देश में बढ़ती आबादी के कारण बेरोजगारों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। इसी कारण सरकारी नौकरियों की मारामारी चल रही है, चारों ओर बेरोजगारी को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। सरकार ने सभी लोगों को नौकरियां देने की जगह स्वरोजगार अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने की योजना बनायी है। सरकार का मानना है कि नौकरी करने वाला व्यक्ति चाहे जितनी अधिक मेहनत कर ले वो केवल अपना ही परिवार मानता है और एक सीमित आमदनी में ही गुजर बसर करता है, उसका देश की अर्थव्यवस्था में प्रत्यक्ष रूप से सहयोग करने की कोई भूमिका भी नहीं होती है जबकि व्यापार करने वाला व्यक्ति अपनी मेहनत के बल पर बड़ा उद्योग स्थापित कर सकता है। अपने परिवार का पालन-पोषण बहुत अच्छे से करता ही है और साथ ही उद्योग के माध्यम से बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार भी देता है। इसके साथ ही वह अपने उद्योग के माध्यम से देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करता है।
कारोबार शुरू करने की जटिल प्रक्रिया को सरल बनाया
इसलिये सरकार ने देश की बढ़ती युवाओं की आबादी को नौकरी की जगह पर अपना कारोबार शुरू करने के लिए प्रेरित करने का काम किया है। यही नहीं सरकार ने इन युवाओं को कारोबार शुरू करने के लिए अनेक तरह की सुविधाएं देने का भी निश्चय किया है। इसके लिए सरकार ने अनेक योजनाएं भी चलायीं हैं। कारोबार को शुरू करने की अब तक चली आ रही जटिल सरकारी प्रक्रिया को भी आसान बनाया है। पहले की सरकारी कार्यालयों में भागदौड़ करने और एक कारोबार के लिए कई तरह के टैक्स व कई तरह के कानूनों की जगह पर एक कानून व एक टैक्स लागू करने की योजना चलायी है।
पहले होती थी कारोबारियों को बहुत परेशानी
पहले कारोबारी को अपना कारोबार शुरू कराने के लिए पंजीकरण यानी रजिस्ट्रेशन कराने के वास्ते लम्बी, जटिल और थकाऊ प्रक्रिया से गुजरना होता है। इसमें कारोबारियों को अपना काम काज छोड़कर सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने होते थे। अधिकारियों की खुशामद करनी होती थी और अक्सर उन्हें रिश्वत भी देनी होती थी तब जाकर रजिस्ट्रेशन हो पाता था। इस लम्बी जटिल प्रक्रिया के कारण कारोबारी जब तक सरकारी दबाव नहीं पड़ता था तबतक रजिस्ट्रेशन कराता ही नहीं था। रजिस्ट्रेशन के लिए कारोबारी को इंटरप्रेन्योर मेमोरेंडम-1 (ईएम-1) और इंटरप्रेन्योर मेमोरेंडम-2 (ईएम-1) नाम के दो फार्म भरने होते थे, इसमें बहुत तकनीकी जानकारियां भरनी होतीं थी, जिनका भरना प्रत्येक व्यापारी के लिए संभव नहीं था। सरकार ने कारोबारियों की इस समस्या को समझा और उनकी सुविधा के लिए उद्योग आधार की व्यवस्था की। मिनिस्ट्री आफ माइक्रो, स्माल एण्ड मीडियम एंटरप्राइजेज ने उद्योग आधार की व्यवस्था लागू की।
Udyog Aadhar kya hai? | उद्योग आधार क्या है?
सभी छोटे और मध्यम उद्योगों को वैश्विक स्तर तक ले जाने के लिए और उनमें प्रतियोगिता की भावना जागृत करने के लिए एक एमएसएमईडी कानून सरकार द्वारा बनाया गया। इसका उद्देश्य छोटे व मध्यम उद्यमियों को दुनिया के व्यापारिक परिदृश्य से परिचित कराना है। इस कानून को लागू करने का लाभ जहां व्यापारियों को मिला वहीं देश की अर्थव्यवस्था को भी मिला। इसका लाभ यह हुआ कि देश की जीडीपी दर में भी इजाफा हुआ।
कैसे लागू किया गया एमएसएमईडी कानून
कारोबारियों को अधिक सुविधा देने के लिए सरकार ने एमएसएमईडी कानून को लागू करने से पहले सभी उद्योगों व औद्योगिक संस्थानों को 1995 में पारित इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन एक्ट के तहत संचालित किया। एमएसएमईडी कानून लाने के बाद सरकार ने सभी उद्योगों के साथ कृषि संस्थानों को भी इसके अधीन किया गया।
उद्योगों को दो भागों में किया गया विभाजित
एमएसएमईडी कानून में शामिल किये गये उद्योगों को एमएसएमई में परिवर्तित करने के लिए दो भागों में विभाजित किया गया। जों इस प्रकार हैं:-
1. मैन्यूफैक्चरिंग एंटरप्राइजेज: इस कैटेगिरी में उन उद्योगों को शामिल किया गया जो मशीनरी के माध्यम से छोटे व मध्यम आकार के प्लांट लगाकर किसी भी वस्तु का उत्पादन करने का काम करते हैं।
2. सर्विस एंटरप्राइजेज: दूसरे तरह के उन उद्यमों को शामिल किया गया जो उत्पादन नहीं करते हैं बल्कि वो मशीनों व अन्य तरह से सेवाएं प्रदान करते हैं और उसके बदले में वो अपना चार्ज लेते हैं।
लाभार्थियों के लिए योग्यता
उद्योग आधार का सम्बन्ध एमएसएमई से है। एमएसएमई में तीन श्रेणी के उद्योग आते हैं। इन उद्योगों को माइक्रो यानी सूक्ष्म, स्माल यानी लघु और मीडियम यानी मध्यम उद्योगों के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा इन उद्योगों को मैन्यूफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर में बांटा गया है। सरकार ने इन उद्योगों की पहचान के लिए एक पैमाना बनाया है, जो इस प्रकार हैः-
- माइक्रो यानी सूक्ष्म उद्योग: मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में 25 लाख रुपये तक के उद्योग को सूक्ष्म उद्योग कहते हैं जबकि सर्विस सेक्टर के 10 लाख रुपये वाले उद्योग को सूक्ष्म उद्योग कहा जाता है।
- स्माल यानी लघु उद्योगः इस श्रेणी में 25 लाख रुपये से अधिक और 5 करोड़ रुपये वाले मैन्यूफैक्चरिंग उद्योग को स्माल यानी लघु उद्योग कहा जाता है। वहीं सर्विस सेक्टर के 10 लाख से अधिक और 4 करोड़ रुपये वाले उद्योग को समाल यानी लघु उद्योग कहा जाता है;
- मीडियम यानी मध्यम उद्योगः इस श्रेणी में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर के 5 करोड़ से अधिक और दस करोड़ तक और सर्विस सेक्टर के 2 करोड़ से 5 करोड़ तक के बिजनेस को मीडियम यानी मध्यम उद्योग कहा जाता है।
उद्योगों का रजिस्ट्रेशन कराने के लिए दिया जाता है उद्योग आधार
कारोबारियों की कारोबार के रजिस्ट्रेशन की तमाम कानूनी पेंचीदिगियों को दूर करते हुए भारत सरकार के एमएसएमई मंत्रालय द्वारा 12 अंकों वाला एक पंजीकरण संख्या को उघोग आधार के नाम से दिया जाता है। ये पंजीकरण संख्या या रजिस्ट्रेशन नंबर पहले से चल रहे छोटे-छोटे उद्योगों को दिया जाता है जिनका रजिस्ट्रेशन किसी कारण से अब तक नहीं हुआ है। इसके अलावा उन नये उद्योगों को भी उद्योग आधार संख्या दी जाती है, जिनका रजिस्ट्रेशन कराया जाना अभी बाकी है।
उद्योग आधार के लिए कोई शुल्क नहीं लगता
यदि आपका कारोबार यानी उद्यांग एमएसएमई के दायरे में आता है। कहने का मतलब कि आपका उद्योग सूक्ष्म, लघु या मध्यम श्रेणी में आता है और अभी तक आपने किसी तरह का रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है तो उसके लिए आपको उद्योग आधार प्राप्त करने के लिए आवेदन करना होगा।
उद्योग आधार से आपके कारोबार का रजिस्ट्रेशन बहुत ही आसानी से हो जाता है। बस आपको उद्योग आधार प्राप्त करने के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा। सरकार द्वारा उद्योग आधार बिना किसी शुल्क , फीस अथवा चार्ज के ही दिया जाता है। इस वजह से अपना बिजनेस शुरू करने के लिए अधिक से अधिक कारोबारी लाभ उठा सकते हैं।
बिना भागदौड़ के बहुत कम समय में मिल जाता है उद्योग आधार
उद्योग आधार हासिल करने में बहुत कम समय लगता है और अनावश्यक औपचारिकताओं को भी पूरी नहीं करना पड़ता है। इससे आवेदकों को काफी राहत मिल गयी है। सरकार द्वारा इस उद्योग आधार के तहत कारोबारियों को एक और यह सुविधा दी गयी है कि कोई भी कारोबारी एक उद्योग आधार से कई उद्योगों को शुरू कर सकते हैं।
Documents required for Udyog aadhar in Hindi | उद्योग आधार प्राप्त करने के लिए जरूरी कागजात
किसी भी तरह की कानूनी प्रक्रिया को पूरी करने के लिए आवेदक को अनेक कागजातों की आवश्यकता होती है, उसी तरह उद्योग आधार हासिल करने के लिए कुछ कागजातों की आवश्यकता होती है। उनमें से कुछ जरूरी कागजात इस प्रकार हैं:-
- आवेदक के पास अपना आधार कार्ड होना चाहिये
- आधार कार्ड में दर्ज नाम पर ही उद्योग का मालिक बनाया जायेगा
- आवेदक किसी आरक्षित श्रेणी में आता है और उसके पास जाति प्रमाण पत्र है तो उसे भी जमा कर देना चाहिये। इससे भविष्य में आरक्षित श्रेणी को मिलने वाली सरकारी योजनाओं का लाभ मिलने में काफी सुविधा होती है।
- व्यापार चलाने के लिए आप किस तरह की कंपनी को स्थापित करना चाहते हैं उसका विवरण भी देना जरूरी है। आपको यह बताना होगा कि सोल प्रोप्राइटर, वन मैन कंपनी, पार्टनरशिप, एलएलपी, प्राइवेट लिमिटेड, पब्लिक लिमिटेड के तहत अपना उद्योग रजिस्टर्ड कराना चाहते हैं।
- व्यापार चलाने के लिए आपको व्यापारिक संस्था का कानूनी तौर पर नाम देना होगा। एक व्यक्ति एक साथ एक से अधिक उद्यम के लिए उद्योग आधार के लिए आवेदन कर सकता सकता है। इसका लाभ यह है कि सभी आवेदनों के लिए एक ही उद्योग आधार की आवश्यकता होती है।
- व्यापारिक संस्थान के पते का प्रमाण पत्र यानी एड्रेसप्रूफ, ईमेल आईडी, और मोबाइल फोन नंबर देना जरूरी हे।
- पुराना उद्योग हो तो उसके शुरू किये जाने की तारीख का कोई सरकारी प्रमाण।
- उद्यमी द्वारा इस्तेमाल किये जा रहे बैंक खाते का पूरा विवरण दिया जाना जरूरी।
- उद्योग में काम कर रहे कुशल, अकुशल श्रमिक व प्रबंधन में लगे लोगों की सही-सही जानकारी देनी आवश्यक।
कैसे होता है उद्योग आधार के लिए आवेदन
उद्योग आधार के लिए आवेदन ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही तरीके से किया जा सकता है।
- आवेदक अपनी सुविधा के अनुसार ऑन लाइन या ऑफलाइन किसी भी तरह से आवेदन करने के लिए स्वतंत्र है। दोनों ही तरह से आवेदन करने की प्रक्रिया बहुत आसान है।
- उद्योग आधार की सहायता से उद्यमी सरकार की ओर से दी जाने वाली विभिन्न सुविधाओं व सेवाओं का लाभ प्राप्त करके अपने कारोबार को विस्तार कर सकता है।
- उद्योग आधार आने के बाद से कारोबारी को ईएम-2 की कानूनी झंझटों से मुक्ति मिल गयी है। इसका आवेदन बहुत ही आसान हो गया है। उद्योग आधार की सहायता से कारोबार में लेन-देन बहुत ही आसान और झंझटों से मुक्त हो गया है।
- एक बार रजिस्ट्रेशन कराने के बाद कारोबारी सरकार की ओर से समय-समय पर जारी होने वाली अनेक सुविधाओं का लाभ उठाने का पात्र हो जाता है। उदाहरण के तौर पर कम ब्याज वाला आसान ऋण, कम ब्याज वाले मशीन ऋण आदि।
- उद्योग आधार का सबसे बड़ा लाभ उन कारोबारियों को मिलता है जो विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेते रहते हैं। विदेश में होने वाली प्रतियोगिताओं के प्रतिभागी उद्यमियों को सरकार की ओर से विदेश जाने के लिए पूरा पैसा दिया जाता है।
- उद्योग आधार के तहत रजिस्ट्रेशन कराये गये उद्योगों को सरकारी नियमों के अनुसार सब्सिडी व छूट का भी लाभ मिलता है। सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी आरक्षित वर्ग और अनारक्षित वर्ग को अलग-अलग दी जाती है। इसी तरह सरकारी छूट दिये जाने का भी प्रावधान है।
Udyog Aadhar registration in Hindi | उद्योग आधार का पंजीकरण इस प्रकार से करें
ऑनलाइन पंजीकरण
- उद्योग आधार के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराने के लिए आवेदक को सबसे पहले भारत सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा।
- वेबसाइट खुलते ही आपसे आपका आधार कार्ड नंबर मांगा जायेगा। आपको बहुत सावधानी से अपना आधार कार्ड नंबर भरना होगा।
- आधार कार्ड का नंबर भरने के बाद आपको अपना नाम भी भरना होगा। ध्यान रहे कि आपके द्वारा लिखा जा रहा नाम आधार कार्ड में दर्ज नाम एक ही होने चाहिये।
- इसके बाद आप वन टाइम पासवर्ड के साथ आगे की प्रक्रिया पूरी कर सकते हैं।
- आपके सामने जो फार्म आयेगा उसको ध्यान से पढ़ना होगा और उसमें मांगी गयी सारी जानकारी भरनी होगी।
- फार्म में दी गयी जानकारी से सम्बन्धित दस्तावेजों को अपलोड करना होगा।
- इसके बाद आपको स्क्रीन पर सबमिट बटन नजर आयेगा। फार्म को ध्यान से पूरी तरह पढ़कर जब लगे कि सारी जानकारी सही है और सारे दस्तावेज अपलोड हो गये हैं तो आप सबमिट बटन को क्लिक करके अपना फार्म सबमिट कर दें।
- इसके बाद आपकी ईमेल पर उद्योग आधार संख्या का मैसेज प्राप्त हो जायेगा। उससे आप अपना कारोबार शुरू कर सकते हैं।
कौन-कौन से लाभ मिलते हैं उद्योग आधार से?
उद्योग आधार से सरकारी स्तर पर कारोबारियों को अनेक तरह के लाभ दिये जाते हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं:-
- उद्योग आधार से उद्यमी को एक्साइज की छूट मिलती है।
- प्रत्यक्ष कर कानूनों के तहत भी छूट प्राप्त होती है।
- उद्योग आधार से उद्योग के ट्रेडमार्क और पेटेंट कराने में लगने वाली फीस में 50 प्रतिशत तक की छूट मिलती है।
- क्रेडिट गारंटी योजना का लाभ भी उद्योग आधार वाले उद्यमी को मिलता है।
- यदि किसी प्रकार के भुगतान में उद्यमी द्वारा विलम्ब हो रहा है तो उसमें भी उद्योग आधार का लाभ प्राप्त होता है।
- उद्योग आधार वाले उद्यमी को बिना गारंटी वाले लोन और कम ब्याज वाले लोन प्राप्त करने की भी सुविधा मिलती है।
- उद्योग आधार वाले कारोबारी को भारत सरकार से विदेशी व्यापार जोखिम में भाग लेने के लिए वित्तीय सहायता भी मिलती है।
- ऐसे कारोबारियों को बिजली बिलों में रियायत दी जाती है।
- सरकारी टेंडरों के लिए आवेदन करते समय भी विशेष छूट मिलती है।
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