महामारी जिसने न केवल भारत की बल्कि पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया है। कोरोना के चलते सरकार ने लोगों की सुरक्षा की दृष्टि से लॉक डाउन लगा रखा था जिससे अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचा है। लॉक डाउन के 3 चरणों के बाद सरकार ने कुछ - कुछ राहत देना चालू किया। उसके बाद सबसे बड़ी समस्या थी व्यापार, उद्योग को वापस से पटरी पर लाना। लॉकडाउन में जहाँ लोगों की सेविंग्स ख़त्म हो गयी वहीँ व्यापारियों की भी सैलरी देने, उत्पादन न होने और माल के न बिकने से काफी हानि हुई। तो भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने व्यवसाय और वाणिज्य प्रणाली को पटरी पर लाने के लिए राहत पैकेज (20 लाख करोड़ रूपये) का एलान किया। साथ में लोगों से भी निवेदन किया की भारत की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए "लोकल सामान" ज्यादा खरीदें ताकि छोटे उद्द्यमियों को फायदा हो और देश का पैसा देश में ही रहे। साथ ही लोगों से यह भी अपील की कि "लोकल के लिए वोकल" बने।
क्या है आख़िर 'वोकल फॉर लोकल'?
130 करोड़ की आबादी वाले भारत देश में अर्थव्यवस्था में हानि बड़ा नुक्सान होगा। इसको देखते हुए प्रधानमंत्री जी ने "आत्मनिर्भर भारत" के लिए कदम बढ़ाते हुए "वोकल फॉर लोकल" पर ध्यान देने के लिए कहा है। वोकल फॉर लोकल का मतलब है की देश में निर्मित वस्तुओं को केवल खरीदें नहीं बल्कि साथ में गर्व से इसका प्रचार भी करें। आगे उन्होंने कहा क्योंकि हर ब्रांड पहले लोकल ही थे उसके बाद ही ग्लोबल ब्रांड बने है ठीक उसी तरह हमे अपने लोकल प्रोडक्ट्स को ग्लोबल ब्रांड बनाना है। पहले खादी भी लोकल था पर अब यह भी ब्रांड है, इसे आपने ही ब्रांड बनाया है।
क्यों ज़रूरत हुई वोकल फॉर लोकल की?
इस संकट की घडी में यह लोकल ही हैं जिन्होंने हमारे ज़रूरतों को पूरा किया है। अब समय आ गया है की जो हमारे कुटीर उद्योग, गृह उद्योग, हमारे लघु-मंझोले उद्योग, हमारे MSME के लिए है उन पर हम भरोसा दिखाएँ। अगर देखा जाये तो विज्ञापन के कारण धड़ल्ले से हम बाहरी प्रोडक्ट्स उपयोग में ला रहे और देश में निर्मित वस्तुओं को नहीं खरीद रहे उनमे से कुछ है -
विदेशी- लक्स, हमाम, क्लोज अप, पेप्सोडेंट, लाईफबाय, सनसिल्क, पैंटिन, हेड एंड शोल्डर, रिन, एरियल।
लोकल- निरमा, नीमा, बबूल, विको वज्रदंती, अय्यर हर्बल, केश निखार, सहारा, घड़ी, अजनता व अन्य। ऐसे बहुत से उदाहरण है यहाँ तक की चाकलेट, नमक, पानी, बिस्कुट, नमकीन और चिप्स तक पर बाहरी कंपनी का कब्जा है। अगर पानी की ही बात करें तो किनले, एक्वाफिना नाम सुनते ही खरीद लेते हैं पर गंगा, कैंच इनको नहीं खरीदते। ये भी कारण है जिसके लिए पीएम ने आत्मनिर्भर भारत के लिए लोकल प्रोडक्ट्स खरीदने के लिए कहा है।
- लोकल ने बचाया महामारी में।
- लोकल प्रोडक्ट्स और लोकल सामान कितना जरूरी है इस महामारी ने हमे बताया।
- अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए लोकल प्रोडक्ट्स को बढ़ावा देना जरूरी है।
- लोकल ब्रांड को ग्लोबल बनाने का एक मात्र उपाय है।
- लोकल के लिए हर भारतीय केवल ख़रीदे नहीं प्रचार भी करे।
लोकल फॉर वोकल के बाद बहुत सी संस्थाएं और सेलेब्रटीज़ इसके लिए आगे आये हैं और लोगों से अपील कर रहे हैं की लोकल खरीदने में शर्माए नहीं। वही कुछ दिनों के लिए ट्विटर पर ट्रेंड कर रहा था "Ban Chinese Products" "#VocalforLocal" चाइनीज प्रोडक्ट्स बंद करो देशी प्रोडक्ट्स को सपोर्ट करो।
आविष्कार तभी होता है जब जरुरत होती है। कोरोना जैसे महामारी के कारण नौकरियों का हाल भी ख़राब है तो नए तरीके निकाले जाते हैं उन्ही में से एक है वोकल फॉर लोकल जो की स्थानीय क्षेत्रों में रोज़गार उत्पन्न करेगा।
हम बता रहे हैं 10 ऐसे उत्पाद जिसे दैनिक जीवन में थोड़े से बदलाव पर राष्ट्र को आत्मनिर्भर बनाने के लिए आप अपना योगदान दे सकते हैं:-
- किसी ब्रांड को खरीदने से अच्छा है स्थानीय दुकान से सूखे आलू चिप्स खरीदे और उसे घर में तलें।
- भोजन के लिए किसी एप्प की बजाय स्थानीय कैफ़े या रेस्त्रां से भोजन ऑर्डर करें। अगर व्यवसाय मालिक हैं तो खुद का पोर्टल बना के या फिर मोबाइल से आर्डर लें।
- सुपरमार्केट की बजाय सड़क के किनारे बैठने या रेहड़ी वालों से सब्जी खरीदें।
- ब्रांड वाली दुकान में जाने की बजाय स्थानीय दुकान से लोकल जूते और चप्पल खरीदें।
- घर को सजाने वाली वस्तुओं को क्षेत्रीय हस्तशिल्पकारों से लें।
- लोकल ब्यूटिशन के पास जाएँ।
- उत्पादित पैकेट में बिक रहे चॉकलेट या मिठाई खरीदने से अच्छा स्थानीय मिठाई की दुकानों से ख़रीददारी करें।
- मनोरंजन के लिए स्थानीय केबल ऑपरेटरों की सेवाएं लें।
- बड़े बुटीक में शादी के लहंगे, शेरवानी खरीदने की जगह स्थानीय बुटीक और दर्जी को दर्जा दें।
- इलेक्ट्रॉनिक सामान स्थानीय डीलर से खरीदें ऑनलाइन आर्डर करने की बजाय।
कैसे जाने देशी है प्रोडक्ट?
उपभोक्ता जब समान खरीदते है तो उस पर टैग लगा होता है जिससे यह पता चलता है की यह कहा निर्मित हुआ है। भारत में बने प्रोडक्ट्स पर "मेड इन इंडिया" का टैग होता है। या फिर उस प्रोडक्ट का बार कोड 890 से स्टार्ट होता है जो यह दर्शाता है की यह कानूनी रूप से GS1-India में शामिल है। यह एक उत्पाद लाइसेंस है जिसके लिए निर्माता व्यवसायी को वार्षिक भुगतान करना होता है। यदि आप व्यवसायी है तो बरकोड से अच्छा रहेगा की आप उस पर "मेड इन इंडिया" प्रिंट कराएं इससे आपके ग्राहकों को आसानी होगी।
वोकल फॉर लोकल का फायदा -
- जिन्होंने अपनी नौकरी खो दी है वो स्टार्टअप चालू कर सकते हैं इसके लिए बैंक उन्हें आसानी से लोन मुहैया करा रही है।
- हर भारतीयों को सपने देखने का मौका देती है की अपने अनुभव से वह एक अच्छे मुकाम सकते हैं।
- यह प्रोडक्ट की गुणवत्ता के प्रति जागरूक करने में है।
- अच्छी गुणवत्ता ही लोकल प्रोडक्ट्स को स्थायित्व देगी।
- खास बात यह छोटे और मंझौले उद्योग को उनकी पहचान बनाने में मदद करेगा।
निष्कर्ष - कोरोना महामारी के चलते सभी की अर्थव्यवस्था का हालत ख़राब है इसे देखते हुए हर कोई अंदाजा लगा सकता है की अभी विदेशी निवेश मुश्किल है वहीँ आयात की जाने वाली वस्तुओं पर भी प्रवाह पड़ेगा। वहीँ इस महामारी के दौर में लोकल उद्द्यमियों और प्रोडक्ट्स ने ही साथ दिया है। और "वोकल फॉर लोकल" वैश्वीकरण के के नए रूप का आह्वान है जो की लाभ से प्रेरित है। जिस तरह भारत में ज्ञान का भंडार है, युवाओं के पास कौशल है, नियमितता व लगन इन्ही को देखते हुए ये आह्वान किया गया है की हम सभी मिलके भारत को आत्मनिर्भर बना सकते हैं। आवश्यकता पड़ने पर किसी अन्य देश से मांगने पर निर्भर रहने से अच्छा है की हम इसका संयोजन कर स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कराएं। जितना ज्यादा देश की जनता स्थानीय सामान से अपनी जरुरत को पूरा करेगी उतना ही सामान को आयात कम करना पड़ेगा।
आत्मनिर्भरता दुनिया के साथ काम करने, खुद के आत्मविश्वास के और राष्ट्र के भरोसे के बारे में है की हाँ हम अच्छे गुणवत्ता वाले उत्पाद स्थानीय स्तर पर बना सकते हैं और किसी से भी स्पर्धा कर सकते हैं।
खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) यूरोपीय और मध्य पूर्वी देशों को खादी के मास्क की आपूर्ति कर रहा है वही संयुक्त अरब अमीरात, संयुक्त राज्य अमेरिका और मॉरीशस को भी खादी के बने मास्क भेजने की योजना बना रहा है। भारतीय दूतावास के जरिये इन्हे भेजा जा रहा है जिससे यह लोकल खादी अब लोकप्रिय हो गया है। यह काफी अच्छा और आदर्श उदाहरण है "वोकल फॉर लोकल" को सपोर्ट करने का।
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