आपने बहुत बार ड्राई फ्रूट शब्द तो सुना ही होगा पर क्या आपको पता है, वास्तविकता में ड्राई फ्रूट होता क्या है?
इसका मतलब होता है ऐसा फ्रूट जिसके अंदर से पानी को निकाल लिया जाता है या तो वह पानी प्राकृतिक रूप से ही बाहर निकल जाता है या फिर उसे सूर्य के सामने सुखा कर निकाला जाता है, कई बार साधारण फ्रूट को ड्राई फ्रूट बनाने के लिए स्पेशल यंत्रों जैसे कि ड्राई-हाइड्रेटरस का इस्तेमाल किया जाता है।
ड्राई फूड विश्व इतिहास में बहुत पहले से इस्तेमाल किए जाते आ रहे है, यहां तक कि कुछ ड्राई फ्रूट जैसे कि किसमिस, काजू इत्यादि तो विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता मेसापोटामिया में भी पाए गए है। क्या आपको पता है इनका इस्तेमाल उस समय भी क्यों होता था, इसके कई कारण हो सकते हैं एक तो इनका मीठा स्वाद, दूसरा इनकी न्यूट्रीशन वैल्यू तथा तीसरा इनकी लंबी उम्र की गुणवत्ता।
क्या आपको पता है कि ड्राई फ्रूट भी वास्तविकता में तो सामान्य फ्रूट की तरह ही होते हैं परंतु इनमें से जब ड्राई हाइड्रेटेड की मदद से पानी निकाल दिया जाता है तो इनकी जीवन क्षमता बढ़ जाती है। ये लम्बे समय तक बिना खराब हुए रह पाते हैं, ड्राई फ्रूट की वास्तविक उपज भूमध्य सागर और मेसोपोटामिया क्षेत्र से मानी जाती है। ड्राई फ्रूट मार्केट में लगभग आधे से ज्यादा हिस्से पर राइसिन ने कब्जा कर रखा है।
राइसिन का मतलब सूखे हुए अंगूर होते हैं, जिन्हें किसमिस भी बोला जाता है, इन्हें अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग नाम से जानते हैं कहीं-कहीं इन्हें सुल्ताना भी बोला जाता है। कैलिफोर्निया के राइसिन ग्रेप्स अपने मीठे स्वाद और साइज की वजह से काफी लोकप्रिय हैं। क्या आपको पता है वर्तमान समय में ड्राई फ्रूट मार्केट अपने एक बेहतरीन गुण की वजह से सर्वाधिक प्रचलित है और वह गुण है इसका न्यूट्रिशन वैल्यू, क्योंकि ये स्वास्थ्य के लिए बहुत ही ज्यादा लाभदायक होते है।
किसी भी फूड का न्यूट्रीशन वैल्यू जांचने और वह हेल्थ के लिए कितना लाभदायक है इसके लिए एक इंडेक्स होता है जिसे ग्लाइसेमिक इंडेक्स के नाम से जानते हैं। आपको बता दें कि ड्राई फ्रूट में आने वाले डेट्स का ग्लाइसेमिक इंडेक्स 62 है, जबकि राइसिन का ग्लाइसेमिक इंडेक्स 54 है। यदि किसी भी फ्रूट का ग्लाइसेमिक इंडेक्स 50 से ऊपर होता है तो उसे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभप्रद माना जाता है और इन में पाई जाने वाली शुगर भी फ्रक्टोज के रूप में होती है जो कि कई बीमारियों से लड़ने में सहायक होती है।
इस प्रकार हमने जाना ड्राई फूड्स का कुछ इतिहास और उनकी विशेषताएं तथा उनकी न्यूट्रीशन वैल्यू.
अब हम बात करेंगे कि आप किस प्रकार अपने क्षेत्र में ड्राई फ्रूट का व्यवसाय शुरू कर सकते है, आइए जानते हैं :-
भारत में ड्राई फ्रूट बिजनेस शुरू करने से पहले आपको यह बात जान लेना बहुत जरूरी है कि आखिर क्यों आपको यह बिजनेस करना चाहिए, आपको बता दें कि धीरे-धीरे मध्यम वर्ग के उत्थान के साथ भारत के लोग भी स्वास्थ्य और भोजन के लिए अच्छी गुणवत्ता वाली चीजें खरीदना पसंद कर रहे हैं।
इसके साथ ही इस व्यवसाय में आपको होने वाला मुनाफा भी अन्य की तुलना में अधिक होगा।इसका सबसे बड़ा फायदा है कम प्रतिस्पर्धा, क्या आपने कभी यह नोटिस किया है कि आपके अपने शहर में ग्रीन फ्रूट बेचने वाली बहुत सी दुकानें दिख जाएगी, लेकिन ड्राई फ्रूट बेचने वाली दुकानें केवल एक या दो ही होती है और वह अच्छे से अपना व्यापार भी चला रही होती हैं।
1. लाइसेंस और परमिट :-
ड्राई फ्रूट शॉप खोलने के लिए आपको भारत सरकार या अपने राज्य सरकार के द्वारा जारी लाइसेंस की जरूरत होगी, इसके साथ आपको जीएसटी और एमएसएमई (Msme) रजिस्ट्रेशन भी करवाना पड़ेगा।
आपको ट्रेड लाइसेंस के अतिरिक्त फूड सेफ्टी एंड सिक्योरिटी अथॉरिटी ऑफ इंडिया में भी अपना रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ेगा, जो कि भारतीय लोगों के स्वास्थ्य से संबंधित कानून बनाती है।
इस व्यवसाय को आप दो तरीके से कर सकते हैं जितना अधिक इन्वेस्टमेंट आप कर पाएंगे उतना ही अधिक लाभ होने की संभावना रहेगी।
यदि आप इसे छोटे स्केल पर शुरू करना चाहते हैं तो आपको लगभग दो से तीन लाख तक की राशि की आवश्यकता होगी, जबकि यदि आप इसे होलसेल स्केल पर शुरू करना चाहते हैं तो आपको लगभग पन्द्रह से तीस लाख तक के निवेश की आवश्यकता होगी।
ड्राई फ्रूट बिजनेस इन्वेस्टमेंट रिपोर्ट के अनुसार आप भारत के किसी छोटे से शहर में भी अपना होलसेल शॉप खोलकर पचास हजार से एक लाख प्रति महीना कमा पाएंगे।
इसके लिए आपको अपना टारगेटेड कस्टमर बेस भी ढूंढना पड़ेगा, उनके साथ अच्छा संबंध बनाने के लिए आप उन्हें प्रमोशन और अन्य ड्राई फ्रूट के सैंपल भी प्रदान कर सकते हैं जैसे कि आप मिठाई की दुकानों, डेयरी और सुपर मार्केट तथा रिटेल शॉप्स में संपर्क स्थापित कर सकते हैं।
2. बेहतर बिजनेस प्लान :-
इन सब के साथ ही अपना एक बिजनेस प्लान तैयार करें, इस प्लान में आप वह सभी चीजें शामिल करें जो आपके ड्राई फ्रूट व्यापार को शुरू करने में और चलाने में सहायक होंगी।
एक बात का हमेशा ध्यान रखें कि किसी भी व्यवसाय के विफल होने के पीछे एक बहुत बड़ा कारण होता है उसका कमजोर बिजनेस प्लान।
आप अपने किसी प्रतिस्पर्धी की सहायता से उसकी गलतियों को जान सकते है और उसके द्वारा अपनाई गई कुछ अच्छी विशेषताओं को अपनाकर एक सफल प्लान बना सकते हैं।
3. प्रतिस्पर्धी से तुलना :-
कभी भी अपने प्रतिस्पर्धी को कम ना समझे क्योंकि जो व्यापार आज आप शुरू करना चाहते हैं उस व्यापार को वह आपसे पहले शुरू कर चुका है।
आज के समय उससे आगे रहने के लिए आपको ग्राहकों के साथ अच्छा व्यवहार, सामान की गुणवत्ता और पेमेंट करने की सुलभ व्यवस्था उपलब्ध करवानी होगी, परंतु आप एक और बात का भी ध्यान रखें कि आप अपने ही व्यवसाय से जुड़े किसी भी प्रतिस्पर्धी से इस संबंध में राय ना लें, क्योंकि हो सकता है कि वह आपको गलत राय देकर अपनी प्रतिस्पर्धा कम करना चाहे।
इसके लिए आप इंटरनेट से ड्राई फ्रूट व्यवसाय की सफलता के राज जान सकते हैं।
4. एक स्थापित फ्रेंचाइजी या फिर नई ब्रांड :-
कई बार लोग इस विषय पर आकर उलझ जाते हैं कि उन्हें अपने स्थानीय बाजार में ड्राई फ्रूट शॉप खोलने के लिए किसी बड़ी फ्रेंचाइजी से जुड़ना चाहिए या फिर अपनी ही एक अलग ब्रांड बनाना सही है, तो उसके लिए आपको बता दें कि शुरुआत में आप फ्रेंचाइजी के साथ ही जुड़िए, क्योंकि उससे आपको पहले से ही एक ब्रांड का नाम मिल जाएगा और अपनी नई कंपनी स्थापित करने की तुलना में आप ज्यादा ग्राहकों तक पहुंच बना पाएंगे।
इसका एक और फायदा यह है कि फ्रेंचाइजी के साथ जोड़ने की प्रक्रिया बहुत आसान भी होती है और आपको आसानी से अपने सामान की प्राप्ति भी हो जाएगी।
हालांकि फ्रेंचाइज कंपनी अपना कमीशन बनाएगी, परंतु उसी अनुपात में आपको ग्राहकों की संख्या भी ज्यादा प्राप्त हो सकती है।
5. होलसेल या रिटेल :-
यदि आपने किसी फ्रेंचाइजी के साथ जुड़कर अपना होलसेल शॉप स्टार्ट किया है, तभी तो आपको प्रमोशन के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी क्योंकि वह कंपनी आपका काम कर देगी।
परंतु यदि आपने खुद की एक अलग कंपनी बनाई है उसके लिए आपको शुरुआत में प्रमोशन के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ेगी क्योंकि प्रतिस्पर्धा बढ़ने के साथ-साथ बेहतरीन गुणवत्ता और ग्राहकों की संतुष्टि ही आपके व्यवसाय को ऊपर ले जा पाएगी।
परंतु इसके लिए आपको कम से कम ग्राहक को एक बार अपनी दुकान से खरीदारी करवाने के लिए मजबूर करना पड़ेगा, प्रमोशन के तौर पर आप अपनी ड्राई फ्रूट के सैंपल मुफ्त में लोगों तक पहुंचा सकते हैं या फिर किसी एडवरटाइजिंग कंपनी से संपर्क करके एक अलग तरह का विज्ञापन बना सकते हैं।
यह बात आपके निवेश पर तय करेगी कि आप होलसेल शॉप बनाएं या फिर अपनी एक छोटी रिटेल शॉप, यदि आपके पास ज्यादा बड़ा निवेश है तो आप इसे बड़े स्केल पर शुरू कर सकते हैं।
6. इंटरनेट का इस्तेमाल :-
इसके साथ ही आप इंटरनेट की सहायता से अपनी एक वेबसाइट बनाकर उस पर आपके शॉप में अवेलेबल सभी प्रकार के ड्राई फ्रूट को लिस्टेड करें और साथ ही उनकी कीमत भी बताएं।
आप होम डिलीवरी की सुविधा भी शुरू कर सकते हैं, इसके साथ ही ग्राहकों को फीडबैक की सुविधा प्रदान करें।
7. समान की प्राप्ति :-
यदि आप खुद के दम पर ही अपनी नई कंपनी खोल रहे हैं तो आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि ड्राई फ्रूट भी आप कम पैसे में खरीद सकते हैं, जैसे कि यदि आप कश्मीर से ड्राई फ्रूट मंगवाएँगे तो आपको दिल्ली के चांदनी चौक और लाल किला क्षेत्र में मिलने वाले ड्राई फ्रूट की तुलना में महंगा पड़ेगा।
हालांकि एक बात का ध्यान रखें कि सस्ते सामान के झांसे में आप अपने सामान की गुणवत्ता से समझौता ना करें, क्योंकि ऐसी स्थिति में आप अपने ग्राहकों का भरोसा खो सकते हैं।
दिल्ली का यह क्षेत्र अपने होलसेल मार्केट के लिए बहुत प्रसिद्ध है और यहां पर आपको सभी प्रकार के ड्राई फ्रूट अच्छी तरह की पैकिंग में मिल जाएंगे।
इन सभी टिप्स को ध्यान में रखते हुए आप आसानी से अपने स्थानीय क्षेत्र में ड्राई फ्रूट शॉप खोलकर व्यवसाय कर सकते है और स्वास्थ्य को अच्छा बनाने वाले इन फ्रूट्स को लोगों तक पहुंचा सकते हैं।
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